भगवान श्री गणेश चालीसा (पीडीएफ) | Lord Shri Ganesh Chalisa (PDF)

भगवान श्री गणेश चालीसा (PDF)

विषय सूची

  • भगवान गणेश चालीसा का महत्व
  • भगवान गणेश चालीसा का पाठ विधि (Vidi)
  • भगवान गणेश चालीसा पाठ के नियम (Rules for Reading Ganesh Chalisa)
  • भगवान गणेश चालीसा के लाभ (Benefits of Reciting Ganesh Chalisa)
  • भगवान गणेश चालीसा
  • निष्कर्ष (Conclusion)

भगवान गणेश को हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे किसी भी कार्य की शुरुआत में पूजे जाते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। गणेश जी की पूजा से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, ज्ञान, और बुद्धि प्राप्त होती है। भगवान गणेश की पूजा का एक प्रमुख तरीका है गणेश चालीसा का पाठ। यह चालीसा भगवान गणेश के रूप, गुण, और उनकी महिमा का वर्णन करती है।

भगवान गणेश चालीसा का महत्व

गणेश चालीसा भगवान गणेश के अद्भुत गुणों और शक्तियों का विस्तार से वर्णन करती है। यह स्तोत्र न केवल भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता लाने में भी सहायक है। यदि इसे पूरी श्रद्धा और भावनाओं के साथ पढ़ा जाए, तो यह व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने में सहायक होता है।

भगवान गणेश चालीसा का पाठ विधि (Vidi)

भगवान गणेश चालीसा का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

1. स्थान और स्थिति:

  • सबसे पहले, एक स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें।
  • पूजा स्थल को साफ करें और वहां भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र रखें।
  • यदि संभव हो, तो गणेश जी की मूर्ति के सामने दीपक, अगरबत्ती और फूल रखें।
  • भगवान गणेश के चित्र के पास घी का दीपक जलाएं, और धूप-बत्ती लगाएं।

2. मानसिक स्थिति:

  • गणेश चालीसा का पाठ शुद्ध मानसिक स्थिति के साथ करें।
  • मन को एकाग्र करें और भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखें।
  • आंखें बंद करके भगवान गणेश का ध्यान करें और मानसिक रूप से उनकी पूजा करें।

3. गणेश मंत्र से शुरुआत करें:

  • गणेश चालीसा का पाठ शुरू करने से पहले, "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का 3 बार जाप करें। यह मंत्र भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

4. गणेश चालीसा का पाठ करें:

  • अब भगवान गणेश चालीसा का पाठ करना शुरू करें।
  • चालीसा को पूरी श्रद्धा और ध्यान से पढ़ें, और प्रत्येक शब्द का अर्थ समझने की कोशिश करें।
  • प्रत्येक श्लोक के बाद "जय गणेश" कहें।

5. पाठ के बाद की क्रियाएं:

  • जब चालीसा समाप्त हो जाए, तो गणेश जी के चित्र या मूर्ति का सम्मान करें।
  • अगरबत्ती को बंद करें और दीपक को धन्यवाद देते हुए बुझाएं।
  • भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद, एक बार फिर से "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का उच्चारण करें।
  • हाथ जोड़कर गणेश जी से आशीर्वाद लें और मन में अपने इच्छित फल की प्रार्थना करें।

6. अंत में प्रसाद चढ़ाएं:

  • गणेश चालीसा के बाद भगवान गणेश को मोदक (उनका प्रिय प्रसाद) या मिठाई अर्पित करें।
  • घर के सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें।

7. पाठ का समय:

  • गणेश चालीसा का पाठ विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को अधिक फलदायी होता है, लेकिन इसे किसी भी दिन किया जा सकता है।
  • एकादशी, चतुर्थी या गणेश चतुर्थी जैसे विशेष दिनों पर चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ होता है।

नोट: गणेश चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ करना चाहिए। यदि आप इसे नियमित रूप से करते हैं, तो आपके जीवन में शांति, समृद्धि, और सभी विघ्नों का नाश होगा।

भगवान गणेश चालीसा पाठ के नियम (Rules for Reading Ganesh Chalisa)

