नवरात्रि में क्या करें? कैसे करें पूजा? कैसे हो माँ भगवती खुश | Navratri mein kya karen? kaise karen pooja? kaise ho maan bhagavatee khush
नवरात्रि में क्या करें? कैसे करें पूजा? कैसे हो माँ भगवती खुश?
नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह नौ दिनों का पावन पर्व शक्ति संचय, आत्मशुद्धि और नवग्रहों की शांति के लिए उत्तम समय होता है।
नवदुर्गा और नवग्रहों का संबंध
आदिशक्ति के नौ रूप नवदुर्गा, नौ ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभाव को नियंत्रित करते हैं।
शैलपुत्री - सूर्य
चंद्रघंटा - केतु
कुष्माण्डा - चंद्रमा
स्कन्दमाता - मंगल
कात्यायनी - बुध
महागौरी - गुरु
सिद्धिदात्री - शुक्र
कालरात्रि - शनि
ब्रह्मचारिणी - राहु
नवग्रह शांति पूजा विधि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर व्यक्ति किसी न किसी ग्रह बाधा से पीड़ित रहता है। नवरात्रि के दौरान मंत्र, यंत्र या तंत्र से देवी दुर्गा की आराधना कर ग्रह दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है।
आराधना की विधि:
नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में माँ दुर्गा के सामने एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।
उस पर चावल के नौ खंड बनाकर कलश की स्थापना करें। ये नौ खंड नौ ग्रहों के प्रतीक होते हैं।
नवग्रहों के मंत्रों से पूजा करें और देवी से ग्रह दोषों से मुक्ति की प्रार्थना करें।
प्रथम दिन मंगल ग्रह, दूसरे दिन राहु, तीसरे दिन गुरु, चौथे दिन शनि, पांचवे दिन बुध, छठे दिन केतु, सातवें दिन शुक्र, आठवें दिन सूर्य और नवमी को चंद्र ग्रह की पूजा करें।
प्रत्येक दिन संबंधित ग्रह मंत्र की एक माला (पंचमुखी रुद्राक्ष से) और अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ करें।
दसवें दिन हवन करें और सभी ग्रहों के मंत्रों से 11-11 आहुतियाँ दें।
नवग्रह यंत्र को संभालकर पूजा घर में रखें जिससे ग्रह जनित बाधाएं समाप्त हों।
पूजा विधि
कलश स्थापना: मिट्टी अथवा धातु का कलश लें, गंगाजल और शुद्ध जल भरें, कुमकुम, अक्षत, रोली, मोली और पुष्प डालें। नारियल को लाल वस्त्र से लपेटकर कलश पर रखें और पूजा घर में स्थापित करें।
जव बोना: नवरात्रि व्रत रखने वाले मिट्टी के पात्र में जौ बोएं, इन्हें शुभ माना जाता है।
मूर्ति स्थापना: माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। साथ में दुर्गा यंत्र स्थापित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
अखंड ज्योति: नौ दिनों तक शुद्ध गाय के घी का दीपक जलता रहे।
पाठ: दुर्गा सप्तशती पाठ, कवच, किलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करें।
नेवेद्य प्रसाद: प्रत्येक दिन अलग-अलग प्रसाद का विधान है:
प्रतिपदा: घी अर्पण करने से रोग मुक्ति होती है।
द्वितीया: चीनी अर्पण करने से दीर्घायु प्राप्त होती है।
तृतीया: दूध अर्पण करने से दुखों का नाश होता है।
चतुर्थी: मालपुआ अर्पण करने से विघ्न दूर होते हैं।
पंचमी: केले अर्पण करने से बुद्धि का विकास होता है।
षष्ठी: मधु अर्पण करने से सौंदर्य बढ़ता है।
सप्तमी: गुड़ अर्पण करने से शोक से मुक्ति मिलती है।
अष्टमी: नारियल का भोग लगाने से संताप दूर होते हैं।
नवमी: हलवे का भोग लगाने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
कुमारी पूजन
अष्टमी और नवमी के दिन 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को घर बुलाकर उनकी पूजा करें और भोजन कराएं। यह माँ दुर्गा को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ माध्यम है।
नवरात्रि के दौरान विधिपूर्वक आराधना करने से माँ भगवती प्रसन्न होती हैं और साधक को शक्ति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
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