श्री खाटू श्याम बाबा के बारे में सब कुछ
खाटू श्याम मंदिर एक ऐसा पवित्र स्थान है जो भगवान श्री कृष्ण के रूप में पूजा जाता है और भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद का आभास कराता है। मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसका निर्माण महाभारत काल में हुआ था, जब बर्बरीक नामक योद्धा, जिसे खाटू श्याम जी के रूप में भी जाना जाता है, महारथी योद्धा के रूप में प्रसिद्ध थे। राजस्थान के सीकर ज़िले के खाटू श्याम मंदिर का बहुत महत्व है. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से खाटू श्याम की पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन की परेशानियां खत्म होती हैं. खाटू श्याम मंदिर की पहचान बाबा के कई मंदिरों में सर्वोच्च है
खाटू श्याम जी की आरती / चालीसा
श्री खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास / महत्व / रहस्य / दर्शन कैसे करें,
श्री खाटू श्याम जी कथा / बर्बरीक बलिदान
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Khatu Shyam Baba Shayari Page -
खाटू श्याम के बारे में कुछ खास बातें:-
- पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से बताया जाता है. मध्यकालीन महाभारत के मुताबिक, खाटू श्याम, भीम के बेटे घटोत्कच और दैत्य मूर की बेटी मोरवी के बेटे थे !
- मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने युद्ध के बाद बर्बरीक के सिर को नदी रूपवती को समर्पित किया था! बर्बरीक की दानशीलता को देखकर भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न हुए थे और उन्हें वरदान दिया था कि कलियुग में वे श्याम के नाम से पूजे जाएंगे. इसलिए खाटू श्याम को कलयुग का अवतार भी कहा जाता है !
- खाटू श्याम का तात्पर्य है 'मां सैव्यम पराजित:' यानी जो हारे और निराश लोगों को साहरा देता हो !
- खाटू श्याम मंदिर की स्थापना फाल्गुन महीने में हुई थी. शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन, उस मंदिर में खाटू बाबा की मूर्ति स्थापित की गई थी. 1720 ईसापूर्व में, दीवान अभयसिंह ने इस मंदिर को पुनः निर्माण किया था !
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