भगवान गणेश चालीसा का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि पूजा अधिक प्रभावशाली और फलदायक हो। निम्नलिखित नियमों का ध्यान रखें:

1. स्वच्छता और पवित्रता:

  • गणेश चालीसा का पाठ हमेशा स्वच्छ और पवित्र स्थान पर करें। पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें।
  • शरीर की स्वच्छता का ध्यान रखें। नहाकर या साफ कपड़े पहनकर पूजा करना सर्वोत्तम होता है।

2. समय का चयन:

  • गणेश चालीसा का पाठ सुबह या शाम के समय करें। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को गणेश चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
  • एकादशी, चतुर्थी और गणेश चतुर्थी के दिन इस पाठ का विशेष महत्व है।

3. मानसिक स्थिति:

  • गणेश चालीसा का पाठ करते समय ध्यान और भक्ति से मन को शुद्ध और एकाग्र रखें।
  • शांति और सकारात्मक मानसिकता के साथ पाठ करें। ध्यान रखें कि आप भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा कर रहे हैं।

4. मुंह से सही उच्चारण:

  • गणेश चालीसा का सही उच्चारण करें। शब्दों का सही उच्चारण बहुत जरूरी है, क्योंकि इसका प्रभाव आपके पूजा के परिणामों पर पड़ता है।
  • यदि आपको कुछ श्लोक का उच्चारण ठीक से नहीं आता है, तो शुरुआत में शुद्ध रूप से संपूर्ण चालीसा पढ़ने की कोशिश करें।

5. श्रद्धा और विश्वास:

  • गणेश चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। बिना विश्वास के किया गया पाठ उतना प्रभावी नहीं होता।
  • भगवान गणेश की उपासना में विश्वास रखना आवश्यक है, क्योंकि आपकी श्रद्धा और भक्ति ही मुख्य कारण है जिससे आप आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

6. समय और अवधि:

  • गणेश चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में शांति, समृद्धि और बाधाओं का निवारण होता है। यह प्रतिदिन किया जा सकता है, लेकिन यदि समय की कमी हो, तो कम से कम हर मंगलवार और शनिवार को इसे जरूर पढ़ें।
  • पाठ के दौरान पूरी चालीसा का एक साथ पाठ करें। बीच में कोई भी शब्द छोड़ने से बचें।

7. मंत्र का जाप:

  • गणेश चालीसा से पहले और बाद में “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें। यह मंत्र भगवान गणेश के प्रति आपकी श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करता है।

8. पूजा के दौरान व्रत या नियम:

  • यदि आप गणेश चालीसा का पाठ विशेष रूप से किसी विघ्न या संकट से उबरने के लिए कर रहे हैं, तो पूजा के दौरान व्रत का पालन करें।
  • उपवास या आहार पर कुछ सीमाएं रखने से पूजा का प्रभाव और भी बढ़ सकता है।

9. प्रसाद अर्पित करें:

  • पूजा के अंत में भगवान गणेश को प्रसाद अर्पित करें। मोदक (गणेश जी का प्रिय प्रसाद), ताजे फल, या मिठाइयाँ अर्पित कर सकते हैं।
  • प्रसाद वितरण से परिवार में एकता और समृद्धि का संचार होता है।

10. ध्यान और आशीर्वाद:

  • पूजा के अंत में भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मन ही मन अपनी इच्छाएं व्यक्त करें।
  • अगर आप किसी विशेष समस्या का समाधान चाह रहे हैं, तो उसे भगवान गणेश से निवेदन करें।

11. विशेष रूप से ध्यान रखें:

  • पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के विघ्न (दूसरे कार्यों का ध्यान, मोबाइल का प्रयोग) से बचें।
  • भगवान गणेश की उपासना का उद्देश्य सिर्फ आत्मिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त करना होना चाहिए, न कि केवल किसी भौतिक लाभ के लिए।

इन नियमों का पालन करके गणेश चालीसा का पाठ करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

भगवान गणेश चालीसा पाठ के लाभ और निष्कर्ष

भगवान गणेश चालीसा का नियमित पाठ विशेष रूप से भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह न केवल भक्ति का एक तरीका है, बल्कि जीवन में आने वाली समस्याओं से मुक्ति पाने का एक प्रभावी उपाय भी है।

