अर्धनारीश्वर स्तोत्र ( पीडीएफ ) | Ardhanarishwar Stotra ( PDF )
परिचय
अर्धनारीश्वर स्तोत्र PDF 👇
अर्धनारीश्वर स्तोत्र: विधि, नियम, लाभ और निष्कर्ष
1. अर्धनारीश्वर स्तोत्र की विधि
- शुद्धि: पाठ से पहले स्नान करें और मन को शुद्ध एवं शांत रखें।
- पूजा स्थान: भगवान शिव और देवी पार्वती की संयुक्त प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें। शिवलिंग पर जल, कुमकुम, फूल, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।
- आसन: कुश या ऊनी आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- ध्यान: अर्धनारीश्वर का ध्यान करते हुए स्तोत्र का पाठ करें। उनके संयुक्त स्वरूप की कल्पना करें।
- पूजा सामग्री: जल, बिल्वपत्र, कुमकुम, सफेद और लाल पुष्प, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।
- समापन: स्तोत्र का पाठ समाप्त होने पर भगवान शिव और माता पार्वती से जीवन में संतुलन, सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
2. अर्धनारीश्वर स्तोत्र के नियम
- नियमितता: अर्धनारीश्वर स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करें, विशेष रूप से सोमवार और शुक्रवार के दिन। यह दोनों दिन शिव और शक्ति की कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम माने गए हैं।
- शुद्धता और एकाग्रता: मन, वचन और शरीर को पवित्र रखें। स्तोत्र पाठ में पूरी एकाग्रता रखें।
- समर्पण भावना: श्रद्धा और समर्पण के साथ इस स्तोत्र का पाठ करें। शिव और शक्ति के प्रति पूर्ण भाव और विश्वास रखें।
- शांत वातावरण: पाठ के समय किसी भी प्रकार का बाहरी शोर और अवरोध न हो।
- उपवास: सोमवार या शुक्रवार को व्रत रखकर पाठ करना अधिक फलदायी होता है।
3. अर्धनारीश्वर स्तोत्र के लाभ
- जीवन में संतुलन: अर्धनारीश्वर स्तोत्र के नियमित पाठ से मानसिक, भावनात्मक, और आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त होता है।
- वैवाहिक सुख: पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है। यह स्तोत्र दाम्पत्य जीवन में खुशहाली लाता है।
- भय और तनाव का नाश: जीवन के कठिन समय में भय, तनाव और अशांति से मुक्ति मिलती है।
- स्वास्थ्य और दीर्घायु: स्तोत्र का पाठ करने से शरीर और मन की आरोग्यता बनी रहती है और लंबी उम्र का वरदान मिलता है।
- सौभाग्य और सिद्धियाँ: इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में सौभाग्य और सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
- असीम शांति और समृद्धि: अर्धनारीश्वर का आशीर्वाद जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
अर्धनारीश्वर स्तोत्र ! Ardhanarishwar Stotra!
चांपेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय ।
धम्मिल्लकायै च जटाधराय नमः शिवयै च नमः शिवाय ॥१॥
कस्तूरिकाकुङ्कुमचर्चितायै चितारजःपुञ्जविचर्चिताय ।
कॄतस्मरायै विकॄतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥२॥
चलत्क्वणत्कङ्कणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणिनूपुराय ।
हेमाङ्गदायै भुजगाङ्गादाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥३॥
विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपङ्केरुहलोचनाय ।
समेक्षणायै विषमेक्षणाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥४॥
मन्दारमालाकलितालकायै कपालमालाङ्कितकन्धराय ।
दिव्यांबरायै च दिगंबराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ।५॥
अंभोधरश्यामळकुन्तळायै तडित्प्रभाताम्रजटाधराय ।
निरीश्वरायै निखिलेश्वराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥६॥
प्रपञ्चसृष्ट्युन्मुखलास्यकायै समस्तसंहारकताण्डवाय ।
जगज्जनन्यै जगदेकपित्रे नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥७॥
प्रदीप्तरत्नोज्ज्वलकुण्डलायै स्फुरन्महापन्नगभूषणाय ।
शिवान्वितायै च शिवान्विताय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥८॥
एतत्पठेदष्टकमिष्टदं यो भक्त्या स मान्यो भुवि दीर्घजीवी ।
प्राप्नोति सौभाग्यमनन्तकालं भूयात्सदा तस्य समस्तसिद्धिः ॥९॥
इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यश्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्य
श्रीमच्छङ्करभगवत्प्रणीतमर्धनारीनटेश्वरस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
4. निष्कर्ष
अर्धनारीश्वर स्तोत्र शिव और शक्ति के अनन्य रूप का स्तवन है। यह स्तोत्र व्यक्ति के भीतर शक्ति और शिव तत्व का जागरण करता है और उसके जीवन में सकारात्मकता लाता है। शिव और शक्ति के संयुक्त स्वरूप का ध्यान करने से व्यक्ति को आत्मिक शक्ति और मन की स्थिरता प्राप्त होती है। अर्धनारीश्वर स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति को संसारिक जीवन में सामंजस्यपूर्ण और सन्तुलित बना देता है।
अतः, इस स्तोत्र का पाठ श्रद्धा और भक्ति से करें और भगवान शिव और माता पार्वती के अनुग्रह से अपने जीवन को सुखमय, संतुलित और समृद्ध बनाएं।
शुभ दोहा
अर्धनारीश्वर की कृपा से सभी बाधाओं का नाश होता है, और जीवन सुख-शांति एवं संतोष से परिपूर्ण हो जाता है। शिव-शक्ति के संयुक्त स्वरूप का ध्यान और उनका स्तवन जीवन में समस्त सिद्धियों की प्राप्ति कराता है।
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