शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र PDF
- श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम्: शिव की महिमा और आशीर्वाद प्राप्ति का स्तोत्र
- शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ विधि
- शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करने के नियम
- शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करने के लाभ
- श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम्
- निष्कर्ष:
- शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र PDF
श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम्: शिव की महिमा और आशीर्वाद प्राप्ति का स्तोत्र
श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् एक अद्भुत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति में अर्पित है। इसमें भगवान शिव के दिव्य स्वरूप का वर्णन है और उनकी महिमा का गुणगान किया गया है। शिव को समर्पित यह स्तोत्र न केवल भक्ति को प्रगाढ़ करता है, बल्कि शिव की कृपा से साधक को अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ भी प्रदान करता है। इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान शिव के ‘नमः शिवाय’ मंत्र को पाँच अलग-अलग श्लोकों में स्तुति रूप में प्रस्तुत किया गया है।
शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए किया जाता है। इस स्तोत्र में शिव के “पञ्चाक्षर” मंत्र “नमः शिवाय” का महात्म्य बताया गया है। यहाँ इसके पाठ की विधि दी जा रही है:
शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ विधि
स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करें: सबसे पहले सुबह स्नान करके शुद्ध हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र पहनें। शिव पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।
पूजा स्थान की तैयारी: शिवलिंग या शिव की मूर्ति के समक्ष दीपक और धूप जलाएं। अगर शिवलिंग पर जल अर्पण करने का अवसर हो, तो जल, दूध और गंगाजल चढ़ाएं।
आसन ग्रहण करें: किसी शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर शिव का ध्यान करें। कुशा के आसन का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
शिव मंत्र का ध्यान: स्तोत्र पाठ से पहले “ॐ नमः शिवाय” का ध्यान करें और शिवजी का आह्वान करें।
शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ: श्रद्धा और भक्ति के साथ निम्नलिखित श्लोकों का उच्चारण करें:
- हर श्लोक के अंत में “नमः शिवाय” का उच्चारण करें।
- नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय... से शुरू करके पांचों श्लोकों का पाठ क्रम से करें।
भोग अर्पित करें: शिव जी को फल, फूल और भोग अर्पित करें। शिव को बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाना विशेष फलदायी माना गया है।
आरती और प्रार्थना: पाठ के अंत में शिव आरती करें और शिव से सुख, शांति, और मोक्ष की प्रार्थना करें।
ध्यान और मौन: शिव का ध्यान करते हुए कुछ समय के लिए मौन रहें। ध्यान करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप मन ही मन करें।
शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। ये नियम पाठ को अधिक प्रभावी और शुभ बनाते हैं। यहाँ शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र के पाठ के नियम दिए गए हैं:
शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करने के नियम
पवित्रता बनाए रखें: शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
समय का ध्यान रखें: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे) और शाम का समय शिव स्तोत्र पाठ के लिए सर्वोत्तम माना गया है। विशेष रूप से सोमवार, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि, और सावन के महीने में इसका पाठ करना अधिक फलदायी होता है।
शिवलिंग के सामने पाठ करें: यदि संभव हो, तो शिवलिंग के समक्ष बैठकर पाठ करें। शिवलिंग पर जल, दूध, गंगाजल, बेलपत्र, और फूल अर्पित करके शिव की आराधना करें।
मंत्र उच्चारण में स्पष्टता: शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का उच्चारण स्पष्ट और धीमे स्वर में करें। प्रत्येक शब्द का सही उच्चारण करना आवश्यक है, जिससे पाठ का संपूर्ण प्रभाव प्राप्त हो सके।
आसन का प्रयोग करें: कुश या रेशम के आसन का प्रयोग करें। यह ध्यान और एकाग्रता में सहायक होता है।
श्रद्धा और भक्ति: पाठ करते समय मन में भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति होनी चाहिए। शिव का ध्यान करें और किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार से दूर रहें।
दिशा का ध्यान रखें: शिव स्तोत्र का पाठ करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखें। यह दिशाएं धार्मिक कार्यों में शुभ मानी जाती हैं।
मौन और ध्यान: पाठ के बाद कुछ समय मौन रहें और शिव का ध्यान करें। मन ही मन “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते रहें। यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
भोग अर्पण करें: शिव को फल, मिठाई, और विशेषकर बेलपत्र अर्पण करें। भोग अर्पित करके ही पाठ का समापन करें।
अहिंसा का पालन: शिव का पूजन करते समय मन, वचन और कर्म से अहिंसा का पालन करें। सात्विक भोजन ग्रहण करें और शुद्ध आचरण रखें।
शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करने के लाभ
शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को अनेक प्रकार के लाभ मिलते हैं, जिनमें शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि शामिल हैं। यह स्तोत्र विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। यहाँ शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र के पाठ से होने वाले प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
1. शिव की कृपा प्राप्त होती है
- शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शिव की कृपा से जीवन के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं, और व्यक्ति को आंतरिक शांति और संतोष मिलता है।
2. दुर्योग और कष्टों का नाश होता है
- यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो किसी भी प्रकार के संकट या दुर्योग से परेशान हैं। भगवान शिव के आशीर्वाद से जीवन में आने वाली समस्याएँ दूर हो जाती हैं।
3. भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा
- शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को भूत-प्रेत, नकारात्मक ऊर्जा, और बुरी शक्तियों से बचाता है। यह व्यक्ति को मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
4. शिवलोक प्राप्ति
- पञ्चाक्षर स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति को पुण्य मिलता है और उसे भगवान शिव के साथ शिवलोक की प्राप्ति का मार्ग मिलता है। यह पाठ व्यक्ति के मोक्ष की प्राप्ति में भी सहायक होता है।
5. सर्वत्र विजय और सफलता
- भगवान शिव की पूजा और उनका मंत्र जाप व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में विजय दिलाता है। चाहे वह व्यावसायिक सफलता हो, शिक्षा में प्रगति हो, या व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाए रखना हो, शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र से सहायता मिलती है।
6. स्वास्थ्य और दीर्घायु
- इस स्तोत्र के पाठ से शरीर में रोगों का नाश होता है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है। साथ ही, यह दीर्घायु और शारीरिक ताकत का आशीर्वाद भी प्रदान करता है।
7. विवाह और संतान सुख
- यदि कोई व्यक्ति विवाह या संतान सुख की प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रहा हो, तो यह स्तोत्र विशेष रूप से लाभकारी होता है। शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र के जाप से वैवाहिक सुख और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
8. दिमागी शांति और मानसिक संतुलन
- यह स्तोत्र मानसिक तनाव और मानसिक अशांति को दूर करने में सहायक है। भगवान शिव के आशीर्वाद से मन शांत रहता है और व्यक्ति में मानसिक संतुलन आता है।
9. धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति
- इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में धन, ऐश्वर्य और समृद्धि का वास होता है। शिव के आशीर्वाद से आर्थिक स्थिति में सुधार और खुशहाली आती है।
10. अज्ञात पापों का नाश और पुण्य का संचय
- शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र के पाठ से अज्ञात पापों का नाश होता है और व्यक्ति का पुण्य बढ़ता है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर करता है।
श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ! Shri Shiv Panchakshar Stotra
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
निष्कर्ष:
शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को न केवल भौतिक सुखों से भरता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और शिव के आशीर्वाद से जीवन को सफलता और समृद्धि प्रदान करता है। नियमित रूप से इसे पढ़ने से व्यक्ति का जीवन बदल सकता है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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