महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल चढ़ाने की विधि | mahaashivaraatri par shivaling par jal chadhaane kee vidhi

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल चढ़ाने की विधि

शिवलिंग पर जल अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लेकिन जल चढ़ाने की भी एक विशेष विधि होती है, जिसका पालन करना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं शिवलिंग पर जल चढ़ाने की सही विधि:

शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम

  1. पात्र का चुनाव: शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे, चाँदी या कांसे के पात्र का उपयोग करें। स्टील, प्लास्टिक या लोहे के बर्तनों का प्रयोग वर्जित है।

  2. गंगाजल का मिश्रण: जल में गंगाजल अवश्य मिलाएं, इससे जल पवित्र हो जाता है।

  3. जल अर्पण की गति: शिवलिंग पर जल कभी भी तेजी से नहीं चढ़ाना चाहिए। एक धीमी धारा में जल अर्पण करना शुभ माना जाता है।

  4. तुलसी का प्रयोग वर्जित: शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कभी भी तुलसी का उपयोग न करें, क्योंकि भगवान शिव को तुलसी अर्पित करना शास्त्रों में वर्जित है।

  5. दिशा का ध्यान रखें: जल चढ़ाते समय दक्षिण दिशा की ओर खड़े होकर जल अर्पित करें, जिससे आपका मुख उत्तर दिशा में रहेगा। उत्तर दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है।

  6. पश्चिम दिशा में जल अर्पण न करें: पश्चिम दिशा में भगवान शिव की पीठ होती है, इसलिए इस दिशा में खड़े होकर जल अर्पण करने से फल प्राप्त नहीं होते।

शिवलिंग पर जल चढ़ाने की क्रमबद्ध विधि

  1. सबसे पहले गणेश जी पर जल चढ़ाएं।

  2. उसके बाद माता पार्वती को जल अर्पित करें।

  3. फिर भगवान कार्तिकेय पर जल चढ़ाएं।

  4. नंदी महाराज को स्नान करवाएं।

  5. वीरभद्र देवता का अभिषेक करें, जो शिवलिंग के आगे विराजमान होते हैं।

  6. सर्प देवता पर जल चढ़ाएं।

  7. अंत में भगवान शिव के शिवलिंग पर जल अर्पित करें।

  8. यदि दूध, शहद, फल का रस या पंचामृत चढ़ाना चाहते हैं तो जल चढ़ाने के बाद इसी क्रम में अर्पित करें।

शिवलिंग पर परिक्रमा का नियम

शिवलिंग पर जल अर्पित करने के बाद पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। केवल आधी परिक्रमा करके वापस लौट आना चाहिए। क्योंकि जो जल शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है, वह पवित्र होता है और उसे लांघना अशुभ माना जाता है।

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय मंत्र

यदि पूरा मंत्र याद न हो तो केवल यह मंत्र जपते हुए जल अर्पित करें:

"श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि ॥"

इस विधि से जल चढ़ाने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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