शुकदेव जी का वर्णन: कल्कि अवतार और सत्ययुग का आगमन | Shukdev ji's description: Kalki incarnation and arrival of Satyayuga
शुकदेव जी का वर्णन: कल्कि अवतार और सत्ययुग का आगमन
शुकदेव जी ने कहा:
सत्ययुग (कृतयुग) का उत्तर
आपके आदेश से समय का विभाजन होता है—क्षण, दण्ड, लव, पक्ष, मास, ऋतु, और युग। संसार में चौदह मनु होते हैं, जिनमें प्रत्येक मनु आपके ही विभूतिस्वरूप हैं। मनु-स्वायम्भुव से लेकर इन्द्रसावर्णि तक सभी मनुओं ने अपने-अपने समय में संसार को प्रकाशित किया।
सत्य, त्रेता, द्वापर और कलियुग के चक्र से संसार में धर्म और अधर्म का क्रम चलता है। एक मनु इकहत्तर चतुर्युगों तक शासन करते हैं, और चौदह मनुओं का काल एक ब्रह्मा के दिन के बराबर होता है। ब्रह्मा जी की आयु समाप्त होने पर वे भी आपमें विलीन हो जाते हैं।
मैं कृतयुग हूँ, जिसमें धर्म की प्रतिष्ठा सर्वोच्च होती है। मेरे समय में प्रजा धर्म के पालन से सुखी और कृतकृत्य होती है। इसी कारण मुझे कृतयुग कहा जाता है।"
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श्री कल्कि पुराण तीसरा अंश \पाँचवाँ अध्याय |
सत्ययुग के वचन सुनकर कल्कि जी की प्रसन्नता
कल्कि जी की योजना और युद्ध की तैयारी
कल्कि भगवान ने अपने अनुयायियों को संगठित करके कलिकाल के प्रभाव वाली "विशसन नगरी" पर आक्रमण करने की योजना बनाई। उनका उद्देश्य अधर्म का नाश और धर्म की पुनः स्थापना करना था।
यह प्रसंग धर्म और अधर्म के संघर्ष में सत्य, धर्म और ईश्वर की विजय का प्रतीक है।
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