सप्त मुखी हनुमत् कवच PDF
- सप्त मुखी हनुमत् कवच की महिमा
- पाठ का महत्व और गोपनीयता
- सप्त मुखी हनुमत् कवच पाठ की विधि
- विशेष सावधानियां
- सप्त मुखी हनुमत् कवच के पाठ के नियम
- सप्त मुखी हनुमत्कवचम्
- निष्कर्ष
- सप्त मुखी हनुमत् कवच PDF
सप्त मुखी हनुमत् कवच की महिमा
सप्त मुखी हनुमत् कवच एक विशेष और गुप्त पाठ है जो कठिन से कठिन बाधाओं, असाध्य रोगों, और शत्रु संतापों से मुक्ति प्रदान करता है। इस मंत्र का नियमित रूप से तीनों समय (प्रातः, मध्याह्न, और संध्या) पाठ करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मान-सम्मान की वृद्धि होती है। इसमें हनुमान जी के सप्त मुखी रूप की स्तुति की गई है, जिससे साधक की सभी प्रकार की मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रक्षा होती है।
पाठ का महत्व और गोपनीयता
यह कवच अथर्वण रहस्य में वर्णित है, जिसमें इस पाठ को गोपनीयता से करने की सलाह दी गई है। परंपरा के अनुसार, इस तरह के गुप्त साधन गोपनीय रखने चाहिए और एकांत में ही इसका अभ्यास करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस कवच के पाठ से साधक के जीवन में आने वाले सभी संकट, रोग, और शत्रु हानि से नष्ट होते हैं।
सप्त मुखी हनुमत् कवच का पाठ करने की विधि विशेष और नियमबद्ध है। इसका पाठ पूर्ण निष्ठा और श्रद्धा के साथ करने से ही इसके चमत्कारी लाभ मिलते हैं। यहां इसकी विधि दी गई है:
सप्त मुखी हनुमत् कवच पाठ की विधि
1. स्नान और शुद्धि:
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पाठ के लिए शांत और साफ स्थान का चयन करें। पूजा स्थल या पूजा कक्ष उत्तम है।
- अपनी आसन और वातावरण को पवित्र और शांत रखें।
2. पूजा स्थल पर हनुमान जी का स्थान:
- हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सामने यह पाठ करें।
- सात मुखों वाले हनुमान जी का चित्र या यंत्र हो तो सबसे अच्छा होता है।
- दीपक जलाएं और हनुमान जी को फूल, अक्षत, और चंदन अर्पित करें।
3. पवित्रता और आसन:
- कुशा या ऊनी आसन पर बैठकर पाठ करें। इससे साधक की ऊर्जा और शक्ति स्थिर रहती है।
- पद्मासन या सुखासन में बैठें और पाठ के समय शरीर स्थिर रखें।
4. संकल्प और विनियोग:
- पाठ आरंभ करने से पहले संकल्प लें कि आप यह पाठ किस उद्देश्य से कर रहे हैं (उदाहरण: शत्रु नाश, रोग मुक्ति, समृद्धि)।
5. सप्त मुखी हनुमत् कवच का पाठ:
- पूरे श्रद्धा और मनोभाव से कवच का पाठ करें।
- पाठ को बिना रुके एकाग्र मन से पूरा करें।
- यदि माला का प्रयोग कर रहे हैं तो रुद्राक्ष माला का उपयोग करना सर्वोत्तम है।
6. पाठ की आवृत्ति:
- इस कवच का पाठ तीनों संध्याओं में करना अत्यधिक लाभकारी माना गया है।
- यदि संभव न हो, तो कम से कम प्रतिदिन सुबह इसका पाठ अवश्य करें।
7. प्रसाद चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें:
- पाठ समाप्ति पर भगवान हनुमान को लड्डू, गुड़ या किसी मीठे प्रसाद का भोग लगाएं।
- इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें और भगवान से आशीर्वाद लें।
8. भक्ति और गुप्तता का पालन:
- यह कवच गुप्त और अति शक्तिशाली है, इसलिए इसे गोपनीयता के साथ किया जाना चाहिए। किसी को बिना कारण न बताएं।
- इसे अत्यंत भक्ति, श्रद्धा और विश्वास के साथ ही करना चाहिए।
9. व्रत और संयम का पालन:
- सात्विक भोजन करें और मानसिक तथा शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें और अत्यधिक संयम के साथ इस साधना को करें।
विशेष सावधानियां:
- साधना के समय नकारात्मक विचारों से दूर रहें और मन में शुद्धता रखें।
- इस कवच का उपयोग अपवित्र उद्देश्य के लिए न करें, क्योंकि यह केवल सकारात्मक कार्यों के लिए ही लाभकारी है।
- इसे प्रतिदिन एक ही समय पर करें, ताकि साधक की ऊर्जा एकाग्र हो।
