कल्कि भगवान का जीवन और धर्म का शिक्षाः एक आदर्श कथा | Life of Lord Kalki and Teachings of Dharma: An Ideal Story
कल्कि भगवान का जीवन और धर्म का शिक्षाः एक आदर्श कथा
श्रुत्वा नृपाणां भक्तानां वचनं पुरुषोत्तमः।
ब्रह्मण-क्षत्र-विट्-शूद्र-वर्णानां धर्मम् आह यत्॥१
परिचय
राजाओं के प्रश्नों के उत्तर में कल्कि ने उन सभी रहस्यों का वर्णन किया जो मनुष्यों के जन्म, जीवन के विभिन्न अवस्थाओं और सुख-दुःख के कारण होते हैं। इसके बाद, राजाओं ने अपने दिल की शांति के लिए भगवान से और ज्ञान प्राप्त करने की प्रार्थना की।
कल्कि और मुनि अनन्त का संवाद
कल्कि जी ने मुनि से कहा, "आपने हमारे किए गए सभी काम देखे हैं और आप को सब मालूम है। भाग्य को कोई नहीं पलट सकता और बिना काम किए किसी को फल नहीं मिलता।" यह वाक्य मुनि के लिए एक स्पष्ट मार्गदर्शन था कि धर्म और कर्म के पालन में ही जीवन की सफलता है।
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श्री कल्कि पुराण दूसरा अंश \चौथा अध्याय |
वर्ण व्यवस्था और जीवन के प्रश्न
एक बार जब उनके माता-पिता का निधन हुआ, तो उन्होंने भगवान विष्णु की आराधना की और उनके दर्शन से यह सीखा कि संसार में स्नेह और मोह केवल भगवान की माया हैं। इस समझ के बाद उन्होंने जीवन के वास्तविक उद्देश्य की ओर बढ़ने का संकल्प लिया।
शिव और विष्णु की कृपा
समाप्ति
भगवान विष्णु की माया का प्रभाव समझने के बाद मुनि अनन्त ने भगवान विष्णु की पूजा शुरू की और अपनी आत्मा की शांति की प्राप्ति की। इस कथा से यह सिखने को मिलता है कि अगर हम भगवान की माया और उनके सत्य को समझ लें, तो हमारे जीवन के सारे दुख और मोह समाप्त हो जाते हैं।
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