नवमी तिथि पर माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से मिलेगा देवी महालक्ष्मी का आशीर्वाद | Navamee tithi par Maa Siddhidatri kee pooja karane se milega devee mahaalakshmee ka aasheervaad

नवमी तिथि पर माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से मिलेगा देवी महालक्ष्मी का आशीर्वाद

नवरात्रि का नौवां दिन माँ सिद्धिदात्री की उपासना के लिए समर्पित होता है। इस दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से न केवल सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, बल्कि देवी महालक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप अष्टभुजाधारी है और वे कमल के पुष्प पर विराजमान होती हैं। यह दिन विशेष रूप से आध्यात्मिक शक्ति, समृद्धि और जीवन में उन्नति पाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

माँ सिद्धिदात्री का महत्व

माँ सिद्धिदात्री का नाम ही उनके स्वरूप को दर्शाता है – "सिद्धि" का अर्थ है दिव्य शक्तियाँ और "दात्री" का अर्थ है देने वाली। अतः, माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को अष्टसिद्धियाँ (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व) प्रदान करती हैं। इस दिन की पूजा से साधक को आत्मबल, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक जागृति प्राप्त होती है।

नवमी तिथि पर माँ सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व

  1. सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति – माँ सिद्धिदात्री की उपासना से भक्त को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, जिससे जीवन में सभी कार्य सहजता से पूर्ण होते हैं।

  2. यश, बल और धन की प्राप्ति – जो साधक नवमी तिथि पर माँ सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं, उन्हें यश, बल और धन की प्राप्ति होती है।

  3. देवी महालक्ष्मी का आशीर्वाद – माँ सिद्धिदात्री की आराधना करने से देवी महालक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और भक्त को धन-वैभव, सुख-शांति और समृद्धि का वरदान देती हैं।

  4. नकारात्मक ऊर्जा का नाश – माँ सिद्धिदात्री की कृपा से नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं का नाश होता है, जिससे जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।

  5. आध्यात्मिक उत्थान – माँ की उपासना करने से साधक के भीतर आत्मिक शक्ति का संचार होता है और वह ध्यान एवं योग साधना में सफलता प्राप्त करता है।

माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि

  1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र को मंदिर में स्थापित करें।

  3. चंदन, कुमकुम और हल्दी का तिलक करें।

  4. माँ के चरणों में पुष्प, नारियल, नैवेद्य, हलवा, खीर और मौसमी फल अर्पित करें।

  5. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और "ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।

  6. हवन करें और माँ की आरती करें।

  7. कन्या पूजन करें और उन्हें भोजन कराकर आशीर्वाद लें।

  8. अंत में प्रसाद सभी घर के सदस्यों में बांटें।

विशेष सावधानियाँ

  • नवमी तिथि के दिन लाल और गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

  • इस दिन हवन और विशेष पूजा करने से भक्त को माँ सिद्धिदात्री और देवी महालक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • माँ को खीर, पूड़ी, चना, हलवा, नारियल और मौसमी फल का भोग अवश्य लगाना चाहिए।

निष्कर्ष

नवरात्रि की नवमी तिथि माँ सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का सबसे उत्तम अवसर है। इस दिन उनकी विधिवत पूजा करने से भक्त को आध्यात्मिक शक्ति, सुख, समृद्धि और देवी महालक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। अतः, जो भी व्यक्ति नवमी तिथि पर माँ सिद्धिदात्री की आराधना करता है, उसका जीवन सुख, शांति और सफलता से भर जाता है।

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