कल्कि पुराण: सत्य धर्म की स्थापना और कलि युग का विनाश | Kalki Purana: Establishment of Satya Dharma and Destruction of Kali Yuga

कल्कि पुराण: सत्य धर्म की स्थापना और कलि युग का विनाश

परिचय:

कल्कि पुराण, जो कि पौराणिक ग्रंथों में अद्वितीय स्थान रखता है, भगवान विष्णु के अंतिम अवतार 'कल्कि' की कथा को विस्तार से वर्णन करता है। इसमें न केवल अधर्म के नाश की कथा है, बल्कि धर्म की स्थापना और सत्ययुग की वापसी का वृतांत भी मिलता है।

कल्कि पुराण की कथा का सारांश:

इस पुराण की शुरुआत ऋषि मार्कण्डेय और शुकदेव जी के संवाद से होती है। इसके बाद अधर्म वंश की उत्पत्ति, पृथ्वी का ब्रह्मलोक में गमन और ब्रह्मा जी की प्रार्थना से भगवान विष्णु के विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर अवतार लेने की कथा का वर्णन किया गया है।

भगवान कल्कि की अद्भुत लीला:

कल्कि भगवान के जन्म के बाद, उनके चार भाइयों के शम्भल गाँव में जन्म लेने की कथा आती है। उन्होंने अपने पिता के साथ रहकर वेद और शस्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया। शिवजी की कृपा और वरदान से वे असाधारण शक्तियों के स्वामी बने।

शिवजी की स्तुति और विष्णुयश का संवाद:

कल्कि भगवान द्वारा शिवजी की स्तुति और शिवजी से मिले वरदान के बाद, जाति-बन्धुओं को इस वर की प्राप्ति की कथा विशेष उल्लेखनीय है। इसके साथ-साथ विशाखयूपराज और शुकदेव के संवाद तथा सिंहल द्वीप की अद्भुत कथा भी इस पुराण में विस्तार से दी गई है।

पद्मा जी से विवाह की कथा:

पद्मा जी के दुःख, स्वयंवर और कल्कि भगवान के प्रयास की कथा बहुत ही रोचक है। विवाह से पूर्व शुकदेव के माध्यम से पद्मा जी और कल्कि भगवान का परिचय हुआ। विवाह के पश्चात, राजा शशिध्वज और सुशान्ता के साथ घटी घटनाओं ने कथा को और भी रोचक बना दिया।

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श्री कल्कि पुराण तीसरा अंश \इक्कीसवाँ अध्याय |

सत्य धर्म की स्थापना और बौद्धों का दमन:

कल्कि भगवान ने अधर्म के प्रतीक बौद्धों का दमन किया और सत्य धर्म की स्थापना की। उनकी लीला हरिद्वार में मुनियों के साथ सम्मेलन, संग्राम, और सत्ययुग की स्थापना तक फैली हुई है।

कल्कि भगवान का वैकुण्ठ गमन:

सम्पूर्ण कथा के अंत में, कल्कि भगवान का वैकुण्ठ गमन और उनके द्वारा सत्ययुग की स्थापना का वर्णन किया गया है। साथ ही, गंगा जी की स्तुति और शुकदेव जी के जाने की कथा भी शामिल है।

कल्कि पुराण के लाभ:

इस पुराण को सुनने, पढ़ने और गाने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ब्राह्मण वेदज्ञ, क्षत्रिय शक्तिशाली राजा, वैश्य धनवान, और शूद्र महान बनते हैं। जो व्यक्ति कल्कि पुराण का विधिपूर्वक पाठ करता है, वह पापों से मुक्त होकर परम गति को प्राप्त करता है।

श्री नारायण की महिमा:

वेद, रामायण, महाभारत और पुराण सभी में श्री नारायण का गुणगान किया गया है। जो व्यक्ति कल्कि भगवान का स्मरण करता है, वह पापों से मुक्त होकर सच्चे धर्म को प्राप्त करता है।

समापन:

कल्कि पुराण, जो कि 6,100 श्लोकों में लिखा गया है, संसार को आनंद और शांति प्रदान करता है। यह पुराण न केवल पापों से मुक्त करता है, बल्कि भक्तों को भगवान विष्णु के चरणों की ओर प्रेरित करता है। श्री कल्कि भगवान के चरणों में वंदन करते हुए, इस कथा का श्रवण, पाठ और स्मरण सभी के लिए कल्याणकारी है।

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