संत कबीर साहेब जी के दोहे 1 - 912 तक
संत-कवि कबीर दास का जन्म 15वीं शताब्दी के मध्य में काशी (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) में हुआ था। कबीर के जीवन के विवरण कुछ अनिश्चित हैं। उनके जीवन के बारे में अलग-अलग विचार, विपरीत तथ्य और कई कथाएँ हैं। यहाँ तक कि उनके जीवन पर बात करने वाले स्रोत भी अपर्याप्त हैं। शुरुआती स्रोतों में ‘बीजक’ और ‘आदि ग्रंथ’ शामिल हैं। इसके अलावा, भक्त मल द्वारा रचित ‘नाभाजी’, मोहसिन फ़ानी द्वारा रचित ‘दबिस्तान-ए-तवारीख’, और ‘खज़ीनत उल-असफ़िया’ हैं।
संत कबीर साहेब को कबीर दास के नाम से भी जाना जाता है और कबीर साहेब का जन्म 1398 को वाराणसी में हुआ था और उनका पालन-पोषण नीरू और नीमा द्वारा एक मुस्लिम बुनकर परिवार में हुआ था। वह एक रहस्यवादी कवि और संगीतकार थे । वह हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण संतों में से एक थे और मुसलमानों द्वारा उन्हें सूफी भी माना जाता था। उनका हिंदू, मुस्लिम और सिख सभी सम्मान करते हैं।
कबीरदास जी न सिर्फ एक संत थे बल्कि वे एक विचारक और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए कई दोहे और कविताओं की रचना की। कबीरदास जी हिंदी साहित्य के ऐसे कवि थे, जिन्होंने समाज में फैले आडंबरों को अपनी लेखनी के जरिए उस पर कुठाराघात किया था।
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