श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली (PDF) श्री विष्णु के 108 नाम | Shri Vishnu Ashtottara Shatnamavali (PDF) 108 names of Shri Vishnu
श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली (PDF) श्री विष्णु के 108 नाम
परिचय
श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ करने की विधि
भगवान विष्णु के 108 नामों का पाठ श्रद्धा और विधिपूर्वक करने से मन को शांति, आध्यात्मिक जागरूकता और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। नीचे इस पाठ की सरल और पूर्ण विधि दी गई है:
1. पूजन की तैयारी
- स्थान की स्वच्छता: पूजा स्थान को स्वच्छ करें और वहां तुलसी के पौधे या भगवान विष्णु की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
- स्नान और शुद्ध वस्त्र: स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। सफेद या पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- पूजन सामग्री:
- दीपक
- अगरबत्ती
- पुष्प (विशेष रूप से तुलसी पत्र)
- गंगाजल
- अक्षत (साबुत चावल)
- फल और मिठाई (प्रसाद के लिए)
- चंदन या कुमकुम
2. पूजा की प्रारंभिक प्रक्रिया
- आसन ग्रहण करें: पूजा स्थल पर कुश या सूती आसन बिछाकर बैठें।
- दीप प्रज्वलित करें: दीपक जलाकर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- मंत्र:"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"
- जल से शुद्धिकरण: गंगाजल को अपने हाथों में लेकर संकल्प लें और चारों ओर छिड़ककर शुद्धि करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें:
- मंत्र:"शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं।विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम्।लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्।वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।"
3. अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ
नामों का उच्चारण:
- प्रत्येक नाम के आगे "ॐ" और पीछे "नमः" जोड़कर उच्चारण करें।
- उदाहरण:
- ॐ विष्णवे नमः
- ॐ केशवाय नमः
- ॐ नारायणाय नमः
माला का उपयोग:
- 108 मनकों वाली तुलसी या रुद्राक्ष माला का उपयोग करते हुए हर नाम का जाप करें।
भावपूर्ण स्मरण:
- नामों का उच्चारण करते समय भगवान विष्णु की लीलाओं, स्वरूप और गुणों का ध्यान करें।
4. पाठ के बाद की क्रियाएँ
- प्रसाद अर्पण: भगवान विष्णु को तुलसी पत्र, फल, और मिठाई अर्पित करें।
- आरती करें: भगवान विष्णु की आरती गाएं।
- "ॐ जय जगदीश हरे।"
- प्रार्थना करें:
- "हे भगवान विष्णु, मैं आपकी शरण में हूं। कृपया मेरे सभी दुखों को हरें और मुझे शांति व समृद्धि प्रदान करें।"
- प्रसाद ग्रहण करें: पूजा के अंत में प्रसाद ग्रहण करें और सभी को वितरित करें।
5. शुभ समय और दिन
- यह पाठ प्रातः काल या संध्या समय करना अधिक शुभ होता है।
- एकादशी, पूर्णिमा, या विशेष पर्व (जैसे जन्माष्टमी, वैकुंठ एकादशी) पर यह पाठ करना अत्यधिक फलदायी माना गया है।
श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ के नियम
