इक्ष्वाकु वंश का वर्णन और इलाका वृत्तांत
इस अध्याय में हम इक्ष्वाकु वंश की उत्पत्ति और इसके इतिहास के कुछ प्रमुख घटनाक्रमों का वर्णन करेंगे, जिसमें राजा इल (सुद्युम्न) और उनके परिजनों का योगदान महत्वपूर्ण है। यह कथा श्रीमद् वाल्मीकि रामायण से जुड़ी हुई है, जिसमें राजा इल के जीवन और उनके अद्भुत परिवर्तन का वर्णन है।
इलका विचित्र वृत्तांत
सूतजी ने कहा कि राजा इल का वृत्तांत बहुत ही अद्भुत और रहस्यमय है। राजा इल, जिनका असली नाम सुद्युम्न था, अपने छोटे भाई मनु-पुत्र इक्ष्वाकु के साथ अपने राज्य की खोज में निकले थे। वे शरवण के निकट पहुंचे, जहाँ उन्हें एक अद्भुत घोड़ी दिखाई दी, जो रत्नों से निर्मित और चंद्रप्रभ नामक थी। राजा इल का यह घोड़ा स्त्री रूप में परिवर्तित हो चुका था। इसके बाद इक्ष्वाकु वंश के राजकुमारों ने इस घटनाक्रम को समझने के लिए महर्षि वसिष्ठ से मार्गदर्शन प्राप्त किया। महर्षि वसिष्ठ ने उन्हें बताया कि यह परिवर्तन शंकरजी की प्रेरणा से हुआ था, जहाँ जो व्यक्ति शरवण में प्रवेश करेगा, वह स्त्री रूप में बदल जाएगा।
महर्षि वसिष्ठ ने इक्ष्वाकु और उनके भाईयों को शंकरजी की पूजा करने की सलाह दी। उन्होंने पार्वती और महेश्वर की पूजा की, जिसके फलस्वरूप राजा इल पुरुष रूप में पुनः वापस लौटे।
इक्ष्वाकु वंश का विस्तार
राजा इल के बाद, उनके द्वारा स्थापित इक्ष्वाकु वंश का विस्तार हुआ। इक्ष्वाकु के दो प्रमुख वंशज थे - विकुक्षि और ककुत्स्थ। विकुक्षि के पंद्रह पुत्र हुए, जो सुमेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण दिशा में शासन करने लगे। ककुत्स्थ के पुत्र सुयोधन, पृथु, और विश्वग ने इक्ष्वाकु वंश की समृद्धि में अपना योगदान दिया।
इक्ष्वाकु वंश के प्रमुख राजा, जैसे मान्धाता, दिलीप, और राजा रघु ने अपने राज्य में धर्म, नीति और राजधर्म का पालन किया। राजा रघु के बाद उनके पुत्र दशरथ और श्रीराम ने सूर्यवंश को प्रतिष्ठित किया। श्रीराम का चरित्र रामायण में महर्षि वाल्मीकि द्वारा विस्तार से वर्णित किया गया है।
इक्ष्वाकु वंश के महान राजाओं की सूची
- राजा इल (सुद्युम्न): इक्ष्वाकु वंश के आदिगामी, जिन्होंने अपने स्त्री रूप में एक पुत्र को जन्म दिया।
- विकुक्षि: इक्ष्वाकु के सौ पुत्रों में प्रमुख, जिन्होंने सुमेरु पर्वत के विभिन्न हिस्सों में शासन किया।
- ककुत्स्थ: विकुक्षि का पुत्र, जिनके द्वारा इक्ष्वाकु वंश का विस्तार हुआ।
- राजा रघु: इक्ष्वाकु वंश के महानतम राजा, जिन्होंने सूर्यवंश की प्रतिष्ठा बढ़ाई और रघुकुल के गौरव को बढ़ाया।
- राजा दशरथ: रघु का पुत्र, जिनके चार पुत्रों में श्रीराम सबसे प्रमुख थे।
इस प्रकार इक्ष्वाकु वंश का इतिहास न केवल महान राजाओं से भरा हुआ है, बल्कि यह हमारे धर्म, संस्कृति और संस्कृत के विकास में भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
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