श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र (PDF)
विष्णु पञ्जर स्तोत्रम् को भगवान विष्णु का कवच माना जाता है और यह एक अत्यंत शक्तिशाली और दुर्लभ स्तोत्र है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि में सहायक होता है। इसे विष्णु को संबोधित एक कवच माना जाता है जो शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने, मनोकामनाओं को पूरा करने और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है। विशेष रूप से यह स्तोत्र एकादशी के दिन विशेष लाभकारी माना जाता है।
विष्णु पञ्जर स्तोत्र का महत्व:
यह स्तोत्र विष्णु के 12 महत्वपूर्ण नामों, उनसे जुड़ी दिशाओं, और उनके द्वारा धारण किए जाने वाले अस्त्रों का वर्णन करता है। इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त की जा सकती है और जीवन में शांति, समृद्धि और विजय प्राप्त होती है। इसे पढ़ने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसके शत्रु परास्त होते हैं।
विष्णु पञ्जर स्तोत्र के कुछ तथ्य:
राक्षसों का संहार: इस स्तोत्र के प्रभाव से ही माता रानी ने रक्तबीज और महिषासुर जैसे राक्षसों का वध किया था।
गरुण पुराण से लिया गया: यह स्तोत्र गरुण पुराण से लिया गया है, जिसमें भगवान विष्णु और रूद्र के बीच हुई बातचीत के अंश हैं।
कवच का अर्थ: 'पञ्जर' का अर्थ कवच होता है, और इसे रक्षा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
एकादशी पर पाठ: इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से एकादशी के दिन किया जाता है, जो भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम समय है।
श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र की विधि:
श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से एकादशी के दिन बहुत शुभ और लाभकारी माना जाता है। इसके पाठ की विधि निम्नलिखित है:
1. उचित समय का चयन:
- श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ आमतौर पर एकादशी के दिन किया जाता है, लेकिन इसे किसी भी दिन भगवान विष्णु की पूजा के समय भी किया जा सकता है।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
2. पूजा की तैयारी:
- एक पवित्र स्थान पर आसन बिछाकर बैठें।
- भगवान विष्णु की एक सुंदर मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- उनके सामने एक दीपक जलाएं और ताजे फूल अर्पित करें।
- भगवान विष्णु के नाम का जाप करना प्रारंभ करने से पहले, भगवान का ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र से पूजन करें।
3. मानसिक तैयारी और श्रद्धा:
- सबसे पहले अपनी निष्ठा और श्रद्धा को केंद्रित करें।
- इस समय कोई बाहरी विचार न आए, इसके लिए अपने मन को शांत रखें और पूरी एकाग्रता से स्तोत्र का जाप करें।
- भगवान विष्णु के प्रति आस्था और प्रेम में डूबे हुए रहें।
4. विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ:
- अब श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ शुरू करें। यह स्तोत्र 14 श्लोकों का होता है।
- प्रत्येक श्लोक को श्रद्धा और भक्ति से पढ़ें। अगर आप श्लोकों का उच्चारण नहीं कर पाते, तो आप "ॐ श्री विष्णु" का मंत्र 108 बार जप सकते हैं।
- अगर आप पूरे स्तोत्र का जाप नहीं कर सकते तो कम से कम 1 या 3 बार इस स्तोत्र का पाठ करना तो सुनिश्चित करें।
5. जाप के बाद पूजा:
- जब स्तोत्र का पाठ समाप्त हो जाए, तो भगवान विष्णु का आदर और प्रसाद अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु का आरती गायें और फिर उनके प्रसाद का सेवन करें।
- अंत में भगवान से आशीर्वाद मांगें और उनका धन्यवाद अर्पित करें।
6. नियमित पाठ:
- यदि आप चाहते हैं कि इस स्तोत्र का पूरा लाभ मिले, तो इसका नियमित पाठ करें।
- विशेष रूप से एकादशी के दिन इस स्तोत्र का पाठ बहुत ही लाभकारी होता है।
ध्यान रखने योग्य बातें:
- विशेष ध्यान और विश्वास के साथ पाठ करें।
- अगर कोई विशेष समस्या या संकट हो तो इस स्तोत्र का पाठ और भी अधिक लाभकारी हो सकता है।
- उच्चारण के समय स्पष्टता बनाए रखें, और मन में भगवान विष्णु के दिव्य रूप का ध्यान करें।
- यह स्तोत्र विशेष रूप से दुष्ट शक्तियों, शत्रुओं और मानसिक तनाव से छुटकारा पाने के लिए बहुत प्रभावी होता है।
श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र के नियम:
श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ प्रभावी और लाभकारी तभी होता है जब इसे सही विधि और श्रद्धा के साथ किया जाए। इसके कुछ मुख्य नियम और निर्देश निम्नलिखित हैं:
1. एकादशी के दिन पाठ का महत्व:
- एकादशी के दिन श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का स्मरण और पूजा से सभी प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- एकादशी तिथि पर अगर इस स्तोत्र का पाठ किया जाए तो यह बहुत अधिक फलदायी होता है।
2. शुद्धता का पालन:
- पाठ करने से पहले शरीर और मन दोनों की शुद्धता बनाए रखें।
- नहाकर और स्वच्छ वस्त्र पहनकर ही इस स्तोत्र का पाठ करें।