भगवान विष्णु के 108 नामों का पाठ एक पवित्र और नियमबद्ध प्रक्रिया है। यदि इसे सही तरीके और नियमों का पालन करते हुए किया जाए, तो यह पाठ भक्त को कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ प्रदान करता है। नीचे इस पाठ के लिए आवश्यक नियम बताए गए हैं:
1. शुद्धता और स्वच्छता
- स्नान करें: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थान की शुद्धता: पूजा स्थल को साफ करें। वहां तुलसी का पौधा या भगवान विष्णु की मूर्ति/चित्र रखें।
- आंतरिक शुद्धता: मन को शांत और नकारात्मक विचारों से मुक्त रखें।
2. सही समय का चयन
- प्रातःकाल: सूर्योदय से पहले का समय सबसे शुभ होता है।
- संध्या: सूर्यास्त के बाद भी यह पाठ किया जा सकता है।
- विशेष दिन: एकादशी, पूर्णिमा, वैकुंठ एकादशी, जन्माष्टमी, या किसी विशेष विष्णु पर्व पर पाठ करने से अधिक लाभ होता है।
3. संकल्प और ध्यान
- संकल्प लें: पाठ शुरू करने से पहले गंगाजल लेकर भगवान विष्णु को समर्पित एक संकल्प करें।
- "मैं भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप अपने कल्याण, सुख-शांति और आध्यात्मिक उत्थान के लिए कर रहा/रही हूं।"
- भगवान विष्णु का ध्यान करें: उनकी मूर्ति या चित्र के सामने शांत चित्त होकर ध्यान लगाएं।
4. स्थान का चयन
- शांत और पवित्र स्थान: पाठ के लिए ऐसा स्थान चुनें जहां शांति हो और किसी प्रकार की बाधा न हो।
- तुलसी का पौधा: पाठ के समय तुलसी का पौधा पास में होना शुभ माना जाता है।
5. पूजा सामग्री
- दीपक, अगरबत्ती, पुष्प (विशेषतः तुलसी पत्र), गंगाजल, चंदन, और प्रसाद।
- पाठ के लिए तुलसी या रुद्राक्ष माला का उपयोग करें।
6. पाठ के दौरान के नियम
- सटीक उच्चारण: भगवान विष्णु के नामों का सही उच्चारण करें।
- शुद्धता का ध्यान: पाठ के समय ध्यान रखें कि मन और वाणी पवित्र रहे।
- श्रद्धा और विश्वास: पाठ करते समय भगवान विष्णु के प्रति समर्पण और भक्ति भाव रखें।
- आसन का उपयोग: पाठ के दौरान कुश, सूती या ऊनी आसन पर बैठें।
7. पाठ की समाप्ति के नियम
- प्रसाद अर्पण: पाठ के बाद भगवान विष्णु को तुलसी पत्र और प्रसाद अर्पित करें।
- आरती करें: भगवान विष्णु की आरती गाकर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।
- "ॐ जय जगदीश हरे।"
- प्रार्थना करें:
- "हे भगवान विष्णु, मेरे जीवन के सभी कष्ट हरें और मुझे अपने आशीर्वाद से नवाजें।"
- प्रसाद ग्रहण करें: पूजा का प्रसाद स्वयं ग्रहण करें और अन्य लोगों में बांटें।
8. नियमितता का पालन
- नियमित पाठ करें: यदि संभव हो तो श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ प्रतिदिन करें।
- विशेष अवसर: किसी भी शुभ कार्य या नए आरंभ से पहले इस पाठ को करने से सफलता और सौभाग्य प्राप्त होता है।
9. वर्जित क्रियाएँ
- पाठ के समय अनावश्यक बातचीत से बचें।
- पाठ अधूरा न छोड़ें।
- अशुद्ध मन या वातावरण में पाठ न करें।
श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ के लाभ
