शनि देवा के बारे अनेक स्तोत्र कवच आदि है
हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय और धर्म का प्रतीक माना जाता है. उन्हें कर्म, न्याय, और प्रतिशोध का देवता माना जाता है. शनि देव को गंभीर, कठोर, और अदृश्य कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, शनि देव ही एक ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा प्रेम के कारण नहीं बल्कि डर के कारण की जाती है. शनि देव को न्यायाधीश की उपाधि प्राप्त है. मान्यता है कि शनि देव व्यक्ति के कर्मों के मुताबिक उसे उचित फल और दंड देते हैं. जिन लोगों के ऊपर शनिदेव की टेढ़ी नज़र होती है, उनके ऊपर तमाम तरह की विपत्तियां आती हैं. शनिदेव की उपासना का महत्व विशेष रूप से शनि ग्रह के दोषों को दूर करने के लिए माना जाता है
शनिदेव को हिंदू पौराणिक कथाओं में सूर्य और छाया का पुत्र माना जाता है. शनिदेव की प्रतिमा में गहरे रंग की तलवार या डंडा (राजदंड) लिए हुए और कौवे पर बैठे हुए एक चित्र शामिल है
शनिदेव को शनिवार के दिन पूरे अनुष्ठान से पूजा की जाती है. इस दिन व्रत भी किया जाता है और सभी भक्त शनि मंदिर में जाकर शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाते हैं. शनिदेव को शमी के पत्ते, शमी के फूल, जड़ और उसका फल भी चढ़ाया जाता है. शमी के पौधे को जल चढ़ाने और उसके नीचे सरसों का दीपक जलाने से शनि देव खुश होते हैं.
[ शनैश्चर स्तवराज स्तोत्र ] [ पिप्पलाद ऋषि कृत श्री शनि स्तोत्रं ] [ दशरथकृत शनि स्तोत्र ]
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