श्री रामचरितमानस अरण्यकांड सम्पूर्ण हिंदी अर्थ सहित
गोस्वामी तुलसीदास रचित
अरण्यकांड: श्रीरामचरितमानस का तृतीय खंड
संरचना
श्री रामचरितमानस के अरण्यकांड में:
- 1 श्लोक,
- 41 दोहे,
- 6 सोरठा,
- 9 छंद, और
- 44 चौपाई शामिल हैं।
यह कांड भगवान राम के वनवास के दौरान की घटनाओं और संघर्षों का विस्तारपूर्वक वर्णन करता है।
श्री रामचरितमानस के अरण्यकांड में भगवान राम, लक्ष्मण, और सीता के वन गमन की कथा का विस्तार से वर्णन मिलता है। यह कांड भगवान राम के वनवास के दौरान आने वाली चुनौतियों, संघर्षों, और उनकी वीरता का प्रमुख चित्रण करता है। इस कांड में मुख्य घटनाओं के रूप में सूर्पनखा का प्रसंग, सीता हरण, जटायु का बलिदान, और राम का सीता के वियोग में विलाप शामिल हैं। नीचे अरण्यकाण्ड से जुड़े घटनाक्रमों की विषय सूची दी गई है। आप जिस भी घटना के बारे में पढ़ना चाहते हैं उसकी लिंक पर क्लिक करें।
- मंगलाचरण,
- जयंत की कुटिलता और फल प्राप्ति
- अत्रि मिलन एवं स्तुति
- श्री सीता-अनसूया मिलन और श्री सीता जी को अनसूया का पतिव्रत धर्म कहना
- श्रीराम का आगे प्रस्थान, विराध - वध और शरभंग प्रसंग,
- राक्षस को मारने की प्रतिज्ञा, सुतीक्ष्ण का प्रेम, अगस्त्य मिलन,अगस्त्य संवाद
- राम का दंडक वन प्रवेश, जटायु मिलन, पंचवटी निवास और श्री राम-लक्ष्मण संवाद,
- शूर्पणखा की कथा, शूर्पणखा का खरदूषण के पास जाना और खर दूषणादि का वध
- शूर्पणखा का रावण के निकट जाना, श्री सीताजी का अग्नि प्रवेश और माया सीता,
- मारीच प्रसंग और स्वर्णमृग रूप में मारीच का मारा जाना
- श्री सीताहरण और श्री सीता विलाप
- जटायु-रावण-युद्ध, अशोक वाटिका में सीताजी को रखना
- श्री रामजी का विलाप,जटायु का प्रसंग, कबन्ध उद्धार
- शबरी पर कृपा, नवधा भक्ति उपदेश और पंपासर की ओर प्रस्थान,
- नारद-राम-संवाद,
- संतों के लक्षण और सत्संग भजन के लिए प्रेरणा,
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