भैया दूज क्यों मनाते हैं

भैया दूज क्यों मनाते हैं

भैया दूज का त्योहार भाई-बहन के प्यार, विश्वास और एकता का प्रतीक है। यह दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का अंतिम दिन होता है और भाई-बहन के अटूट बंधन को समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुखद जीवन के लिए पूजा करती हैं और भाई, अपनी बहनों के प्रति प्रेम और सुरक्षा का वचन देते हैं। आइए जानें, भैया दूज का महत्व, इसके पीछे की पौराणिक कथाएं, और इसे कैसे मनाया जाता है।

भैया दूज का महत्व और इतिहास

भाई दूज के पीछे कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान यमराज और उनकी बहन यमी या यमुना से जुड़ी है। कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए आए थे। यमुना ने अपने भाई यमराज का तिलक, आरती और मिठाई से स्वागत किया और उनके सुख-समृद्धि की कामना की। यमराज ने अपनी बहन यमुना को उपहार दिया और वचन दिया कि इस दिन, जो भाई अपनी बहन के द्वारा तिलक और आरती प्राप्त करेंगे, उन्हें दीर्घायु और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इसी मान्यता के चलते इस दिन को ‘यम द्वितीया’ या ‘यमद्वितीया’ के रूप में भी जाना जाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण, जब राक्षस नरकासुर का वध करके लौटे, तो उनकी बहन सुभद्रा ने भी उनका तिलक, आरती, और माला पहनाकर स्वागत किया। सुभद्रा ने अपने भाई श्रीकृष्ण के साहस और विजय का उत्सव मनाया और उनका सम्मान किया। इस कारण, भैया दूज का पर्व भाइयों के साहस, सुरक्षा और बहनों के प्यार का प्रतीक बन गया।

भैया दूज का महत्व:

भैया दूज, भाई और बहन के रिश्ते में प्रेम और आदर को प्रकट करने का एक अद्भुत त्योहार है। यह त्योहार उन्हें एक-दूसरे के प्रति सुरक्षा और स्नेह के वचन को निभाने की प्रेरणा देता है। इस पर्व के दिन, भाई-बहन अपने रिश्ते को और अधिक गहरा करने का प्रयास करते हैं, जो उनके जीवन में खुशियां और सौहार्द लाता है।

भाई दूज कौन मनाता है?

भाई दूज मुख्य रूप से भारत के विभिन्न हिस्सों में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है - उत्तर भारत में इसे भैया दूज, महाराष्ट्र में भाऊ बीज और पश्चिम बंगाल में भाई फोटा कहा जाता है।

भैया दूज कैसे मनाते हैं?

  1. तिलक और आरती: इस दिन, बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, आरती करती हैं और उन्हें मिठाई खिलाती हैं। तिलक और आरती का यह कार्य भाइयों की सुरक्षा और लंबी उम्र की कामना का प्रतीक है।

  2. भोज और मिठाई: बहनें अपने भाइयों के लिए विशेष भोज तैयार करती हैं, जिसमें उनकी पसंद के व्यंजन और मिठाई शामिल होती हैं। भाई इस प्रेम भरे भोज का आनंद लेते हैं।

  3. उपहारों का आदान-प्रदान: भाई, अपनी बहनों को आशीर्वाद और उपहार भेंट करते हैं। यह उपहार भाइयों के बहनों के प्रति स्नेह और समर्पण का प्रतीक होते हैं।

  4. विभिन्न परंपराएँ: महाराष्ट्र, गोवा, और गुजरात में इस दिन को ‘भाऊ बीज’ कहा जाता है। इन क्षेत्रों में बहनें अपने भाइयों के साथ खास उत्सव मनाती हैं और करीबी दोस्तों और परिवारजनों के साथ मिलकर मिठाइयाँ और विशेष व्यंजन जैसे बसुंडी पूरी का आनंद लेते हैं।

जिन बहनों के भाई दूर होते हैं या जिनका कोई भाई नहीं होता, वे चंद्र देवता की पूजा करती हैं और चाँद को तिलक लगाकर अपने भाई की खुशहाली की कामना करती हैं।

भैया दूज का संदेश

भैया दूज भाई-बहन के बीच प्यार और समर्पण का त्योहार है। यह दिन उन्हें जीवन के हर मोड़ पर एक-दूसरे का साथ देने का वचन याद दिलाता है। भैया दूज पर बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करती हैं, और भाई अपनी बहनों के लिए जीवनभर उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं।

इस भैया दूज पर, अपने भाई-बहन को शुभकामनाएं दें और उनके साथ इस प्यार और स्नेह के त्योहार का आनंद लें।

click👇👇

टिप्पणियाँ