श्री शनि वज्रपंजर कवच पाठ (PDF)
शनि दोष और कष्टों के निवारण के लिए अद्भुत कवच
श्री शनि वज्रपंजर कवच का पाठ शनिदेव के कुप्रभावों को कम करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का शक्तिशाली साधन है। इस कवच का नियमित पाठ शनि की साढ़ेसाती, ढैया और महादशा से उत्पन्न कष्टों को शांत करता है। शनिदेव, जिन्हें न्याय का देवता कहा जाता है, भक्तों को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। इस कवच का पाठ करके आप उनके कृपा पात्र बन सकते हैं।
श्री शनि वज्रपंजर कवच पाठ विधि
शनि वज्रपंजर कवच का पाठ शनिदेव के कुप्रभावों को शांत करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का प्रभावी उपाय है। इस पाठ को विधिपूर्वक करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। नीचे पाठ विधि का वर्णन किया गया है:
1. पाठ से पहले तैयारी
स्नान और शुद्धता:
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पाठ के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करें।
पूजा स्थान तैयार करें:
- शनिदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- काले तिल और नीले फूल अर्पित करें।
सामग्री एकत्र करें:
- सरसों का तेल, काले तिल, नीले वस्त्र, और पंचामृत।
- शनिदेव के नाम का ध्यान करते हुए आसन पर बैठें।
2. पाठ करने का समय
- शनिवार का दिन:
शनिवार के दिन इस कवच का पाठ करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। - सूर्यास्त के बाद:
शनिदेव का पूजन सूर्यास्त के बाद करना अधिक प्रभावी होता है।
3. कवच पाठ विधि
गणेश पूजन:
सबसे पहले भगवान गणेश का स्मरण और पूजन करें।शनिदेव का ध्यान करें:
निम्न ध्यान मंत्र का जाप करें:
"नीलाम्बरो नीलवपुः किरीटी
गृध्रस्थितस्त्रासकरो धनुष्मान्।
चतुर्भुजः सूर्यसुतः प्रसन्नः
सदा मम स्याद्वरदः प्रशान्तः॥"कवच का पाठ आरंभ करें:
- शुद्ध मन से श्री शनि वज्रपंजर कवच का पाठ करें।
- इसे कम से कम 3, 7 या 11 बार पढ़ें।
दीपक और तिल का प्रयोग:
- सरसों के तेल का दीपक जलाकर, शनि के मंत्रों का जाप करते हुए तेल चढ़ाएं।
- काले तिल और उड़द दाल का दान करें।
भोग अर्पण करें:
- शनिदेव को काले तिल का प्रसाद अर्पित करें।
प्रार्थना और समर्पण:
- पाठ के बाद शनिदेव से अपने कष्टों के निवारण और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
4. पाठ के दौरान नियम
- पाठ के समय मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
- पाठ हमेशा शनिदेव के प्रति श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।
- शनि दोष को कम करने के लिए गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें।
5. पाठ के विशेष लाभ
- शनि की साढ़ेसाती, ढैया और महादशा के प्रभावों में कमी आती है।
- जन्मकुंडली में शनि से संबंधित दोषों का निवारण होता है।
- मानसिक शांति और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
- शनिदेव की कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं।
"ॐ शं शनैश्चराय नमः।"
इस मंत्र का जाप पाठ के बाद करें और शनिदेव के आशीर्वाद का अनुभव करें।
श्री शनि वज्रपंजर कवच पाठ के नियम
शनि वज्रपंजर कवच का पाठ करते समय शास्त्रानुसार कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है, जिससे पाठ का पूरा लाभ प्राप्त हो सके। ये नियम शनिदेव की कृपा प्राप्त करने और उनके कुप्रभावों से बचने में सहायक हैं।
1. मानसिक और शारीरिक शुद्धता
- पाठ करने वाले व्यक्ति को अपने मन और शरीर को शुद्ध रखना चाहिए।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर ही पाठ करें।
- पाठ के समय मन में अशुभ विचार न आने दें।
2. पाठ का समय और स्थान
- शनिवार का दिन: यह पाठ विशेष रूप से शनिवार को करना चाहिए।