भगवान गणेश चालीसा के लाभ (Benefits of Reciting Ganesh Chalisa)

  1. विघ्नों का नाश:
    भगवान गणेश विघ्नहर्ता (विघ्नों को दूर करने वाले) माने जाते हैं। गणेश चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं, समस्याएं और विघ्न दूर होते हैं।

  2. बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि:
    गणेश जी को बुद्धि और ज्ञान के देवता के रूप में पूजा जाता है। गणेश चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की बुद्धि, ज्ञान, और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। यह विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है।

  3. धन और समृद्धि में वृद्धि:
    गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति के जीवन में धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की कमी नहीं रहती। गणेश चालीसा का नियमित पाठ घर में सुख-समृद्धि और वित्तीय स्थिरता लाता है।

  4. सभी प्रकार की कष्टों से मुक्ति:
    चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह किसी भी प्रकार की मानसिक या शारीरिक पीड़ा से राहत दिलाता है।

  5. नई शुरुआत में सफलता:
    गणेश जी को नए कार्यों की शुरुआत का देवता माना जाता है। गणेश चालीसा का पाठ किसी भी नए कार्य या योजना की शुरुआत से पहले किया जाता है, तो यह सफलता की ओर मार्गदर्शन करता है।

  6. समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा:
    गणेश चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है और समाज में उसकी इज्जत व सम्मान में वृद्धि होती है।

  7. मनोकामनाओं की पूर्ति:
    यदि कोई व्यक्ति किसी विशिष्ट कामना या इच्छा के लिए गणेश चालीसा का पाठ करता है, तो उसकी मनोकामना पूरी होती है, बशर्ते उसे पूरे विश्वास और श्रद्धा से किया जाए।

  8. नकारात्मक ऊर्जा का नाश:
    चालीसा का पाठ घर में नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और घर में सकारात्मक वातावरण का निर्माण करता है।

  9. आध्यात्मिक शांति:
    भगवान गणेश की उपासना से व्यक्ति के मन में शांति और संतुलन आता है। यह मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है।

भगवान गणेश चालीसा

॥ दोहा ॥

जय गणपति सदगुण सदन,कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण,जय जय गिरिजालाल॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय गणपति गणराजू।मंगल भरण करण शुभः काजू॥
जै गजबदन सदन सुखदाता।विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना।तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला।स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित।चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता।गौरी लालन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।मुषक वाहन सोहत द्वारे॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।अति शुची पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी।पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी।बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा।मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।बिना गर्भ धारण यहि काला॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना।पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै।पालना पर बालक स्वरूप हवै॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना।लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं।सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा।देखन भी आये शनि राजा॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।बालक, देखन चाहत नाहीं॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो।उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई।का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।शनि सों बालक देखन कहयऊ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी।सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा।शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।काटी चक्र सो गज सिर लाये॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो।प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई।रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे।नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी।करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै।अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

॥ दोहा ॥

श्री गणेश यह चालीसा,पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै,लहे जगत सन्मान॥

सम्बन्ध अपने सहस्र दश,ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो,मंगल मूर्ती गणेश॥


निष्कर्ष (Conclusion)

भगवान गणेश चालीसा का पाठ एक शक्तिशाली आध्यात्मिक उपाय है जो जीवन में शुभता, समृद्धि और शांति लाता है। यह न केवल व्यक्ति की मानसिक स्थिति को बेहतर करता है, बल्कि उसे भौतिक और मानसिक परेशानियों से छुटकारा भी दिलाता है।

यदि आप अपने जीवन में किसी भी प्रकार के विघ्न, संकट या कष्ट का सामना कर रहे हैं, तो गणेश चालीसा का नियमित पाठ करने से निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। यह एक महान साधना है जो आपके जीवन में भगवान गणेश के आशीर्वाद को प्रकट करती है, जिससे जीवन में समृद्धि, सुख और शांति का वास होता है।

अतः भगवान गणेश की भक्ति और गणेश चालीसा के पाठ को अपनी जीवनचर्या में शामिल करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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