अगर माँ स्कंदमाता की पूजा में कर दी ये गलती, तो नहीं मिलेगा पूरा फल | Agar Maa Skandmataa kee pooja mein kar dee ye galatee, to nahin milega poora phal

अगर माँ स्कंदमाता की पूजा में कर दी ये गलती, तो नहीं मिलेगा पूरा फल

माँ दुर्गा के पाँचवें स्वरूप के रूप में माँ स्कंदमाता की उपासना नवरात्रि के पाँचवें दिन की जाती है। इनकी पूजा से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है, लेकिन यदि पूजा में कुछ गलतियाँ हो जाएँ, तो इसका पूर्ण फल नहीं मिल पाता। इसलिए आवश्यक है कि पूजा में विशेष सावधानियाँ बरती जाएँ। आइए जानते हैं कि माँ स्कंदमाता की पूजा में किन गलतियों से बचना चाहिए।

माँ स्कंदमाता की पूजा में न करें ये गलतियाँ:

  • अपवित्र स्थान पर न करें पूजा

माँ स्कंदमाता की पूजा हमेशा स्वच्छ और पवित्र स्थान पर करें। अशुद्ध या गंदे स्थान पर पूजा करने से देवी अप्रसन्न हो सकती हैं।

  • अशुद्ध शरीर से पूजा न करें

स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण किए बिना देवी की पूजा नहीं करनी चाहिए। अपवित्र शरीर से पूजा करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिलता।

  • तुलसी पत्ते का प्रयोग न करें

माँ दुर्गा की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित होता है। यदि माँ स्कंदमाता की पूजा में तुलसी चढ़ाई जाती है, तो इससे देवी अप्रसन्न हो सकती हैं।

  • पूजा सामग्री में लापरवाही न बरतें

पूजा के दौरान उपयोग की जाने वाली सामग्री जैसे फूल, जल, चंदन, अक्षत आदि शुद्ध और ताजे होने चाहिए। मुरझाए हुए फूल या अशुद्ध जल से पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

  • मानसिक एकाग्रता भंग न करें

पूजा के समय मन को शांत और एकाग्र रखना आवश्यक है। यदि पूजा के दौरान मन चंचल रहेगा या पूजा में लापरवाही होगी, तो इसका प्रभाव पूजा के फल पर पड़ेगा।

  • पूजा विधि का सही पालन करें

पूजा विधि में किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं होनी चाहिए। मंत्रों का सही उच्चारण और विधिपूर्वक आरती करना आवश्यक है।

  • बिना भक्ति और श्रद्धा के पूजा न करें

माँ स्कंदमाता की पूजा केवल औपचारिकता के रूप में न करें। सच्चे मन, श्रद्धा और समर्पण के साथ की गई पूजा ही फलदायी होती है।

  • फलाहार में गलत चीजों का सेवन न करें

नवरात्रि व्रत के दौरान लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है। यदि पूजा करने के बाद इनका सेवन किया जाए, तो इसका असर पूजा के फल पर पड़ सकता है।

  • क्रोध और अहंकार से बचें

पूजा के दौरान या उसके बाद क्रोध, अहंकार और बुरे विचारों से बचें। माँ स्कंदमाता दया और करुणा की देवी हैं, इसलिए अपने मन को भी शुद्ध रखना चाहिए।

  • समय का ध्यान रखें

माँ स्कंदमाता की पूजा का सर्वोत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त या फिर सुबह का समय होता है। यदि पूजा देर से या गलत समय पर की जाए, तो इसका प्रभाव कम हो सकता है।

निष्कर्ष:

माँ स्कंदमाता की पूजा भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाती है, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि पूजा विधि में किसी भी प्रकार की लापरवाही न की जाए। उपरोक्त बताई गई गलतियों से बचकर यदि सही विधि से माँ की उपासना की जाए, तो निश्चित ही माँ स्कंदमाता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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