- समय:
- सुबह स्नान के बाद या
- सूर्यास्त के बाद करना अत्यधिक प्रभावी होता है।
- शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर पाठ करें।
3. पूजन सामग्री का ध्यान
- शनिदेव की प्रतिमा या चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- काले तिल, उड़द, और नीले या काले फूल अर्पित करें।
- पाठ के बाद काले तिल और उड़द का दान करें।
- काले या नीले रंग के आसन का प्रयोग करें।
- पाठ करते समय पश्चिम दिशा की ओर मुख रखें।
5. नकारात्मक कर्मों से बचें
- इस पाठ के दौरान और सामान्य जीवन में झूठ, हिंसा, छल-कपट, और अधार्मिक कार्यों से बचें।
- दूसरों को कष्ट न दें और जरूरतमंदों की मदद करें।
6. पाठ की संख्या
- पाठ कम से कम 3 बार करें।
- अधिक लाभ के लिए इसे 7, 11, या 108 बार भी किया जा सकता है।
- यदि पाठ किसी विशेष समस्या के समाधान के लिए किया जा रहा है, तो इसे लगातार 40 दिन तक करें।
7. भोजन और व्रत
- पाठ के दिन सात्विक भोजन करें।
- हो सके तो उपवास रखें या केवल एक समय का भोजन करें।
- पाठ शुरू करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी या गुरु से इस पाठ के विधि-विधान के बारे में परामर्श लें।
9. दान का महत्व
- शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए पाठ के बाद दान करें।
- काले तिल, सरसों का तेल, काले कपड़े, और लोहे की वस्तुओं का दान शनिदेव के दोषों को शांत करता है।
10. मंत्र का सही उच्चारण
- कवच के मंत्रों का सही उच्चारण करें।
- त्रुटि से बचने के लिए किसी विद्वान से मंत्र पढ़ना सीखें।
11. विनम्रता और श्रद्धा
- पाठ पूरी श्रद्धा और विनम्रता के साथ करें।
- शनिदेव से अपने कष्टों के निवारण और कृपा प्राप्ति की प्रार्थना करें।
विशेष निर्देश
- यदि पाठ स्वयं न कर पाएं, तो किसी योग्य ब्राह्मण से पाठ करवाएं।
- पाठ करते समय काले वस्त्र पहनना और सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
"ॐ शं शनैश्चराय नमः।"
इस बीज मंत्र का जप पाठ के बाद अवश्य करें।
इन नियमों का पालन करने से श्री शनि वज्रपंजर कवच पाठ का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है।
श्री शनि वज्रपंजर कवच पाठ के लाभ
शनि वज्रपंजर कवच शनिदेव का अत्यंत प्रभावशाली कवच है, जो व्यक्ति को शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों से बचाने और उनके अनुकूल परिणाम प्राप्त करने में मदद करता है। इसके नियमित पाठ से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
श्री शनि वज्रपंजर कवच के लाभ
1. शनि दोष का निवारण
- शनि साढ़ेसाती, ढैय्या, महादशा, या शनि के अशुभ प्रभावों से उत्पन्न कष्टों का निवारण होता है।
- कुंडली में शनि ग्रह के अशुभ स्थानों पर होने से जो समस्याएं आती हैं, उनका समाधान होता है।
2. शनि की कृपा प्राप्त होती है
- शनिदेव को न्याय और कर्म का देवता माना जाता है। इस कवच के पाठ से वे प्रसन्न होकर व्यक्ति के साथ न्याय करते हैं।
- शनिदेव की कृपा से व्यक्ति के जीवन में शांति और स्थिरता आती है।
3. विपत्तियों से रक्षा
- पाठ के प्रभाव से व्यक्ति को दुर्घटनाओं, गंभीर रोगों, और आर्थिक संकटों से बचाव मिलता है।
- शत्रुओं और विरोधियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
4. करियर और व्यवसाय में सफलता
- जो लोग नौकरी या व्यवसाय में असफलता का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह कवच अत्यंत फलदायी है।
- यह शनिदेव की कृपा से नए अवसरों और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
5. मानसिक और आध्यात्मिक लाभ
- यह पाठ मन को शांति, आत्मबल, और नकारात्मक विचारों से मुक्ति देता है।
- आध्यात्मिक जागृति और सुदृढ़ता प्रदान करता है।
6. पारिवारिक समस्याओं का समाधान
