नवरात्रि 2025: माँ सिद्धिदात्री की मंत्र, आरती और भोग का विशेष महत्व | Navratri 2025: Maa Siddhidatri kee mantr, aaratee aur bhog ka vishesh mahatv
नवरात्रि 2025: माँ सिद्धिदात्री की मंत्र, आरती और भोग का विशेष महत्व
नवरात्रि का अंतिम दिन अत्यंत पावन और शक्तिपूर्ण होता है। इस दिन देवी दुर्गा के नवें स्वरूप माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि नवमी (9वें दिन) को साधना, सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति हेतु अत्यंत फलदायी माना जाता है। जो भक्त माँ सिद्धिदात्री की भक्ति करते हैं, उन्हें सभी सिद्धियाँ सहज रूप में प्राप्त होती हैं। आइए जानें इस दिन की पूजा विधि, विशेष मंत्र, आरती और भोग की महिमा।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप और महत्व
माँ सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को देने वाली देवी हैं। इनका स्वरूप चार भुजाओं वाला होता है, जिनमें वे गदा, चक्र, शंख और कमल धारण करती हैं। सिंह पर सवारी करने वाली यह देवी भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने भी इनकी कृपा से अर्धनारीश्वर स्वरूप प्राप्त किया था।
माँ सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व
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नवरात्रि के अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा से समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
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साधक के आध्यात्मिक मार्ग में आने वाले सभी विघ्न दूर हो जाते हैं।
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यह दिन कन्या पूजन और समस्त कार्यों की सिद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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माँ सिद्धिदात्री की कृपा से ज्ञान, भक्ति और शक्ति की प्राप्ति होती है।
माँ सिद्धिदात्री के चमत्कारी मंत्र
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या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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ॐ सिद्धिदात्र्यै च विदमहे सर्वसिद्धि दायिनी च धीमहितन्नो भगवति प्रचोदयात्।
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ॐ आदिनारायण्यै च विदमहे सिद्धिदात्र्यै धीमहितन्नो भगवति प्रचोदयात्।
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ॐ ह्रीं श्रीं ऐं क्लीं सौ: त्रिभुवनमोहिनी सिद्धिदात्र्यैजगतजनन्यै नमः।
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ॐ श्रीं ह्रीं सिद्धिदात्री शक्ति रूपाय ह्रीं श्रीं ॐ।
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ॐ ऐं श्रीं ह्रीं सिद्धिदात्री महालक्ष्मी मम् सर्व कार्य सिद्धिम्देही देही नमः।
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ॐ ऐं ह्री श्रीं आदिलक्ष्मी महागौरी ह्रीं शिव शक्ति नमः।
इन मंत्रों का श्रद्धा पूर्वक जाप करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
माँ सिद्धिदात्री की आरती
माँ सिद्धिदात्री को लगाएं ये विशेष भोग
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हलवा-पूड़ी: यह भोग माँ को अत्यंत प्रिय है और इसे श्रद्धा से अर्पण करने पर घर में सुख-शांति बनी रहती है।
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काले चने: इसे माँ को अर्पित करना और कन्याओं को खिलाना विशेष फलदायी होता है।
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कन्या पूजन: 9 वर्ष तक की कन्याओं को देवी का रूप मानकर पूजा की जाती है। उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं।
नवरात्रि का समापन और दशहरा का आरंभ
माँ सिद्धिदात्री की पूजा और आरती के साथ ही नवरात्रि महोत्सव का समापन होता है। इसके अगले दिन दशहरा (विजयादशमी) मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
उपसंहार
नवरात्रि के नवें दिन माँ सिद्धिदात्री की उपासना से जीवन में सिद्धि, ज्ञान और शक्ति का संचार होता है। इस दिन किया गया पूजन विशेष फलदायी होता है। माँ की कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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