भगवान विष्णु के 108 नामों का पाठ करने से भक्त को आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह पाठ भगवान विष्णु की कृपा और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है। नीचे इस पाठ के प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
1. आध्यात्मिक लाभ
- ईश्वर से जुड़ाव:भगवान विष्णु के नामों का जाप भक्त को ईश्वर के निकट ले जाता है और आत्मिक शांति प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक उत्थान:यह पाठ आत्मा को पवित्र करता है और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देता है।
- पापों का नाश:मान्यता है कि भगवान विष्णु के नामों का जाप करने से जीवन के पाप नष्ट हो जाते हैं और पुनर्जन्म के बंधन से मुक्ति मिलती है।
- मुक्ति (मोक्ष):यह पाठ जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाने और मोक्ष प्राप्त करने में सहायक होता है।
2. मानसिक लाभ
- तनाव और चिंता का नाश:भगवान विष्णु के नामों का जाप मन को शांत करता है और तनाव, चिंता तथा नकारात्मक विचारों को दूर करता है।
- एकाग्रता और ध्यान:नियमित पाठ से ध्यान की शक्ति बढ़ती है और मन एकाग्र होता है।
- आंतरिक शांति:यह पाठ मन और आत्मा को शांत करता है, जिससे व्यक्ति को भीतर से संतोष और खुशी का अनुभव होता है।
3. भौतिक लाभ
- सुख-समृद्धि:भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में धन, सुख, और समृद्धि का आगमन होता है।
- सौभाग्य और सफलता:यह पाठ नए कार्यों में सफलता और सौभाग्य लाने में सहायक होता है।
- परिवारिक कल्याण:पाठ से परिवार में सुख, शांति और आपसी प्रेम बढ़ता है।
4. स्वास्थ्य लाभ
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:भगवान विष्णु के नामों का जाप सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे शरीर और मन स्वस्थ रहता है।
- बीमारियों का नाश:यह पाठ बीमारियों से बचाने और शरीर में आत्मिक ऊर्जा बनाए रखने में सहायक है।
5. बाधाओं का नाश और संकटों से रक्षा
- संकटों का निवारण:भगवान विष्णु के नामों का जाप जीवन में आने वाले संकटों और कठिनाइयों को दूर करता है।
- शत्रुओं पर विजय:यह पाठ शत्रुओं से रक्षा करता है और नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है।
- सभी प्रकार की बाधाओं का अंत:पाठ से जीवन के मार्ग में आने वाली रुकावटें समाप्त होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है।
6. विशेष लाभ
- एकादशी व्रत का फल:श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ एकादशी व्रत के साथ करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
- धार्मिक पुण्य:भगवान विष्णु के नामों का जाप करने से व्यक्ति को धार्मिक पुण्य प्राप्त होता है और उसका जीवन पवित्र बनता है।
- तुलसी पूजा का महत्व:पाठ के साथ तुलसी के पत्ते चढ़ाने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
विष्णु अष्टॊत्तर शतनामावलि ! Shri Vishnu Ke 108 Naam !
- ૐ विष्णवॆ नमः ।
- ૐ कॆशवाय नमः ।
- ૐ कॆशिशत्रवॆ नमः ।
- ૐ सनातनाय नमः ।
- ૐ कंसारयॆ नमः ।
- ૐ धॆनुकारयॆ नमः ।
- ૐ शिशुपालरिपवॆ नमः ।
