कश्यप-वंश का विस्तृत वर्णन | kashyap-vansh ka vistrt varnan

कश्यप-वंश का विस्तृत वर्णन

कश्यप-वंश भारतीय पुराणों में एक महत्वपूर्ण और प्राचीन वंश है, जिसका उल्लेख विशेष रूप से श्री मद्‍मत्स्य पुराण में किया गया है। इस वंश के बारे में एक विस्तृत विवरण हमें मिलता है, जिसमें कश्यप के तेरह पत्नियों से उत्पन्न होने वाले पुत्र-पौत्रों के बारे में बताया गया है।

कश्यप की पत्नियाँ और उनके पुत्र

कश्यप ऋषि की तेरह प्रमुख पत्नियाँ थीं, जिनसे अनेक देवी-देवताओं, असुरों, दानवों और अन्य प्राणी उत्पन्न हुए थे। ये पत्नियाँ थीं:

  1. अदिति
  2. दिति
  3. दनु
  4. अरिष्टा
  5. सुरसा
  6. सुरभि
  7. विनता
  8. ताम्रा
  9. क्रोधवशा
  10. इरा
  11. कडू
  12. विश्वा
  13. मुनि

इन पत्नियों से उत्पन्न होने वाले पुत्र-पौत्रों का विवरण नीचे दिया गया है।

अदिति और उनके पुत्र

अदिति के गर्भ से द्वादश आदित्य उत्पन्न हुए थे, जो सूर्य के विभिन्न रूपों में प्रसिद्ध हैं। इन आदित्य देवताओं के नाम हैं:

  • इन्द्र
  • धाता
  • भग
  • त्वष्टा
  • मित्र
  • वरुण
  • यम
  • विवस्वान
  • सविता
  • पूषा
  • अंशुमान
  • विष्णु

दिति और उसके पुत्र

दिति से हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष जैसे महान दानव उत्पन्न हुए। हिरण्यकशिपु के चार पुत्र हुए, जिनमें सबसे प्रसिद्ध प्रह्लाद थे। प्रह्लाद के चार पुत्र हुए जिनमें आयुष्मान, शिबि, बाष्कल और विरोचन प्रमुख थे। विरोचन के पुत्र बलि के रूप में प्रसिद्ध हुए, जिनके सौ पुत्रों में सबसे प्रमुख बाण थे। बाण की तपस्या से भगवान शिव ने उसकी उपासना स्वीकार की और शंकरजी का निवास बाण के नगर में हुआ।

दनु और उनके पुत्र

दनु से उत्पन्न हुए अनेक बलशाली असुरों में प्रमुख थे विप्रचित्ति, द्विमूर्धा, शकुनि, शङ्कुशिरोधर, अयोमुख आदि। इन असुरों के पुत्रों और पोतों की संख्या अत्यधिक थी, जिनमें से कुछ ने महान वीरता का प्रदर्शन किया था। वृषपर्वा, स्वर्भानु, शतहृद और इन्द्रजित जैसे कई शक्तिशाली दानव उनके वंश में उत्पन्न हुए थे।

विनता और उनके पुत्र

विनता से गरुड़ और अरुण जैसे महान पक्षी उत्पन्न हुए। गरुड़ को भगवान विष्णु का वाहन माना जाता है। अरुण से भी कई पक्षियों की उत्पत्ति हुई, जिनमें सम्पाति और जटायु प्रमुख थे।

अन्य पत्नियाँ और उनके वंश

कश्यप की अन्य पत्नियों से भी विभिन्न प्राणी उत्पन्न हुए:

  • सुरसा और कडू से उत्पन्न होने वाले सर्पों की संख्या अत्यधिक थी, जिनमें शेष, वासुकि, कर्कोटक और तक्षक जैसे प्रमुख सर्पों के नाम शामिल हैं।
  • क्रोधवशा से एक लाख राक्षसों का जन्म हुआ, जिन्हें भीमसेन ने नष्ट कर दिया।
  • मुनि से मुनि समुदाय और अप्सराओं का जन्म हुआ।
  • इरा से वृक्षों, लताओं और तृणों की उत्पत्ति हुई।
  • विश्वा से यक्षों और राक्षसों की संख्या में वृद्धि हुई।

कश्यप के संयोग से अनेक प्राणियों का जन्म हुआ, जो विभिन्न कार्यों और भूमिकाओं में अपना योगदान देते हैं। उनका वंश भारतीय पुराणों में अत्यधिक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली माना जाता है, जिनके द्वारा सभी प्रकार के प्राणी सृष्टि में उत्पन्न हुए और पृथ्वी पर विभिन्न कार्यों में संलग्न हुए।

निष्कर्ष: कश्यप-वंश एक अत्यधिक विस्तृत और विविध वंश है, जिसमें देवता, दानव, यक्ष, गंधर्व, अप्सरा, पक्षी, सर्प, और अन्य प्राणी शामिल हैं। यह वंश हिन्दू धर्म के अनेक ग्रंथों और पुराणों में प्रमुख रूप से वर्णित है और इसका उल्लेख विशेष रूप से श्रीमद्‍मत्स्यपुराण में विस्तृत रूप से किया गया है।

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