भगवान सूर्य के बारे में अनेक स्तोत्र कवच आदि है
भगवान सूर्य हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवता है जिन्हें सूर्य देव भी कहा जाता है। वे सूर्यमंत्र, सूर्यनमस्कार और अन्य पूजा-अर्चना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सूर्य को जीवन का स्रोत माना जाता है और उनकी आराधना स्वास्थ्य, ऊर्जा, उज्ज्वलता और ज्ञान के प्रतीक के रूप में की जाती है। हिन्दू पौराणिक कथाओं में, सूर्य को कई देवताओं की पत्नी का पति और जीवन के संरक्षक के रूप में दिखाया गया है। उनके चारित्र, गुण, और शक्तियों का वर्णन विभिन्न पौराणिक ग्रंथों में किया गया है।
सूर्य देव का मंत्र "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" है और उनकी आराधना ध्यान, पूजा और मन्त्र जाप के माध्यम से की जाती है। सूर्य देव के नाम का जाप करने से सूर्य की कृपा प्राप्त होने की उम्मीद होती है और व्यक्ति के जीवन में ऊर्जा, शक्ति और ज्ञान की वृद्धि होने की कामना की जाती है। सूर्य के दर्शनीय रूपों की तरह, उनकी आदित्य होती है जिसका अर्थ होता है "अनादि" या "आदि रहित"। वे दिन के पहले ही समय में प्रकट होते हैं और रात को गुम हो जाते हैं। सूर्य न केवल हिन्दू धर्म में बल्कि अन्य धार्मिक परंपराओं में भी महत्वपूर्ण देवता हैं, उन्हें ग्रीक मिथोलॉजी में 'हेलिओस' के नाम से जाना जाता है और रोमन मिथोलॉजी में 'सोल' के रूप में पूजा जाता था।
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भगवान सूर्यदेव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता हैं। वेदों के अनुसार सूर्यदेव जगत की आत्मा हैं। भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देव हैं। वेदों, पुराणों व शास्त्रों में योग साधना में सूर्य नमस्कार का वर्णन मिलता है। ग्रहीय प्रभावों की यदि बात करें तो, सूर्य देव सर्वशक्तिमान हैं। सूर्य की कृपा पाने के लिए विभिन्न सूर्य मंत्रों सहित आदित्य हृदय स्त्रोत का तथा सूर्य चालीसा का पाठ किया जाता है। तथा सूर्य नमस्कार सहित सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्योपासना करने से सूर्य देव साधक पर प्रसन्न होकर अपनी शुभता प्रदान करते हैं, जिससे अनेकानेक शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
सूर्य पूजन हेतु रविवार के दिन का खास महत्व है। धार्मिक दृष्टि से सूर्यदेव जगत की रचना, पालन व संहार करने वाले परब्रह्म स्वरूप पंचदेवों में से एक हैं। नित्य की जाने वाली सूर्य आराधना यश, प्रतिष्ठा, स्वास्थ, यश, मान, कीर्ति सहित समस्त शुभ फलों की प्रदात्री मानी गई है। सूर्य को नित्य लाल पुष्प, रोली तथा गुड़ डालकर तांबे के लोटे से अर्घ्य दिया जाता है। नित्य प्रातःकाल उदित होते हुये सूर्य के दर्शन करने से तथा नमस्कार करने से आत्मविश्वास में तीव्र गति से वृध्दि होती है, तथा हर तरह से लाभ प्राप्ति की संभावनायें प्रबल होती हैं। भगवान सूर्य की उपासना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है, तथा साधक के समस्त मानसिक, वाचिक तथा शारीरिक पाप ताप नष्ट हो जाते हैं। जिससे अंतर आत्मा का शुध्दिकरण होता है।
🌺श्री सूर्यनारायणाय नमः।। जय सूर्य देव 🌞
आप सभी के जीवन में भगवान सूर्य के समान प्रकाश व्याप्त हो, जिससे आप दूसरों का जीवन भी आलोकित कर सकें।सूर्य पूजन हेतु रविवार के दिन का खास महत्व है। धार्मिक दृष्टि से सूर्यदेव जगत की रचना, पालन व संहार करने वाले परब्रह्म स्वरूप पंचदेवों में से एक हैं। नित्य की जाने वाली सूर्य आराधना यश, प्रतिष्ठा, स्वास्थ, यश, मान, कीर्ति सहित समस्त शुभ फलों की प्रदात्री मानी गई है।
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