माँ कूष्माण्डा की पूजा से खुलेंगे भाग्य के द्वार, जानें उनके प्रिय भोग और मंत्र | Maa Kushmanda kee pooja se khulenge bhaagy ke dvaar, jaanen unake priy bhog aur mantr

माँ कूष्माण्डा की पूजा से खुलेंगे भाग्य के द्वार, जानें उनके प्रिय भोग और मंत्र

माँ कूष्माण्डा देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं। यह देवी आदिशक्ति का अति मंगलमय स्वरूप मानी जाती हैं। मान्यता है कि इनकी आराधना से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और भाग्य के द्वार खुलते हैं। माँ कूष्माण्डा अपने भक्तों की समस्त बाधाओं को दूर करती हैं और उन्हें निरोगी, ऐश्वर्यवान तथा शक्ति सम्पन्न बनाती हैं।

माँ कूष्माण्डा की महिमा

माँ कूष्माण्डा को ब्रह्मांड की सृजनकर्ता माना जाता है। उनके नाम का अर्थ है – ‘कूष्म’ अर्थात छोटा, ‘अण्ड’ अर्थात ब्रह्मांड, यानी वह देवी जिन्होंने अपनी मंद मुस्कान से इस ब्रह्मांड की रचना की। वे अष्टभुजा धारी हैं और सिंह पर सवार रहती हैं।

माँ कूष्माण्डा का प्रिय भोग

माँ कूष्माण्डा को पेठा (कुम्हड़ा) अत्यंत प्रिय है। इसलिए भक्तजन नवरात्रि में माँ को पेठे का भोग लगाते हैं। इसके अलावा, माँ को मालपुए, दही, हलवा और गुड़ से बने व्यंजन भी अर्पित करने से देवी प्रसन्न होती हैं।

माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. माँ की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करें।

  3. माँ कूष्माण्डा को पुष्प, फल, पेठा, मालपुआ और मिठाइयों का भोग लगाएं।

  4. माँ को पीले वस्त्र अर्पित करें क्योंकि उन्हें पीला रंग विशेष प्रिय है।

  5. धूप-दीप जलाकर माँ की स्तुति करें और मंत्र जाप करें।

माँ कूष्माण्डा के मंत्र

बीज मंत्र:

॥ कुष्मांडा: ऐं ह्रीं देव्यै नम: ॥

पूजा मंत्र:

॥ ॐ कुष्माण्डायै नम: ॥

ध्यान मंत्र:

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

पीले रंग का महत्व

माँ कूष्माण्डा की पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व है। इसलिए भक्तों को नवरात्रि में माँ की पूजा करते समय पीले वस्त्र पहनने चाहिए और पीले रंग के फूल अर्पित करने चाहिए। इससे देवी प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

माँ कूष्माण्डा की कृपा प्राप्त करने के उपाय

  1. नवरात्रि में माँ कूष्माण्डा की पूजा सूर्योदय के समय करें।

  2. रविवार के दिन गुड़ और गेहूं का दान करें।

  3. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

  4. प्रतिदिन "ॐ आदिशक्त्यै नमः" मंत्र का जाप करें।

  5. माँ को फल और मिठाई का भोग लगाकर गरीबों में वितरित करें।

निष्कर्ष

माँ कूष्माण्डा की उपासना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भाग्य के द्वार खुलते हैं। माँ की कृपा से सभी कष्टों का निवारण होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस नवरात्रि माँ कूष्माण्डा की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपना जीवन सफल बनाएं।

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