सप्त मुखी हनुमत् कवच का नियमित पाठ साधक को आत्मबल, आध्यात्मिक शक्ति और हर संकट से मुक्ति दिलाता है।
सप्त मुखी हनुमत् कवच के पाठ के कुछ विशेष नियम और अनुशासन हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर यह पाठ करना चाहिए। इससे पाठ का प्रभाव और लाभ बढ़ जाता है।
सप्त मुखी हनुमत् कवच के पाठ के नियम:
1. पवित्रता का पालन करें:
- पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल साफ-सुथरा होना चाहिए। ध्यान रखें कि पाठ के समय मन, शरीर, और वातावरण पवित्र हो।
2. समय और स्थान का ध्यान:
- प्रतिदिन एक ही समय पर और एक ही स्थान पर पाठ करना श्रेष्ठ माना जाता है।
- इसे सुबह ब्रह्ममुहूर्त में या संध्या के समय करना शुभ होता है।
3. आसन और दिशा:
- पाठ के लिए कुश, ऊनी, या सफेद वस्त्र का आसन उत्तम माना जाता है।
- उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
4. संकल्प लें:
- पाठ से पहले भगवान हनुमान जी का ध्यान करते हुए अपने उद्देश्य का संकल्प लें, जैसे कि परिवार की रक्षा, शत्रु नाश, रोग मुक्ति आदि।
5. गोपनीयता बनाए रखें:
- सप्त मुखी हनुमत् कवच एक गोपनीय पाठ है, इसलिए इसे एकांत में और शांतिपूर्ण वातावरण में करना चाहिए।
- इसे किसी अन्य व्यक्ति के सामने न पढ़ें और न ही इसके बारे में अधिक चर्चा करें।
6. भक्ति और श्रद्धा:
- पाठ करते समय हनुमान जी के प्रति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा होनी चाहिए। बिना श्रद्धा के इसका प्रभाव नहीं माना जाता।
- मन को एकाग्र करके पाठ करें, ताकि कोई अन्य विचार मन को विचलित न करें।
7. व्रत का पालन (यदि संभव हो):
- पाठ के दिन हल्का और सात्विक भोजन करें। कई लोग इसे करते समय व्रत भी रखते हैं।
- पाठ से पहले लहसुन, प्याज, मांसाहार, और नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
8. सप्त मुख हनुमान जी का ध्यान:
- पाठ के दौरान हनुमान जी के सात मुखों (वानर, सिंह, गरुड़, वराह, अश्व, सर्प, और मनुष्य) का ध्यान करना चाहिए। यह ध्यान पाठ की शक्ति को बढ़ाता है।
9. संख्या और आवृत्ति:
- नियमित रूप से इस पाठ का तीनों संध्या (प्रातः, मध्यान्ह, और संध्या) में 11, 21, या 51 बार पाठ करें।
- निरंतर पाठ करना लाभकारी होता है, विशेषकर संकट के समय में इसे 108 बार जपने से विशेष लाभ होता है।
10. ध्यान और समर्पण:
- पाठ के बाद हनुमान जी से प्रार्थना करें कि वे आपकी मनोकामनाओं को पूर्ण करें और रक्षा प्रदान करें।
- अपनी साधना का समर्पण करते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
अन्य सावधानियाँ:
- यदि संभव हो तो इस पाठ को करने से पहले गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त करें, खासकर यदि आप इसे सिद्धि के उद्देश्य से कर रहे हैं।
- पाठ के बीच में किसी भी प्रकार की अशुद्धि न आने दें। यदि अशुद्धि हो जाए, तो दोबारा स्नान कर के शुद्ध होकर ही पाठ करें।
इन नियमों का पालन करने से सप्त मुखी हनुमत् कवच का प्रभाव अधिक होता है और साधक को शांति, समृद्धि, और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है।
सप्त मुखी हनुमत् कवच का पाठ अत्यंत प्रभावशाली और चमत्कारी माना गया है। यह हनुमान जी का गुप्त और शक्तिशाली कवच है, जो विशेषकर कठिन समय में रक्षा, रोग नाश, और मनोबल वृद्धि के लिए किया जाता है। इसके नियमित पाठ से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:
सप्त मुखी हनुमत् कवच के लाभ:
1. परिवार की सुरक्षा:
- इस कवच का पाठ करने से परिवार पर किसी प्रकार की नकारात्मक शक्ति, बुरी दृष्टि, और आपदाओं का प्रभाव नहीं पड़ता।
- यह पूरे परिवार की समृद्धि, खुशहाली, और संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
2. शत्रु नाश और शत्रु भय से मुक्ति:
