माँ कूष्माण्डा को क्यों प्रिय हैं मालपुआ और पेठा? जानिए उनका महत्व | Maa Kushmanda ko kyon priy hain maalapua aur petha? jaanie unaka mahatv

माँ कूष्माण्डा को क्यों प्रिय हैं मालपुआ और पेठा? जानिए उनका महत्व

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा का विशेष महत्व होता है। माँ कूष्माण्डा सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली शक्ति मानी जाती हैं। कहा जाता है कि जब सृष्टि में अंधकार था, तब माँ कूष्माण्डा ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। उन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है क्योंकि उनके आठ हाथ होते हैं। भक्तजन उनकी कृपा पाने के लिए विशेष रूप से मालपुआ और पेठा का भोग लगाते हैं। आइए जानें कि माँ कूष्माण्डा को यह भोग क्यों प्रिय है और इसका धार्मिक महत्व क्या है।

मालपुआ और पेठा का महत्व

माँ कूष्माण्डा को कद्दू (कुम्हड़ा) अत्यंत प्रिय है और इसी कारण उनके भोग में इससे बने व्यंजन शामिल किए जाते हैं। मालपुआ और पेठा मुख्य रूप से आटे, दूध और चीनी से तैयार किए जाते हैं, जो माँ को अर्पित करने के लिए अत्यंत उपयुक्त माने जाते हैं।

1. मालपुआ का महत्व

  • मालपुआ एक मीठा व्यंजन है, जिसे विशेष रूप से नवरात्रि और अन्य धार्मिक अवसरों पर तैयार किया जाता है।

  • इसे दूध, मैदा और चीनी से बनाया जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा और सात्विकता का प्रतीक माना जाता है।

  • इसे माँ कूष्माण्डा को अर्पित करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

2. पेठा का महत्व

  • पेठा एक विशेष मिठाई है, जो कद्दू (कुम्हड़ा) से बनाई जाती है।

  • माँ कूष्माण्डा को कद्दू अत्यंत प्रिय है, इसलिए इसे उनके भोग में शामिल किया जाता है।

  • मान्यता है कि पेठा का भोग लगाने से मानसिक शांति मिलती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  1. स्नान और पूजा स्थल की तैयारी:

    • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

    • नीले या बैंगनी रंग के वस्त्र धारण करें।

    • पूजा स्थल को स्वच्छ करें और माँ कूष्माण्डा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

  2. कलश स्थापना और पूजा सामग्री:

    • माँ कूष्माण्डा की पूजा के लिए कलश की स्थापना करें।

    • पंचामृत से माँ का अभिषेक करें।

    • चमेली या पीले रंग के फूल अर्पित करें।

  3. मंत्र जाप:

    • "ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः" मंत्र का 108 बार जप करें।

    • बीज मंत्र: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः"।

  4. भोग अर्पण:

    • माँ को मालपुआ और पेठा का भोग लगाएं।

    • इसके साथ-साथ फल, मिठाई और सूखे मेवे भी अर्पित करें।

    • भोग के बाद आरती करें और परिवार के सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।

माँ कूष्माण्डा की कृपा से प्राप्त होने वाले लाभ

  • जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

  • भय और रोगों का नाश होता है।

  • आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

  • धन-धान्य की वृद्धि होती है।

  • मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि होती है।

निष्कर्ष

माँ कूष्माण्डा की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है। विशेष रूप से मालपुआ और पेठा का भोग लगाने से माँ प्रसन्न होती हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर माँ कूष्माण्डा की विधिवत पूजा करें और उनके दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।

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