पितृ-वंश और सती के वृत्तान्त में देवी के 108 नामों का विवरण | pitrvansh aur satee ke vrttaant mein devee ke 108 naamon ka vivaran

पितृ-वंश और सती के वृत्तान्त में देवी के 108 नामों का विवरण

प्रस्तावना

हिंदू धर्म में पितृ पूजन और देवी के विभिन्न रूपों की महिमा अत्यधिक महत्व रखती है। "पितृ-वंश-वर्णन" और "सती के वृत्तान्त" में देवी के 108 नामों का उल्लेख किया गया है, जिनका स्मरण करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह लेख उन विशेषताओं और नामों पर आधारित है, जो देवी के विभिन्न रूपों और उनके प्रभावों का विस्तार से वर्णन करते हैं।

पितृ-वंश का वर्णन

भगवान मत्य ने मनु से पितरों के श्रेष्ठ वंश का वर्णन किया। स्वर्ग में पितरों के सात गण होते हैं, जिनमें तीन मूर्तिरहित और चार मूर्तिमान् होते हैं। इन पितरों को ‘वैराज’ कहा जाता है, जो प्रजापति के संतान होते हैं। इन पितरों का जीवन योग के मार्ग पर चलता है, जो अमरता और शुद्धि की ओर अग्रसर करता है। वे दिन के अंत में ब्रह्मा के माध्यम से पुनः उत्पन्न होते हैं और उनका ध्यान और योग साधना के कारण वे श्राद्ध में विशेष रूप से पूजनीय होते हैं।

सती का आत्मदाह और पुनः प्रकट होना

देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव को अपमानित करने पर, क्रोध में आकर अपने शरीर का त्याग कर दिया। हालांकि, उन्होंने पुनः हिमवान के घर में पुनर्जन्म लिया। सती के द्वारा स्वयं को जलाने के प्रसंग में उनकी महान तपस्या और योग की शक्ति को रेखांकित किया गया है। सती के इस आत्मदाह के बाद दक्ष ने भगवान शिव से क्षमा प्राप्त करने के लिए तपस्या की, जिसके परिणामस्वरूप वह पुनः प्रजापति बने।

देवी के 108 नामों का महत्व

देवी के 108 नामों का स्मरण करने से मनुष्य के पाप समाप्त हो जाते हैं। इन नामों का उपयोग विभिन्न तीर्थस्थलों पर किया जाता है, और इनका जप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। कुछ प्रसिद्ध नामों में विशालाक्षी (वाराणसी), कुमुदा (मानसरोवर), भद्रकर्णिका (गोकर्ण), राधा (वृंदावन) और अन्य कई नाम शामिल हैं। प्रत्येक नाम के साथ एक तीर्थस्थल जुड़ा हुआ है, जहाँ जाकर श्रद्धालु देवी का दर्शन करते हैं और अपने जीवन के संकटों को दूर करते हैं।

उपसंहार

जो व्यक्ति देवी के इन 108 नामों का पाठ करता है और इन तीर्थस्थलों पर जाकर देवी का स्मरण करता है, उसे सारे पापों से मुक्ति मिलती है। यह कर्म उसे शिवलोक में स्थान दिलवाता है और उसे संसार में भी सुख, ऐश्वर्य और सिद्धि प्राप्त होती है। इन नामों का नियमित पाठ और स्मरण जीवन को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्ग प्रशस्त करता है।

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