नवरात्रि के अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा से मिलते हैं चारों पुरुषार्थ - धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष | Navratri ke antim din Maa Siddhidatri kee pooja se milate hain chaaron purushaarth - dharm, arth, kaam, moksh

नवरात्रि के अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा से मिलते हैं चारों पुरुषार्थ - धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष

नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना का प्रतीक है, और इसके नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को चारों पुरुषार्थ - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि नवरात्रि के अंतिम दिन उनकी आराधना करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप

माँ सिद्धिदात्री माँ दुर्गा का नौवां स्वरूप हैं, जो सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। माँ का स्वरूप अष्टभुजी है और वे कमल पर विराजमान रहती हैं। उनकी चार भुजाओं में शंख, चक्र, गदा और कमल सुशोभित होते हैं। इनका वाहन सिंह है और इन्हें सिद्धियों की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।

चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति

भारतीय सनातन परंपरा में जीवन के चार मुख्य लक्ष्य बताए गए हैं, जिन्हें पुरुषार्थ कहा जाता है:

  1. धर्म: माँ सिद्धिदात्री की उपासना से व्यक्ति धर्मपरायण बनता है। सत्य, अहिंसा, करुणा और परोपकार की भावना उत्पन्न होती है।

  2. अर्थ: माता की कृपा से आर्थिक संपन्नता और समृद्धि प्राप्त होती है। व्यापार, नौकरी और व्यवसाय में उन्नति होती है।

  3. काम: जीवन की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।

  4. मोक्ष: अंततः माँ सिद्धिदात्री का आशीर्वाद मोक्ष प्राप्ति में सहायक होता है, जिससे जन्म-मरण के बंधनों से मुक्ति मिलती है।

माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि

नवरात्रि के नवमी तिथि पर माँ सिद्धिदात्री की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन हवन और कन्या पूजन का विशेष महत्व है।

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र को फूलों से सजाएं।

  2. दीपक जलाकर माता को गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

  3. माँ को भोग में हलवा, पूड़ी, चना, खीर और नारियल अर्पित करें।

  4. माँ के मंत्रों का जाप करें और सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ करें।

  5. हवन करें और अंत में कन्या पूजन कर उन्हें भोजन कराएं।

माँ सिद्धिदात्री के मंत्र

माँ सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी होता है:

  • बीज मंत्र:
“ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:”

इस मंत्र का जाप करने से साधक को सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

  • पूजा मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:”

यह मंत्र आध्यात्मिक ऊर्जा को जाग्रत करने में सहायक होता है।

  • स्तुति मंत्र:
“या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”

यह स्तुति माँ की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है।

माँ सिद्धिदात्री की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने भी सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए माँ सिद्धिदात्री की आराधना की थी। उनकी कृपा से ही शिव जी को आठों सिद्धियाँ प्राप्त हुईं और वे अर्धनारीश्वर स्वरूप में प्रकट हुए। इसी कारण माँ सिद्धिदात्री की पूजा साधना करने वालों, योगियों और तांत्रिकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

निष्कर्ष

माँ सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन करने से न केवल चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है, बल्कि भक्त के जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। उनकी कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। अतः श्रद्धालु भक्तों को इस पावन अवसर पर पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ माँ सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।

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