- मानसिक शांति बनाए रखने के लिए आसन पर बैठकर, ध्यान लगाकर पाठ करना चाहिए।
3. श्रद्धा और विश्वास:
- श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ करते समय भगवान विष्णु के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए।
- मन में संकोच या शंका न रखें, बल्कि ईश्वर की कृपा पर पूरा भरोसा रखें।
4. उच्चारण और सही विधि:
- इस स्तोत्र का पाठ करते समय उच्चारण का विशेष ध्यान रखें।
- यदि संभव हो तो ध्यानपूर्वक और स्मरण करते हुए स्तोत्र के श्लोकों का सही उच्चारण करें।
- यदि श्लोक याद न हों, तो आप "ॐ श्री विष्णु" का मंत्र 108 बार जाप कर सकते हैं।
5. 12 नामों का जाप:
- श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र में भगवान विष्णु के 12 महत्वपूर्ण नाम हैं। इन नामों का जाप और उनका ध्यान विशेष रूप से लाभकारी होता है।
- प्रत्येक श्लोक में भगवान विष्णु के अलग-अलग नाम और उनके अस्त्रों का उल्लेख किया गया है। इन नामों को शुद्ध मन से उच्चारण करें।
6. पूजन सामग्री:
- श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ करते समय भगवान विष्णु को फूल, दीपक, और नैवेद्य अर्पित करें।
- ताजे फूल और घी का दीपक विशेष रूप से भगवान विष्णु को प्रिय होते हैं।
7. नियमितता:
- इस स्तोत्र का नियमित पाठ जीवन में लाभ लाता है। प्रत्येक दिन इस स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत फलदायी हो सकता है, लेकिन विशेष रूप से एकादशी के दिन इसका पाठ करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
- सप्ताह में एक बार भी इसका पाठ किया जाए तो लाभकारी होता है।
8. मंत्र जाप के बाद आशीर्वाद:
- पाठ समाप्त करने के बाद भगवान विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त करें।
- अपने परिवार और आत्मा के कल्याण की कामना करें।
9. शांति और संयम:
- पाठ करते समय आपके मन में कोई भी बाहरी विचार न आए, इसके लिए एकाग्रता बनाए रखें।
- पाठ के दौरान शांति और संयम बनाए रखें, ताकि पाठ का प्रभाव अधिक हो।
10. परिणाम की अपेक्षा न करें:
- भगवान से किसी विशेष फल की अपेक्षा न रखें। श्रद्धा और भक्ति से ही पाठ करें, परिणाम स्वाभाविक रूप से अच्छे होंगे।
11. संतान सुख और शत्रु नाश के लिए:
- यदि संतान सुख की प्राप्ति या शत्रु नाश के लिए पाठ करना हो, तो समर्पण और श्रद्धा के साथ इस स्तोत्र का पाठ करें।
श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र के लाभ:
श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ अनेक आध्यात्मिक और भौतिक लाभों का कारण बनता है। इसे नियमित रूप से या विशेष अवसरों पर पढ़ने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
1. शत्रु पर विजय:
- श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र का जाप करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की सुरक्षा मिलती है। यह खासकर उन लोगों के लिए लाभकारी होता है, जो जीवन में किसी प्रकार की शत्रुता का सामना कर रहे हों।
2. जीवन में शांति और सुख:
- यह स्तोत्र मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ाता है। नियमित पाठ से मन में शांति बनी रहती है, जिससे व्यक्ति को जीवन में सुख और संतोष की प्राप्ति होती है।
3. भय और कष्टों से मुक्ति:
- विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ करने से भय, तनाव, और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र मनोबल को बढ़ाता है और किसी भी प्रकार के मानसिक संकट से छुटकारा दिलाता है।
4. समृद्धि और धन का आगमन:
- यह स्तोत्र उन व्यक्तियों के लिए भी लाभकारी है, जो आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं। इसे पढ़ने से कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में समृद्धि आती है। इसके प्रभाव से कारोबार और व्यापार में भी तरक्की होती है।
5. मोक्ष की प्राप्ति:
- पञ्जर स्तोत्र का नियमित पाठ आत्मा को शुद्ध करता है और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग को खोलता है। यह स्तोत्र जीवन के अंतिम लक्ष्य, मुक्ति की प्राप्ति में मदद करता है।
6. विष्णु कृपा और आशीर्वाद:
- विष्णु पञ्जर स्तोत्र के पाठ से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके माध्यम से व्यक्ति को विष्णु भगवान का आशीर्वाद मिलता है, जो जीवन को सुखमय और समृद्ध बना देता है।
7. आत्मविश्वास में वृद्धि:
- इस स्तोत्र का जाप करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। मानसिक स्थिति मजबूत होती है और हर कठिनाई का सामना साहस और संयम से किया जाता है।
8. दुष्ट शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा:
- यह स्तोत्र दुष्ट शक्तियों, नकारात्मक ऊर्जा और भूत-प्रेत आदि से सुरक्षा प्रदान करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को इन खतरों से बचाया जाता है।
श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्रम् ! Vishnu Panjar Stotram !
