माँ शैलपुत्री की विशेष पूजा से होंगे सभी ग्रह दोष समाप्त | Maa Shailputri kee vishesh pooja se honge sabhee grah dosh samaapt

माँ शैलपुत्री की विशेष पूजा से होंगे सभी ग्रह दोष समाप्त

नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्र ग्रह से जुड़े दोष दूर होते हैं और जीवन में स्थिरता आती है, साथ ही वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

माँ शैलपुत्री की पूजा का महत्व

  1. चंद्र ग्रह से संबंधित दोषों का निवारण: नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्र ग्रह से जुड़े सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं।

  2. वैवाहिक जीवन में सुख: माता शैलपुत्री की पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

  3. घर में खुशहाली: इनकी पूजा से घर में खुशहाली और सकारात्मकता आती है।

  4. मूलाधार चक्र की जागृति: माँ शैलपुत्री की पूजा से मूलाधार चक्र जागृत होता है, जो बहुत ही शुभ माना जाता है।

  5. सौभाग्य की प्राप्ति: माँ शैलपुत्री की पूजा से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

  6. मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं: मान्यता है कि जो कोई भी श्रद्धा और विधि-विधान से माँ शैलपुत्री की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और उसे हर प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है।

देवी शैलपुत्री का स्वरूप

  • पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने की वजह से मां दुर्गा के इस रूप को शैलपुत्री कहा जाता है।

  • माँ शैलपुत्री की सवारी बैल (वृषभ) है।

  • माता शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है, जबकि बाएं हाथ में कमल का फूल है।

पूजा विधि

  1. स्नान और वस्त्र: प्रातः स्नान करें और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।

  2. प्रतिमा स्थापना: माँ शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र को चौकी पर स्थापित करें।

  3. कलश स्थापना: शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें।

  4. पूजन सामग्री: सफेद फूल, चावल, रोली, अक्षत, कुमकुम, धूप, दीपक, घी, फल और प्रसाद अर्पित करें।

  5. माँ शैलपुत्री की आरती करें और भोग अर्पित करें।

  6. दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

भोग

माँ शैलपुत्री को सफेद रंग की चीजें पसंद हैं, इसलिए उन्हें खीर, सफेद बर्फी, या गाय के घी से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं।

फूल

माँ शैलपुत्री को सफेद रंग के फूल अर्पित करें।

महामंत्र
  1. "ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:"

  2. "वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥"

  3. "या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥"

निष्कर्ष

माँ शैलपुत्री की पूजा से जीवन में सकारात्मकता, सौभाग्य और सुख-शांति का संचार होता है। विशेष रूप से, जिन लोगों की कुंडली में चंद्र ग्रह से जुड़े दोष होते हैं, उनके लिए यह पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। माता की कृपा से सभी संकटों का नाश होता है और साधक को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

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