- पारिवारिक कलह, वैवाहिक समस्याओं, और अन्य घरेलू संकटों से राहत मिलती है।
- रिश्तों में सामंजस्य और सुख-शांति बनी रहती है।
7. स्वास्थ्य लाभ
- शनि के कारण उत्पन्न होने वाले रोगों (जैसे गठिया, हड्डियों की समस्याएं, और तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकार) से बचाव होता है।
- कवच का पाठ शरीर को ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देता है।
8. शत्रु और संकट निवारण
- कवच पाठ व्यक्ति को शत्रुओं के षड्यंत्रों से बचाता है।
- हर प्रकार के संकटों का निवारण होता है।
श्री शनि वज्रपंजर कवच - Shri Shani Vajrapanjara Kavach
ओं अस्य श्रीशनैश्चरवज्रपञ्जर कवचस्य कश्यप ऋषिः अनुष्टुप् छन्दः
श्री शनैश्चर देवता श्रीशनैश्चर प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।
ध्यानम् ।
नीलाम्बरो नीलवपुः किरीटी
गृध्रस्थितस्त्रासकरो धनुष्मान् ।
चतुर्भुजः सूर्यसुतः प्रसन्नः
सदा मम स्याद्वरदः प्रशान्तः ॥
ब्रह्मोवाच ।
शृणुध्वं ऋषयः सर्वे शनिपीडाहरं महत् ।
कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम् ॥
कवचं देवतावासं वज्रपञ्जरसञ्ज्ञकम् ।
शनैश्चर प्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम् ॥
कवच
ओं श्रीशनैश्चरः पातु भालं मे सूर्यनन्दनः ।
नेत्रे छायात्मजः पातु पातु कर्णौ यमानुजः ॥ 1 ॥
नासां वैवस्वतः पातु मुखं मे भास्करः सदा ।
स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठं भुजौ पातु महाभुजः ॥ 2 ॥
स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रदः ।
वक्षः पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्तथा ॥ 3 ॥
नाभिं ग्रहपतिः पातु मन्दः पातु कटिं तथा ।
ऊरू ममान्तकः पातु यमो जानुयुगं तथा ॥ 4 ॥
पादौ मन्दगतिः पातु सर्वाङ्गं पातु पिप्पलः ।
अङ्गोपाङ्गानि सर्वाणि रक्षेन्मे सूर्यनन्दनः ॥ 5 ॥
फलश्रुतिः
इत्येतत्कवचं दिव्यं पठेत्सूर्यसुतस्य यः ।
न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवति सूर्यजः ॥
व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोऽपि वा ।
कलत्रस्थो गतो वापि सुप्रीतस्तु सदा शनिः ॥
अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे ।
कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित् ॥
इत्येतत्कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा ।
द्वादशाष्टमजन्मस्थदोषान्नाशयते सदा ।
जन्मलग्नस्थितान् दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभुः ॥
इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे ब्रह्मनारदसंवादे शनि वज्रपंजर कवच ।
श्री शनि वज्रपंजर कवच का निष्कर्ष
कर्म प्रधान देवता का आशीर्वाद:
- शनि ग्रह व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल देते हैं। यह कवच व्यक्ति को शनिदेव के कोप से बचाकर उनके शुभ प्रभाव प्रदान करता है।
जीवन में स्थिरता:
- शनि वज्रपंजर कवच का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, सफलता, और शांति लाता है।
साधना का महत्व:
- यह पाठ केवल नियम, श्रद्धा और विधिपूर्वक करने से प्रभावी होता है।
शनि ग्रह के अनुकूल प्रभाव:
- यह कवच शनि ग्रह के प्रभाव को अनुकूल बनाकर समृद्धि और संतोष का मार्ग प्रशस्त करता है।
विशेष संदेश
- शनि वज्रपंजर कवच केवल पाठ नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक कवच है, जो व्यक्ति को शनि ग्रह के सभी प्रकार के अशुभ प्रभावों से बचाता है।
- श्रद्धा, नियम, और विश्वास के साथ इसका पाठ करने से सभी प्रकार की समस्याएं समाप्त होती हैं और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
"ॐ शं शनैश्चराय नमः।"
इस मंत्र के साथ पाठ के बाद शनिदेव को धन्यवाद देना न भूलें।
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