दस महाविद्या

दस महाविद्या के बारे में अनेक स्तोत्र कवच आदि है

देवीभागवत पुराण के मुताबिक, जब भगवान शिव ने अपनी पत्नी सती को अपने पिता के यज्ञ में जाने से मना किया, तो सती क्रोधित हो गईं. शिव सती के उस रूप को देखकर भयभीत होकर भाग गए. तब सती ने दसों दिशाओं में दस रूप लिए और शिव के विरोध को हराकर यज्ञ में भाग ले गईं. जिन दिशाओं में शिव गए, उन दिशाओं में माता का एक-एक रूप प्रकट होकर उन्हें रोकता रहा. इस तरह दसों दिशाओं में माता के जो दस रूप दिखाई दिए, वे ही दस महाविद्याएं हैं
इन्हें महाविद्या का ही अवतार माना जाता है। तांत्रिक साधकों द्वारा इन्हें पूजा जाता है। माना जाता है कि यह अपने भक्तों की मनोकामनाएं तत्काल पूर्ण करतीं हैं। यह हैं दस महाविद्याएं: काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला। 
दस महाविद्याएं, आदि शक्ति माता पार्वती के रूप मानी जाती हैं. ये दसों महाविद्याएं विभिन्न दिशाओं की अधिष्ठातृ शक्तियां हैं. इनके नाम इस प्रकार हैं:



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