- ૐ प्रभुवॆ नमः ।
- ૐ यशॊदानंदनाय नमः ।
- ૐ शौरयॆ नमः ॥ १0 ॥
- ૐ पुंडरीकनिभॆक्षणाय नमः ।
- ૐ दामॊदराय नमः ।
- ૐ जगन्नाथाय नमः ।
- ૐ जगत्कर्त्रॆ नमः ।
- ૐ जगत्प्रियाय नमः ।
- ૐ नारायणाय नमः ।
- ૐ बलिध्वंसिनॆ नमः ।
- ૐ वामनाय नमः ।
- ૐ अदितिनंदनाय नमः ।
- ૐ कृष्णाय नमः ॥ २0 ॥
- ૐ यदुकुलश्रॆष्ठाय नमः ।
- ૐ वासुदॆवाय नमः ।
- ૐ वसुप्रदाय नमः ।
- ૐ अनंताय नमः ।
- ૐ कैटभारयॆ नमः ।
- ૐ मल्लजितॆ नमः ।
- ૐ नरकांतकाय नमः ।
- ૐ अच्युताय नमः ।
- ૐ श्रीधराय नमः ।
- ૐ श्रीमतॆ नमः ॥ ३० ॥
- ૐ श्रीपतयॆ नमः ।
- ૐ पुरुषॊत्तमाय नमः ।
- ૐ गॊविंदाय नमः ।
- ૐ वनमालिनॆ नमः ।
- ૐ हृषिकॆशाय नमः ।
- ૐ अखिलार्तिघ्नॆ नमः ।
- ૐ नृसिंहाय नमः ।
- ૐ दैत्यशत्रवॆ नमः ।
- ૐ मत्स्यदॆवाय नमः ।
- ૐ जगन्मयाय नमः ॥ ४० ॥
- ૐ भूमिधारिणॆ नमः ।
- ૐ महाकूर्माय नमः ।
- ૐ वराहाय नमः ।
- ૐ पृथिवीपतयॆ नमः ।
- ૐ वैकुंठाय नमः ।
- ૐ पीतवाससॆ नमः ।
- ૐ चक्रपाणयॆ नमः ।
- ૐ गदाधराय नमः ।
- ૐ शंखभृतॆ नमः ।
- ૐ पद्मपाणयॆ नमः ॥ ५० ॥
- ૐ नंदकिनॆ नमः ।
- ૐ गरुडध्वजाय नमः ।
- ૐ चतुर्भुजाय नमः ।
- ૐ महासत्वाय नमः ।
- ૐ महाबुद्धयॆ नमः ।
- ૐ महाभुजाय नमः ।
- ૐ महातॆजसॆ नमः ।
- ૐ महाबाहुप्रियाय नमः ।
- ૐ महॊत्सवाय नमः ।
- ૐ प्रभवॆ नमः ॥ ६० ॥
- ૐ विष्वक्सॆनाय नमः ।
- ૐ शार्घिणॆ नमः ।
- ૐ पद्मनाभाय नमः ।
- ૐ जनार्दनाय नमः ।
- ૐ तुलसीवल्लभाय नमः ।
- ૐ अपराय नमः ।
- ૐ परॆशाय नमः ।
- ૐ परमॆश्वराय नमः ।
- ૐ परमक्लॆशहारिणॆ नमः ।
- ૐ परत्रसुखदाय नमः ॥ ७० ॥
- ૐ परस्मै नमः ।
- ૐ हृदयस्थाय नमः ।
- ૐ अंबरस्थाय नमः ।
- ૐ अयाय नमः ।
- ૐ मॊहदाय नमः ।
- ૐ मॊहनाशनाय नमः ।
- ૐ समस्तपातकध्वंसिनॆ नमः ।
- ૐ महाबलबलांतकाय नमः ।
- ૐ रुक्मिणीरमणाय नमः ।
- ૐ रुक्मिप्रतिज्ञाखंडनाय नमः ॥ ८० ॥
- ૐ महतॆ नमः ।
- ૐ दामबद्धाय नमः ।
- ૐ क्लॆशहारिणॆ नमः ।
- ૐ गॊवर्धनधराय नमः ।
- ૐ हरयॆ नमः ।
- ૐ पूतनारयॆ नमः ।
- ૐ मुष्टिकारयॆ नमः ।
- ૐ यमलार्जुनभंजनाय नमः ।
- ૐ उपॆंद्राय नमः ।
- ૐ विश्वमूर्तयॆ नमः ॥ ९० ॥
- ૐ व्यॊमपादाय नमः ।
- ૐ सनातनाय नमः ।
- ૐ परमात्मनॆ नमः ।
- ૐ परब्रह्मणॆ नमः ।
- ૐ प्रणतार्तिविनाशनाय नमः ।
- ૐ त्रिविक्रमाय नमः ।
- ૐ महामायाय नमः ।
- ૐ यॊगविदॆ नमः ।
- ૐ विष्टरश्रवसॆ नमः ।
- ૐ श्रीनिधयॆ नमः ॥ १०० ॥
- ૐ श्रीनिवासाय नमः ।
- ૐ यज्ञभॊक्त्रॆ नमः ।
- ૐ सुखप्रदाय नमः ।
- ૐ यज्ञॆश्वराय नमः ।
- ૐ रावणारयॆ नमः ।
- ૐ प्रलंबघ्नाय नमः ।
- ૐ अक्षयाय नमः ।
- ૐ अव्ययाय नमः ॥ १०८ ॥
निष्कर्ष
श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली का जाप भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने का सरल और प्रभावी तरीका है। यह आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करता है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इन नामों का जाप करें और भगवान विष्णु की कृपा का अनुभव करें।
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"
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