- सप्त मुखी हनुमत् कवच का पाठ शत्रुओं से रक्षा करता है।
- इससे शत्रु भय समाप्त हो जाता है और गुप्त शत्रुओं का नाश होता है। कार्य क्षेत्र में विरोधी और ईर्ष्या करने वाले व्यक्ति शांत रहते हैं।
3. रोग और स्वास्थ्य लाभ:
- इस पाठ से असाध्य रोगों में राहत मिलती है और साधक का स्वास्थ्य बेहतर होता है। यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।
- मानसिक तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक विकारों से राहत मिलती है।
4. आयु, मान-सम्मान और कीर्ति में वृद्धि:
- इस कवच का पाठ करने से साधक की आयु, कीर्ति और समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है और साधक को साहस, आत्म-विश्वास, और दूसरों का सम्मान दिलाता है।
5. आध्यात्मिक उन्नति:
- सप्त मुखी हनुमान जी के सात मुखों का ध्यान और कवच का पाठ साधक के आध्यात्मिक जीवन में उन्नति लाता है।
- मन को शांति, संतोष और आत्मबल की अनुभूति होती है, जिससे साधक जीवन की बाधाओं को दृढ़ता से सामना करता है।
6. सभी संकटों का निवारण:
- यह कवच साधक को आकस्मिक संकटों से रक्षा करता है। चाहे दुर्घटना का भय हो, प्राकृतिक आपदा हो, या जीवन में आने वाले बड़े-बड़े संकट हों, यह कवच सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।
- साधक को किसी भी प्रकार की भयावह स्थिति का सामना करने में साहस प्रदान करता है।
7. धन, संपत्ति, और समृद्धि:
- इस पाठ से धन और संपत्ति में वृद्धि होती है। साधक को जीवन में आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है और उसे स्थिरता मिलती है।
- व्यापार में लाभ, नौकरी में तरक्की, और नई संपत्ति प्राप्ति का योग बनता है।
8. बाधाओं का नाश और सफलताएं:
- जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है और साधक के सभी कार्य निर्विघ्न पूरे होते हैं।
- विशेषकर जो कार्य कठिनाई से हो रहे हों, उनमें सफलता मिलती है और किसी भी अधूरे कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
9. नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा:
- यह पाठ नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत, बुरी शक्तियों, टोना-टोटका और बुरी दृष्टि से रक्षा करता है।
- साधक के चारों ओर एक शक्तिशाली ऊर्जा का कवच बन जाता है, जो किसी भी नकारात्मक शक्ति को पास नहीं आने देता।
10. ब्रह्मचर्य और आत्म-नियंत्रण में सहायक:
- जो साधक इस कवच का पाठ नियमपूर्वक करते हैं, उन्हें ब्रह्मचर्य और आत्म-नियंत्रण में शक्ति मिलती है। इससे उनकी साधना में वृद्धि होती है और जीवन में संयम आता है।
11. सभी इच्छाओं की पूर्ति:
- सप्त मुखी हनुमत् कवच को सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इससे साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
12. भविष्य के कष्टों का निवारण:
- यह कवच साधक को भविष्य में आने वाले अज्ञात संकटों और परेशानियों से बचाता है।
नोट: सप्त मुखी हनुमत् कवच का पाठ नियमित और विधिपूर्वक करना चाहिए। यह कवच अत्यंत गोपनीय और प्रभावशाली है, इसलिए इसका पाठ भक्ति, विश्वास, और गुप्त रूप से किया जाना चाहिए।
सप्त मुखी हनुमत्कवचम्
उक्तं चाथर्वणरहस्ये ॥
अथ विनियोग मन्त्रः ॥
अब करन्यास कहता हूँ।
- ब्रह्मोवाच ।।
अथ फल श्रुति ॥
न देयं भक्ति हीनाय दत्त्वा स निरयं व्रजेत् ।।
सप्त मुखी हनुमत्कवचम् सम्पूर्णम्
निष्कर्ष
सप्त मुखी हनुमत् कवच एक अजेय कवच है जो जीवन की सभी बाधाओं से रक्षा करता है। यह साधक के लिए शक्ति, साहस, और विजय का प्रतीक है। इसके नियमित पाठ से साधक की आत्मा, शरीर, और परिवार सुरक्षित रहते हैं, और सभी प्रकार की विपत्तियाँ, चाहे वो शत्रु हों, रोग हों या कोई अन्य मानसिक कष्ट, दूर हो जाते हैं।
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