श्री शिवाष्टकम ( पीडीएफ ) | Shri Shivashtakam ( PDF )
परिचय
श्री शिवाष्टकम PDF 👇
श्री शिवाष्टकम्: विधि, नियम, लाभ और निष्कर्ष
1. श्री शिवाष्टकम् की विधि
- स्नान और शुद्धि: सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें। पवित्र मन से भगवान शिव का स्मरण करते हुए पाठ प्रारंभ करें।
- पूजा स्थान: शिवलिंग के पास या भगवान शिव के चित्र के सामने बैठें। शुद्ध आसन का उपयोग करें और उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करें।
- पूजन सामग्री: भगवान शिव को बिल्वपत्र, सफेद पुष्प, धूप, दीपक, कुमकुम और नैवेद्य अर्पित करें।
- ध्यान: भगवान शिव के शांत, करुणामय स्वरूप का ध्यान करें और उन्हें अपने आराध्य रूप में स्थापित करें।
- पाठ: संपूर्ण श्रद्धा और भक्ति से श्री शिवाष्टकम् का पाठ करें। मन में शिव का ध्यान बनाए रखें।
- समर्पण और प्रार्थना: पाठ के पश्चात भगवान शिव से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें।
2. श्री शिवाष्टकम् के नियम
- नियमितता: शिवाष्टकम् का पाठ नियमित रूप से करें। विशेष रूप से सोमवार और शिवरात्रि के दिन इसका पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
- भक्ति और समर्पण: इस स्तोत्र का पाठ करते समय एकाग्रता और भक्ति का भाव अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- व्रत: यदि संभव हो तो सोमवार को उपवास रखें और भगवान शिव का पूजन करते समय शिवाष्टकम् का पाठ करें।
- स्वच्छता: पाठ से पहले और बाद में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। शरीर और मन दोनों को शुद्ध रखें।
- प्रातःकाल पाठ: यदि संभव हो तो प्रातःकाल में शिवाष्टकम् का पाठ करें। यह समय विशेष रूप से उपयुक्त माना गया है।
3. श्री शिवाष्टकम् के लाभ
- मुक्ति और कल्याण: शिवाष्टकम् का पाठ जीवन के समस्त कष्टों का नाश करता है और मोक्ष की ओर मार्ग प्रशस्त करता है।
- शांति और संतुलन: इस स्तोत्र के पाठ से मानसिक शांति प्राप्त होती है और आत्मिक संतुलन बना रहता है।
- भय और नकारात्मकता का नाश: भगवान शिव का आशीर्वाद मिलने से भय, चिंता और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- धन, संतान और मित्रता का लाभ: शिवाष्टकम् का नित्य पाठ जीवन में संतान सुख, धन-धान्य और अच्छे मित्रों का आशीर्वाद लाता है।
- सकल कष्टों से मुक्ति: शिवाष्टकम् का पाठ जीवन के समस्त कष्टों का नाश करता है। कठिन समय में यह पाठ व्यक्ति को साहस और शक्ति प्रदान करता है।
- शिव कृपा: नियमित पाठ से भगवान शिव की कृपा मिलती है, जिससे जीवन में सभी कार्य सफल होते हैं और सुख-शांति बनी रहती है।
श्री शिवाष्टकम् ! Sri Shivashtakam
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथंजगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम्।
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥1॥
गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालंमहाकाल कालं गणेशादि पालम्।
जटाजूट गङ्गोत्तरङ्गै र्विशालं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥2॥
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तंमहा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम्।
अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥3॥
वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासंमहापाप नाशं सदा सुप्रकाशम्।
गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥4॥
गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहंगिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम्।
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥5॥
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानंपदाम्भोज नम्राय कामं ददानम्।
बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥6॥
शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रंत्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम्।
अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥7॥
हरं सर्पहारं चिता भूविहारंभवं वेदसारं सदा निर्विकारं।
श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं,शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥8॥
स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणेपठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम्।
सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रंविचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति॥
॥ इति श्रीशिवाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
4. निष्कर्ष
श्री शिवाष्टकम् भगवान शिव के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। इस स्तोत्र में शिव के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया गया है जो सभी भक्तों के जीवन में शिव कृपा का संचार करते हैं। यह स्तोत्र न केवल शिव की उपासना के लिए बल्कि जीवन में स्थिरता, समृद्धि, और आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए भी उपयुक्त है। शिवाष्टकम् का नियमित पाठ व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा से संरक्षित करता है और मोक्ष की ओर मार्ग प्रशस्त करता है।
शुभ मंत्र
भगवान शिव की कृपा से जीवन में समस्त प्रकार की उन्नति, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है। शिवाष्टकम् के निरंतर पाठ से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो सभी कष्टों का अंत कर सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती है।
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