पुत्री की ओर बार-बार अवलोकन करने से ब्रह्मा दोषी क्यों नहीं हुए? – मनु के प्रश्न का मत्स्यभगवान का उत्तर | putree kee or baar-baar avalokan karane se brahma doshee kyon nahin hue? – manu ke prashn ka matsyabhagavaan ka uttar |
पुत्री की ओर बार-बार अवलोकन करने से ब्रह्मा दोषी क्यों नहीं हुए? – मनु के प्रश्न का मत्स्यभगवान का उत्तर
इस संवाद में मनु ने भगवान से पूछा कि ब्रह्मा ने अपनी पुत्री को बार-बार क्यों देखा, जबकि यह एक कष्टकारी विषय है, फिर भी उन्हें दोष क्यों नहीं लगा। इस पर मत्स्यभगवान ने विस्तृत उत्तर दिया, जो धार्मिक और सृष्टि के गहरे सिद्धांतों पर आधारित है।
मत्स्यभगवान का उत्तर:
मत्स्यभगवान ने कहा कि आदिसृष्टि की प्रकृति दिव्य और रजोगुण से उत्पन्न है, और इस प्रकार की सृष्टि के कृत्य और कर्म में भूतकाल के सिद्धांतों का पालन किया जाता है। ब्रह्मा के द्वारा किए गए कर्म की विशेषता यह है कि वह दिव्य हैं और उनके कृत्य मानवों के समझ से बाहर हैं। शतरूपा या गायत्री देवी, जो ब्रह्मा के अंग से उत्पन्न हुईं, एक दिव्य रूप में विद्यमान हैं। उनके बारे में सोचने और समझने में मानव सीमित हैं। इस प्रकार, ब्रह्मा द्वारा किए गए कृत्य में कोई दोष नहीं है, क्योंकि वे दिव्य और उच्चतम श्रेणी के देवता हैं।
इसके बाद, मत्स्यभगवान ने ब्रह्मा के दोष से मुक्ति की प्रक्रिया का भी वर्णन किया। ब्रह्मा, जिन्होंने अपने कर्मों पर पछताया और कुकर्म के लिए कामदेव को शाप दिया, वह बाद में कामदेव के अनुरोध पर उन्हें शाप से मुक्त कर देते हैं। भगवान ब्रह्मा ने कहा कि जब श्रीराम और श्रीकृष्ण के रूप में पुनः अवतार होंगे, तब कामदेव उन्हीं के परिवार में जन्म लेंगे और सृष्टि का हिस्सा बनेंगे।
मनु का संशय:
मनु के मन में इन घटनाओं को लेकर कुछ संदेह उत्पन्न हुआ और उन्होंने पूछा कि ब्रह्मा ने कामदेव को किस कारण और किस रूप में जलाया, और किस प्रकार के परिवार में कामदेव का पुनः जन्म हुआ। इसके अलावा, मनु ने यह भी पूछा कि कैसे पहले के समय में वैवस्वत मन्वन्तर में श्रीराम के साथ कामदेव का संबंध था और किस प्रकार के अन्य महत्वपूर्ण सृष्टि के प्रारंभ की घटनाएँ घटी थीं।
मत्स्यभगवान का विस्तृत उत्तर:
मत्स्यभगवान ने मनु को सृष्टि के विभिन्न पहलुओं का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने ब्रह्मा के द्वारा उत्पन्न शतरूपा और अन्य संतानों की रचनाओं का उल्लेख किया। इन संतानों से सृष्टि की रचनाएँ हुईं, और इसके साथ ही सृष्टि के आदिपुरुष के सिद्धांत को समझाया। वामदेव, ब्राह्मा के अनुशासन में रहते हुए विभिन्न प्राणियों और शास्त्रों की रचना करते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि मनु के समय में एक नया परिवार उत्पन्न हुआ, जिसमें पुत्रों का जन्म हुआ और जो धर्म के अनुसार सृष्टि के विकास में योगदान देते थे। मनु की पुत्री ने विभिन्न संतानें उत्पन्न की, जिनमें प्रमुख रूप से ध्रुव और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे।
निष्कर्ष:
इस प्रकार मत्स्यभगवान ने ब्रह्मा द्वारा किए गए कृत्य और उनके कर्मों को एक दिव्य दृष्टिकोण से स्पष्ट किया। ब्रह्मा के कार्यों का विश्लेषण करते हुए उन्होंने यह समझाया कि इन दिव्य कार्यों में कोई दोष नहीं था और वे स्वयं एक उच्चतम स्तरीय देवता के रूप में कार्य कर रहे थे। इसके साथ ही सृष्टि के विभिन्न पहलुओं, परिवारों और संतानों की उत्पत्ति के बारे में भी गहरे ज्ञान की जानकारी दी।
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