श्री रामचरितमानस बालकाण्ड सम्पूर्ण हिंदी अर्थ सहित
बालकांड: श्रीरामचरितमानस का प्रथम खंड
संरचना
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस का बालकांड सबसे पहला खंड है, जिसमें:- 77 सर्ग और 2,280 श्लोक हैं।
इसमें आगे विभाजन इस प्रकार है: - 7 श्लोक,
- 341 दोहे,
- 25 सोरठा,
- 39 छंद, और
- 358 चौपाई।
बालकांड में प्रभु श्री राम के जन्म से लेकर राम-सीता विवाह तक के घटनाक्रम आते हैं. बालकांड के पहले सर्ग में रामायण, रामायण की रचना, और लव-कुश प्रसंग का वर्णन मिलता है. इसके साथ ही, इसमें दशरथ का यज्ञ, पुत्रों के जन्म, राम-लक्ष्मण की शिक्षा, असुरों का वध, और राम-सीता विवाह का विस्तार से वर्णन किया गया है
बाल काण्ड की घटनाओं की विषय सूची 👇 click to read👇
- मंगलाचरण
- गुरु-वन्दना
- ब्राह्मण-संत-वन्दना
- संत असंत-वन्दना
- राम रूप से जीव मात्र की वन्दना
- तुलसी दास जी की दीनता और राम भक्ति मयी कविता की महिमा,
- कवि-वन्दना,
- वाल्मीकि, वेद, ब्रह्मा, देवता शिव, पार्वती आदि की वन्दना,
- श्री सीता राम-धाम परिकर वन्दना,
- श्रीनाम वंदना और नाम महिमा,
- श्री राम गुण और श्री रामचरित की महिमा
- मानस निर्माण की तिथि,
- मानसका रूप और माहात्म्य,
- याज्ञवल्क्य-भारद्वाज संवाद एवं प्रयाग की महिमा,
- सती का भ्रम, श्री राम जी का ऐश्वर्य और सती का खेद
- शिव जी द्वारा सती का त्याग, शिव जी की समाधि
- सती का दक्ष यज्ञ में जाना,
- श्री सीता जी का यज्ञशाला में प्रवेश,
- पति के अपमान से दुःखी होकर सती का योगाग्नि से जल जाना, दक्ष-यज्ञ-विध्वंस,
- पार्वती का जन्म और तपस्या
- श्री राम जी का शिवजी से विवाह के लिये अनुरोध
- सप्तर्षियों की परीक्षा में पार्वती जी का महत्त्व
- कामदेव का देव कार्य के लिये जाना और भस्म होना
- रति को वरदान
- देवताओंका शिवजी से ब्याह के लिये प्रार्थना करना, सप्तर्षियों का पार्वती के पास जाना
- शिवजी की विचित्र बारात और विवाह की तैयारी
- शिवजी का विवाह
- शिव-पार्वती-संवाद
- अवतारके हेतु
- नारद का अभिमान और माया का प्रभाव
- विश्व मोहिनी का स्वयंवर, शिव गणों को तथा भगवान् को शाप और नारद का मोह-भंग
- मनु-शतरूपा तप एवं वरदान
- प्रतापभानु की कथा
- रावण आदि का जन्म, उनकी तपस्या, उनका ऐश्वर्य और अत्याचार
- पृथ्वी और देवतादि की करुण पुकार
- भगवान् का वरदान
- राजा दशरथका पुत्रेष्टि यज्ञ, रानियोंका गर्भवती होना
- श्री भगवान का प्राकट्य और बाललीला का आनंद
- विश्वामित्र का राजा दशरथ से राम- लक्ष्मणको माँगना
- विश्वामित्र यज्ञ की रक्षा
- अहल्या उद्धार
- श्रीराम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का जनकपुर में प्रवेश
- श्रीराम-लक्ष्मणको देखकर जनकजीकी प्रेम-मुग्धता
- श्री राम-लक्ष्मण का जनकपुर निरीक्षण,
- पुष्पवाटिका-निरीक्षण, सीता जी का प्रथम दर्शन, श्री सीता राम जी का परस्पर दर्शन
- श्री सीता जी का पार्वती-पूजन एवं वरदानप्राप्ति तथा राम-लक्ष्मण-संवाद
- श्रीराम-लक्ष्मणसहित विश्वामित्रका यज्ञशालामें प्रवेश
- श्री सीता जी का यज्ञशाला में प्रवेश
- बन्दीजनों द्वारा जनक प्रतिज्ञा की घोषणा
- राजाओं से धनुष न उठना, जनक की निराशाजनक वाणी
- श्री लक्ष्मण जी का क्रोध
- धनुषभंग
- जयमाल पहनाना , परशुराम का आगमन व क्रोध
- श्रीराम-लक्ष्मण और परशुराम संवाद
- दशरथजी के पास जनकजी का दूत भेजना, अयोध्या से बारात का प्रस्थान
- बारात का जनकपुर में आना और स्वागतादि
- श्री सीता राम-विवाह
- बारात का अयोध्या लौटना और अयोध्या में आनन्द
- श्री रामचरित् सुनने-गाने की महिमा
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