॥ हरिरुवाच ॥प्रवक्ष्याम्यधुना ह्येतद्वैष्णवं पञ्जरं शुभम् ।
नमोनमस्ते गोविन्द चक्रं गृह्य सुदर्शनम् ॥ १॥
प्राच्यां रक्षस्व मां विष्णो ! त्वामहं शरणं गतः ।
गदां कौमोदकीं गृह्ण पद्मनाभ नमोऽस्त ते ॥ २॥
याम्यां रक्षस्व मां विष्णो ! त्वामहं शरणं गतः ।
हलमादाय सौनन्दे नमस्ते पुरुषोत्तम ॥ ३॥
प्रतीच्यां रक्ष मां विष्णो ! त्वामह शरणं गतः ।
मुसलं शातनं गृह्य पुण्डरीकाक्ष रक्ष माम् ॥ ४॥
उत्तरस्यां जगन्नाथ ! भवन्तं शरणं गतः ।
खड्गमादाय चर्माथ अस्त्रशस्त्रादिकं हरे ! ॥ ५॥
नमस्ते रक्ष रक्षोघ्न ! ऐशान्यां शरणं गतः ।
पाञ्चजन्यं महाशङ्खमनुघोष्यं च पङ्कजम् ॥ ६॥
प्रगृह्य रक्ष मां विष्णो आग्न्येय्यां रक्ष सूकर ।
चन्द्रसूर्यं समागृह्य खड्गं चान्द्रमसं तथा ॥ ७॥
नैरृत्यां मां च रक्षस्व दिव्यमूर्ते नृकेसरिन् ।
वैजयन्तीं सम्प्रगृह्य श्रीवत्सं कण्ठभूषणम् ॥ ८॥
वायव्यां रक्ष मां देव हयग्रीव नमोऽस्तु ते ।
वैनतेयं समारुह्य त्वन्तरिक्षे जनार्दन ! ॥ ९॥
मां रक्षस्वाजित सदा नमस्तेऽस्त्वपराजित ।
विशालाक्षं समारुह्य रक्ष मां त्वं रसातले ॥ १०॥
अकूपार नमस्तुभ्यं महामीन नमोऽस्तु ते ।
करशीर्षाद्यङ्गुलीषु सत्य त्वं बाहुपञ्जरम् ॥ ११॥
कृत्वा रक्षस्व मां विष्णो नमस्ते पुरुषोत्तम ।
एतदुक्तं शङ्कराय वैष्णवं पञ्जरं महत् ॥ १२॥
पुरा रक्षार्थमीशान्याः कात्यायन्या वृषध्वज ।
नाशायामास सा येन चामरान्महिषासुरम् ॥ १३॥
दानवं रक्तबीजं च अन्यांश्च सुरकण्टकान् ।
एतज्जपन्नरो भक्त्या शत्रून्विजयते सदा ॥ १४॥
इति श्रीगारुडे पूर्वखण्डे प्रथमांशाख्ये आचारकाण्डे
विष्णु पञ्जर स्तोत्रं नाम त्रयोदशोऽध्यायः॥
निष्कर्ष:
श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र एक अत्यधिक प्रभावशाली और शक्तिशाली स्तोत्र है। यह न केवल जीवन के भौतिक लाभों की प्राप्ति के लिए है, बल्कि यह व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति में भी मदद करता है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है, और भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है।
इसके लाभ तब और बढ़ जाते हैं जब इसे श्रद्धा और निष्ठा के साथ एकाग्र मन से पढ़ा जाता है। किसी भी प्रकार की विपत्ति, शत्रुता या संकट का सामना करते समय इस स्तोत्र का जाप बहुत प्रभावी साबित होता है। इसके माध्यम से व्यक्ति जीवन में हर प्रकार के कष्ट और बाधाओं को पार कर सकता है, और भगवान विष्णु की सुरक्षा प्राप्त कर सकता है।
अतः, श्री विष्णु पञ्जर स्तोत्र को जीवन में उतारने से न केवल व्यक्ति की आध्यात्मिक स्थिति में सुधार होता है, बल्कि भौतिक जीवन में भी अनेकों सकारात्मक बदलाव आते हैं।
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