माँ स्कंदमाता कौन हैं? नवरात्रि में इनकी पूजा से क्या लाभ होता है | Maa Skandamata kaun hain? Navratri mein inakee pooja se kya laabh hota hai

माँ स्कंदमाता कौन हैं? नवरात्रि में इनकी पूजा से क्या लाभ होता है ?

नवरात्रि के पावन अवसर पर माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन नौ स्वरूपों में से पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की आराधना की जाती है। स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, जिनका स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और दिव्य होता है। इनका वाहन सिंह है, और वे कमल के आसन पर विराजमान होती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनके चार हाथ होते हैं - दो हाथों में कमल पुष्प सुशोभित रहते हैं, एक हाथ में भगवान कार्तिकेय और चौथा हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में होता है।

माँ स्कंदमाता की पूजा विधि

माँ स्कंदमाता की उपासना करने से साधक को अद्भुत आध्यात्मिक शांति, मोक्ष और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।

  2. माँ स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र स्थापित कर गंगाजल से उनका अभिषेक करें।

  3. माँ को पीले फूल, फल, मिठाई और पीले वस्त्र अर्पित करें।

  4. घी का दीपक जलाकर माता की आरती करें।

  5. माँ स्कंदमाता के मंत्रों का जप करें:

    मंत्र: "ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः"

  6. माँ दुर्गा सप्तशती या स्कंदमाता स्तुति का पाठ करें।

  7. अंत में, माता से परिवार और जीवन में सुख-शांति की प्रार्थना करें और भक्तों में प्रसाद वितरित करें।

माँ स्कंदमाता की पूजा से क्या लाभ होता है?

माँ स्कंदमाता की पूजा करने से भक्त को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं:

  • संतान सुख: निःसंतान दंपतियों के लिए माँ स्कंदमाता की उपासना अत्यंत फलदायी मानी जाती है।

  • आध्यात्मिक उन्नति: माँ की कृपा से साधक का मन पवित्र और निर्मल बनता है, जिससे वह आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है।

  • संकटों से मुक्ति: माँ स्कंदमाता अपने भक्तों को सभी प्रकार के दुख, कष्ट और भय से मुक्त करती हैं।

  • धन, वैभव और समृद्धि: माँ की कृपा से भक्त के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

  • मानसिक शांति: माँ स्कंदमाता की पूजा से मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है, जिससे तनाव और चिंता दूर होते हैं।

माँ स्कंदमाता की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, तारकासुर नामक असुर को यह वरदान प्राप्त था कि केवल भगवान शिव का पुत्र ही उसका वध कर सकता है। तब देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह किया और भगवान कार्तिकेय (स्कंद) का जन्म हुआ। भगवान कार्तिकेय ने बड़े होकर तारकासुर का वध किया और देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्त किया। माता पार्वती के इसी स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है।

निष्कर्ष

माँ स्कंदमाता की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है। इनकी उपासना से भक्त को शांति, संतोष, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। यह माता भक्तों को उनके सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन में सफलता प्रदान करती हैं। माँ स्कंदमाता की कृपा से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं और जीवन सुखमय बनता है।

जय माँ स्कंदमाता!

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