माँ स्कंदमाता का यह मंत्र करने से दूर होंगे सारे संकट | Maa Skandamata ka yah mantr karane se door honge saare sankat

माँ स्कंदमाता का यह मंत्र करने से दूर होंगे सारे संकट

नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। भगवान स्कंद, जिन्हें कुमार कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है, देवासुर संग्राम के दौरान देवताओं के सेनापति थे। भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है। माँ स्कंदमाता की पूजा करने से साधक का मन समस्त लौकिक, सांसारिक और मायिक बंधनों से मुक्त हो जाता है।


माँ स्कंदमाता के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र

माँ स्कंदमाता को शक्ति और समृद्धि की देवी माना जाता है। इनके स्वयं सिद्ध बीज मंत्रों में विशेष शक्ति, सुरक्षा और आशीर्वाद निहित होते हैं।

बीज मंत्र:

"ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:"
  • मंत्र का अर्थ:

"हे देवी, जो शक्ति और समृद्धि की स्वामिनी हैं, आपको मेरा नमन।" इस मंत्र के जाप से माँ की कृपा प्राप्त होती है और भक्त के जीवन में सकारात्मकता का प्रसार होता है। यह मंत्र देवी शक्ति का प्रतीक है, जो आत्मिक और भौतिक दोनों रूपों में समृद्धि और कल्याण लाता है।


माँ स्कंदमाता का पूजन मंत्र

"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नम:"

  • मंत्र का अर्थ:

"हे स्कंदमाता, जो ज्ञान और समृद्धि की स्वामिनी हैं, आपको मेरा नमन।" यह मंत्र देवी स्कंदमाता की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से शक्ति, ज्ञान और समृद्धि के लिए उच्चारित किया जाता है।


माँ स्कंदमाता ध्यान मंत्र

"या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।"

  • मंत्र का अर्थ:

"जो देवी सभी प्राणियों में स्थित हैं और माँ स्कंदमाता के रूप में पूजनीय हैं, उन्हें बार-बार नमन है।" यह मंत्र माँ स्कंदमाता की महिमा और उनकी शक्ति को स्वीकार करता है। भक्त इस मंत्र के जाप से माता से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी स्तुति करते हैं।


मंत्र जाप विधि

  • माँ स्कंदमाता के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र की एक माला (108 बार) जाप करना चाहिए।

  • माँ के मंत्रों की माला का जाप करने से रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं

  • मंत्र जाप से मानसिक शांति, आत्मिक बल और संकटों से मुक्ति मिलती है


माँ स्कंदमाता की स्वरूप विशेषताएँ

माँ दुर्गा का पाँचवाँ स्वरूप माँ स्कंदमाता हैं।

  • यह चार भुजाओं वाली देवी हैं।

  • माँ कमल के पुष्प पर बैठी होती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।

  • माँ स्कंदमाता की गोद में भगवान कार्तिकेय भी विराजमान होते हैं।

  • माँ की आराधना से संतान सुख की प्राप्ति होती है।


माँ स्कंदमाता की आराधना का महत्व

  • माँ स्कंदमाता की भक्ति से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है

  • माँ के आशीर्वाद से भक्त के सारे संकट समाप्त हो जाते हैं

  • माँ की पूजा करने से भक्त को सांसारिक मोह-माया से मुक्ति मिलती है

  • उनकी कृपा से भक्त को ज्ञान, वैराग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है

हर मनुष्य को एकाग्र भाव से मन को पवित्र रख माँ की शरण में आना चाहिए। इससे मनुष्य तमाम भौतिक दुखों से मुक्त होकर बैकुंठ जाता है

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