क्यों कहते हैं माँ शैलपुत्री को नवरात्रि की प्रथम देवी? जानिए रहस्य | Why is Maa Shailputri called the first goddess of Navratri? Know the secret
क्यों कहते हैं माँ शैलपुत्री को नवरात्रि की प्रथम देवी? जानिए रहस्य
देवी शैलपुत्री का वर्णन हमें ब्रह्म पुराण में मिलता है। पुराण के अनुसार, चैत्र प्रतिपदा के प्रथम सूर्योदय पर ब्रह्मा ने संसार की रचना की थी। इसी दिन श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था। नवरात्रि की प्रथम देवी शैलपुत्री को मानव मन और चंद्रमा पर अपनी सत्ता प्राप्त है। शैलपुत्री देवी पार्वती का ही एक रूप हैं, जो पर्वतराज हिमालय के घर जन्मी थीं।
माँ शैलपुत्री की विशेषता
नवरात्रि के पहले दिन पर्वतराज अपनी पुत्री का स्वागत कर उनकी पूजा करते थे। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन माँ के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। देवी शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य है-श्वेतवर्ण की देवी के सर पर स्वर्ण मुकुट सुशोभित है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का पुष्प है। उनका वाहन वृषभ (बैल) है।
माँ शैलपुत्री की पूजा का महत्व
सुख, सुविधा और संपत्ति की प्राप्ति: माँ शैलपुत्री की आराधना से व्यक्ति को सुख-समृद्धि एवं घर-परिवार में खुशहाली प्राप्त होती है।
मनोविकारों का नाश: इनकी पूजा से मानसिक तनाव, भय और नकारात्मकता दूर होती है।
सौभाग्य एवं समृद्धि: देवी को प्रसन्न करने से जीवन में सौभाग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
मूलाधार चक्र की जागृति: देवी की साधना से मूलाधार चक्र सक्रिय होता है, जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है।
चंद्र दोष का निवारण: माँ शैलपुत्री की उपासना से कुंडली में चंद्र ग्रह से संबंधित दोष समाप्त होते हैं।
माँ शैलपुत्री की पूजा विधि
सफेद वस्त्र धारण करें
देवी को सफेद फूल अर्पित करें
गाय के घी का दीपक जलाएँ
दूध, शहद और खोए की मिठाई का भोग लगाएँ
मंत्र जाप करें:
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:"
"वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥"
- ध्यान मंत्र: "वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्॥"
- स्तोत्र: "प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर तारणीम्। धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥"
"ॐ ओंकार में शिर पातु मूलाधार निवासिनी। हींकार, पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥"
माँ शैलपुत्री का आध्यात्मिक प्रभाव
नंदी नामक वृषभ पर सवार शैलपुत्री समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक मानी जाती हैं। उनके मंदिरों की स्थापना प्रायः दुर्गम स्थलों पर की जाती है ताकि वह स्थान सुरक्षित रह सके।
नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा करने से मनुष्य को मानसिक, भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
टिप्पणियाँ