भगवान कल्कि का दर्शन - पद्मा जी का स्तुति और विवाह | Darshan of Lord Kalki - Praise and marriage of Padma ji

भगवान कल्कि का दर्शन - पद्मा जी का स्तुति और विवाह

सूत उवाच

सूत जी ने कहा कि एक बार, प्रेम की गहरी भावना से प्रेरित होकर, पद्मा जी की वाणी गद्गद हो गई और वे श्री कल्कि भगवान की स्तुति करने लगीं। उन्होंने भगवान विष्णु के रूप में अवतार लेने वाले श्री कल्कि को पहचानते हुए करुणा के सागर भगवान से प्रार्थना की। पद्मा जी ने कहा, "हे भगवान, मैं आपकी शरण में आई हूँ, कृपया मुझे अपने कमल रूपी चरणों की शरण दीजिए।"

पद्मा जी की इन भावनाओं के बाद, वे घर लौट आईं और राजा बृहद्रथ को कल्कि भगवान के आगमन की सूचना दी। इस समाचार से राजा बृहद्रथ अत्यंत प्रसन्न हुए और नाचते-गाते, वाद्य यंत्र बजाते हुए, पूजा सामग्री लेकर श्री कल्कि को प्राप्त करने के लिए चल पड़े। कारूमती नगरी को सजाया गया और शाही स्वागत की तैयारी की गई।

कल्कि भगवान का दर्शन और राजा का स्वागत

राजा बृहद्रथ ने तालाब के पास जाकर देखा कि श्री कल्कि भगवान मणियों से जड़ी वेदी पर विराजमान थे। उनके शरीर पर आभूषण दमक रहे थे, और उनकी रूप, शील और गुणों से भरपूर सुंदरता का कोई सानी नहीं था। राजा ने भगवान कल्कि को अपने सामने देख कर पुलकित शरीर और आँसुओं से भरी आँखों से उनकी पूजा की।

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पद्मा जी और श्री कल्कि का विवाह

इसके बाद, राजा बृहद्रथ ने भगवान कल्कि को अपने महल में ठहराया और विधिपूर्वक अपनी कन्या पद्मा जी का विवाह कल्कि भगवान से कर दिया। इस विवाह के बाद, पद्मा जी और कल्कि भगवान के जीवन में एक नई खुशहाली आई। भगवान कल्कि ने सिंहल द्वीप में कुछ दिन बिताए, जहाँ उन्हें सम्मानित किया गया।

भगवान कल्कि के विभिन्न अवतार

भगवान कल्कि का यह अवतार सिर्फ एक महत्त्वपूर्ण कड़ी नहीं था, बल्कि वह भगवान विष्णु के अनेकों अवतारों का प्रतीक था। उन्होंने मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, राम, कृष्ण और बुद्ध के रूप में धरती पर अवतार लिया। प्रत्येक अवतार ने पृथ्वी और लोकों को असुरों और दुष्टों से बचाया और धर्म की पुनर्स्थापना की।

भगवान कल्कि का कार्य

भगवान कल्कि ने कलियुग के अंत में अवतार लिया, जब संसार में बुराइयाँ फैली हुई थीं। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अनेकों कार्य किए, जिससे उनके भक्तों की आत्मा शुद्ध हुई और संसार में फिर से शांति स्थापित हुई। उनके इस दिव्य कार्य को जानने वाले हर व्यक्ति ने उन्हें शरण लिया और उनकी भक्ति में लीन हो गया।

निष्कर्ष

भगवान कल्कि का आगमन धर्म की पुनर्स्थापना और बुराइयों का नाश करने के लिए था। उनकी लीला और अवतारों का उद्देश्य मानवता को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है। पद्मा जी की तरह, हम सभी को भगवान कल्कि के दिव्य चरणों में शरण लेने की आवश्यकता है, ताकि हम भी संसार के दुखों से मुक्ति पा सकें और शांति प्राप्त कर सकें।

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