चैत्र नवरात्रि में माँ स्कंदमाता की उपासना क्यों है विशेष? जानें पूरा रहस्य | Chaitra Navratri Mein Maa Skandamata kee upaasana kyon hai vishesh? jaanen poora rahasy
चैत्र नवरात्रि में माँ स्कंदमाता की उपासना क्यों है विशेष? जानें पूरा रहस्य!
नवरात्रि का पावन पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए समर्पित होता है। चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की उपासना की जाती है। माँ स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय की माता हैं, जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से संतान सुख, ज्ञान, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस लेख में हम माँ स्कंदमाता की उपासना के महत्व, उनके पूजन विधि, और उनके रहस्य को विस्तार से जानेंगे।
माँ स्कंदमाता कौन हैं?
माँ स्कंदमाता माँ दुर्गा का पाँचवाँ स्वरूप हैं। वे चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिनमें दो हाथों में कमल के पुष्प हैं, एक हाथ वरद मुद्रा में है और एक हाथ में भगवान कार्तिकेय (स्कंद) को गोद में धारण किए हुए हैं। माँ स्कंदमाता सिंह पर सवार हैं और उनकी उपासना से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
चैत्र नवरात्रि में माँ स्कंदमाता की उपासना क्यों है विशेष?
संतान सुख की प्राप्ति: माँ स्कंदमाता को संतान सुख की देवी माना जाता है। उनकी कृपा से निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
ज्ञान और बुद्धि का विकास: माँ स्कंदमाता ज्ञान और बुद्धि की देवी भी मानी जाती हैं। इनकी पूजा से व्यक्ति में विवेक, ज्ञान और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
रोगों से मुक्ति: माँ स्कंदमाता की कृपा से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
विवाह में आ रही रुकावटें होती हैं दूर: विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए माँ स्कंदमाता की उपासना अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
मोक्ष की प्राप्ति: माँ स्कंदमाता की पूजा करने से साधक को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है और वह सांसारिक दुखों से मुक्त हो सकता है।
अलौकिक तेज और कांति: माँ स्कंदमाता सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, अतः उनकी उपासना से व्यक्ति में अद्भुत तेज और आभा उत्पन्न होती है।
माँ दुर्गा के ममतामयी स्वरूप की आराधना: माँ स्कंदमाता माँ दुर्गा के ममतामयी स्वरूप की प्रतीक हैं, जिनकी उपासना से भक्तों को दिव्य कृपा प्राप्त होती है।
भगवान कार्तिकेय की पूजा का भी लाभ: स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय की कृपा भी अपने आप प्राप्त हो जाती है।
सुख-समृद्धि की प्राप्ति: माँ स्कंदमाता की उपासना से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
सभी इच्छाओं की पूर्ति: माँ स्कंदमाता की आराधना से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
माँ स्कंदमाता की पूजा विधि
स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
कलश स्थापना करें और माँ दुर्गा का ध्यान करें।
माँ स्कंदमाता को पीले और सफेद फूल अर्पित करें।
धूप-दीप जलाकर माँ की स्तुति करें।
माँ स्कंदमाता के बीज मंत्र का जाप करें: मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नम:
माँ को भोग अर्पित करें और आरती करें।
माँ से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
माँ स्कंदमाता के चमत्कारी मंत्र
बीज मंत्र: मंत्र: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम: अर्थ: "हे देवी, जो शक्ति और समृद्धि की स्वामिनी हैं, आपको मेरा नमन।"
स्तोत्र मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ: "जो देवी सभी प्राणियों में माँ स्कंदमाता के रूप में स्थित हैं, उन्हें बार-बार नमन।"
निष्कर्ष
चैत्र नवरात्रि में माँ स्कंदमाता की उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है। उनकी कृपा से भक्तों को संतान सुख, ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। उनकी आराधना करने से सभी संकटों का नाश होता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
इस नवरात्रि माँ स्कंदमाता की उपासना करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भरपूर बनाएं। जय माँ स्कंदमाता!
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