Chhath Pooja 2024: छठ पूजा का महत्व, अनुष्ठान और तिथियां

Chhath Pooja 2024: छठ पूजा का महत्व, अनुष्ठान और तिथियां

छठ पूजा सूर्य देवता और उनकी पत्नी छठी मैया के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करने का एक विशेष पर्व है। यह त्योहार प्रकृति के प्रति सम्मान और सूर्य की जीवनदायिनी ऊर्जा को समर्पित है। विशेष रूप से झारखंड, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला यह पर्व भक्ति, श्रद्धा, और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। कार्तिक मास के दौरान आने वाला यह महोत्सव इस वर्ष 5 से 8 नवंबर 2024 के बीच मनाया जाएगा।


छठ पूजा की तिथियां और समय (Chhath Pooja 2024 Dates and Timings)

तिथि दिनअनुष्ठानसूर्योदयसूर्यास्त
5 नवंबर 2024मंगलवारनहाय खाय6:15 AM5:52 PM
6 नवंबर 2024बुधवारखरना6:15 AM5:51 PM
7 नवंबर 2024गुरुवारसंध्या अर्घ्य6:15 AM5:51 PM
8 नवंबर 2024शुक्रवारउषा अर्घ्य6:16 AM5:51 PM

इस साल छठ पूजा का मुख्य अनुष्ठान, अर्थात संध्या अर्घ्य, 7 नवंबर को होगा, जब भक्त डूबते सूर्य को जल चढ़ाते हैं। इसके अगले दिन 8 नवंबर को उषा अर्घ्य के साथ यह पर्व संपन्न होता है।


छठ पूजा का महत्व (Significance of Chhath Pooja)

छठ पूजा भारत के सबसे प्राचीन त्योहारों में से एक है, जिसकी जड़ें हिंदू महाकाव्यों रामायण और महाभारत में मिलती हैं। मान्यता है कि भगवान राम और देवी सीता ने अपने 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर सूर्य देव की आराधना के लिए छठ पूजा की थी। इसके अलावा, महाभारत में पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी अपने पतियों की समृद्धि के लिए यह पूजा की थी। इस पूजा से उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हुईं और पांडवों को विजय प्राप्त हुई।

आज भी, यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के साथ-साथ उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के प्रतीक रूप में मनाया जाता है। यह पूजा सूर्य की ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती है और परिवार, समृद्धि, तथा बच्चों के सुखद जीवन की कामना करती है। मान्यता है कि छठ पूजा से भक्तों की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और उनके जीवन में खुशहाली आती है।


छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान (Four-Day Rituals of Chhath Pooja)

  1. नहाय खाय (5 नवंबर 2024): पर्व की शुरुआत नहाय खाय के दिन होती है, जिसमें भक्त अपने शरीर और मन की शुद्धि के लिए पवित्र स्नान करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।

  2. खरना (6 नवंबर 2024): दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन पूरे दिन का उपवास रखा जाता है और शाम को अर्पित प्रसाद, जो आमतौर पर गुड़ की खीर और रोटी होती है, ग्रहण किया जाता है।

  3. संध्या अर्घ्य (7 नवंबर 2024): तीसरे दिन भक्त डूबते सूर्य को जल अर्पित करते हैं। यह एक अत्यंत श्रद्धा का क्षण होता है, जिसमें भक्त सूर्य देव से सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

  4. उषा अर्घ्य (8 नवंबर 2024): अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन होता है। इस पूजा के दौरान श्रद्धालु पानी में खड़े होकर सूर्य देव की उपासना करते हैं।


छठ पूजा के अनोखे तथ्य और वैज्ञानिक महत्व (Unique Facts and Scientific Significance)

छठ पूजा का प्रत्येक अनुष्ठान वैज्ञानिक रूप से भी लाभकारी माना गया है। सूर्य को अर्घ्य देने के समय शरीर को विटामिन डी का प्राकृतिक रूप से अवशोषण होता है। इसके अलावा, इस पूजा के दौरान कठोर व्रत और उपवास का पालन करने से शरीर की शुद्धि होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। मानसिक लाभ की दृष्टि से भी यह पर्व महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भक्तों के मन को शांति प्रदान करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।


निष्कर्ष

छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि प्रकृति और जीवनदायिनी सूर्य ऊर्जा के प्रति आभार व्यक्त करने का एक माध्यम है। इस महापर्व में, भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति, स्वस्थ जीवन, और समृद्धि के लिए सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह त्योहार हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहना सिखाता है और हमें हमारे पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाता है।

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