चार नवरात्रि और उनका आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक महत्व | chaar navaraatri aur unaka aadhyaatmik evan vyaavahaarik mahatv

चार नवरात्रि और उनका आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक महत्व

हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि होती हैं - चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ नवरात्रि, आश्विन नवरात्रि, माघ नवरात्रि। धार्मिक दृष्टि से ये चारों नवरात्रि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के प्रतीक माने जाते हैं। इन नवरात्रियों के दौरान रखे गए व्रत, संयम, उपवास, संकल्प, आचरण और ब्रह्मचर्य पालन का मनुष्य के आध्यात्मिक उत्थान में विशेष महत्व होता है।

लोकप्रिय नवरात्रि

हिंदू लोक परंपरा में मुख्य रूप से दो नवरात्रि अधिक प्रचलित हैं – चैत्र नवरात्रि और आश्विन नवरात्रि।

  1. चैत्र नवरात्रि – चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के प्रारंभिक नौ दिनों में मनाई जाती है और इसे वासंतिक नवरात्रि भी कहा जाता है। इस नवरात्रि में शक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।

  2. आश्विन नवरात्रि – आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होकर नौ दिनों तक चलने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इसमें मुख्य रूप से शक्ति की उपासना की जाती है।

शक्ति साधना का महत्व

हिंदू धर्म में शक्ति का प्रमुख स्थान है। देवी पुराण के अनुसार, सृष्टि की रचना से पहले मूल शक्ति ही विद्यमान थी और उसी से सृष्टि का निर्माण हुआ। देवी स्वयं कहती हैं –

"मैं ही ब्रह्म स्वरूपा हूं। मुझसे ही यह समस्त जगत उत्पन्न हुआ है। मैं ही पंच महाभूतों (पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि, वायु) में व्याप्त हूं।"

तंत्र ग्रंथों में भी कहा गया है कि –

"जो शिव हैं, वही दुर्गा हैं, और जो दुर्गा हैं, वही विष्णु हैं।" इस प्रकार शिव, विष्णु और शक्ति को एक रूप में देखने की परंपरा है।

नवरात्रि और ऋतु परिवर्तन

चारों नवरात्रि मौसम के बदलाव और दो ऋतुओं के मिलन काल में आती हैं। इस समय प्राणियों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और रोगाणुओं के बढ़ने की संभावना रहती है। नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष आहार और उपवास रखने की परंपरा इसलिए बनाई गई ताकि शरीर को बदलते मौसम के अनुरूप ढाला जा सके।

आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  1. आध्यात्मिक रूप से – नवरात्रि आत्मशुद्धि और साधना का विशेष काल है।

  2. वैज्ञानिक रूप से – ऋतु परिवर्तन में उपवास और विशेष आहार शरीर को स्वस्थ रखते हैं।

नवरात्रि – आत्मोत्थान का अवसर

नवरात्रि न केवल शक्ति की उपासना का पर्व है बल्कि यह आत्मोत्थान का भी श्रेष्ठ अवसर है। इन चार नवरात्रियों में मनुष्य नई शक्ति, नए विचार, नया चिंतन, नया दर्शन और नई ऊर्जा से अपने जीवन को उत्सवमय बना सकता है। इन नौ दिनों में की गई आराधना और साधना मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के लक्ष्य तक पहुँचाने में सहायक होती है।

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