अग्नि पुराण दो सौ अड़तालीसवाँ अध्याय ! Agni Purana 248 Chapter !

अग्नि पुराण दो सौ अड़तालीसवाँ अध्याय Agni Purana 248 Chapter !

अग्नि पुराण दो सौ अड़तालीसवाँ अध्याय - पुष्पादिपूजाफलम्

अग्निरुवाच

पुष्पैस्तु पूजनाद्विष्णुः सर्वकार्य्येषु सिद्धिदः ।
मालती मल्लिका यूथी पाटला करवीरकं ।। १ ।।

पावन्तिरतिमुक्तश्च कर्णिकारः कुरण्टकः ।
कुब्जकस्तगरो नीपो वाणो वर्वपमल्लिका ।। २ ।।

अशोकस्तिलकः कुन्दः पूजायै स्यात्तमालजं ।
विल्वपत्रं शमीपत्रं पत्रं भृङ्गरजस्य तु ।। ३ ।।

तुलसीकालतुलसीपत्रं वासकमर्च्चने ।
केतकीपत्रपुष्पं च पद्मं रक्तोत्पलादिकं ।। ४ ।।

नार्क्कन्नोन्मत्तकङ्गाञ्ची पूजने गिरिमल्लिका ।
कौटजं शाल्मलीपुष्पं कण्टकारीभवन्नहि ।। ५ ।।

घृतप्रस्थेन विष्णोश्च स्नानङ्गो कोटिसत्‌फलं ।
आढकेन तु राजा स्यात् घृतक्षीरैर्द्दिवं व्रजेत् ।। ६ ।।

इत्यादिमहापुराणे आग्नेये पुष्पादिपूजाफलं नाम अष्टचत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः ।।

अग्नि पुराण दो सौ अड़तालीसवाँ अध्याय हिन्दी मे -Agni Purana 248 Chapter In Hindi

दो सौ अड़तालीसवाँ अध्याय - विष्णु आदिके पूजन में उपयोगी पुष्पोंका कथन

अग्निदेव कहते हैं- वसिष्ठ। पुष्पोंसे पूजन करनेपर भगवान् श्रीहरि सम्पूर्ण कार्योंमें सिद्धि प्रदान करते हैं। मालती, मल्लिका, यूथिका, गुलाब, कनेर, पावन्ती, अतिमुक्तक, कर्णिकार, कुरष्टक, कुब्जक, तगर, नीप (कदम्ब), बाण, वनमल्लिका, अशोक, तिलक, कुन्द और तमाल इनके पुष्प पूजाके लिये उपयोगी माने गये हैं। बिल्वपत्र, शमीपत्र, भृङ्गराजके पत्र, तुलसी, कृष्णतुलसी तथा वासक (अडूसा) के पत्र पूजनमें ग्राह्य माने गये हैं। 

केतकीके पत्र और पुष्प, पद्म एवं रक्तकमल ये भी पूजामें ग्रहण किये जाते हैं। मदार, धत्तूर, गुञ्जा, पर्वतीय मल्लिका, कुटज, शाल्मलि और कटेरीके फूलोंका पूजामें प्रयोग नहीं करना चाहिये। प्रस्थमात्र घृतसे भगवान् विष्णुका अभिषेक करनेपर करोड़ गौओंके दान करनेका फल मिलता है। एक आढ़क घृतसे अभिषेक करनेवाला राज्य तथा घृतमिश्रित दुग्धसे अभिषेक करने वाला स्वर्ग को प्राप्त करता है॥ १-६॥

इस प्रकार आदि आग्रेय महापुराण में 'पुष्पादि से पूजन के फलका कथन' नामक दो सौ अड़तालीसवाँ अध्याय पूरा हुआ ॥ २४८ ॥

click to read👇

अग्नि पुराण अध्यायः २३१ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २३२ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २३३ ] 

अग्नि पुराण अध्यायः २३४ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २३५ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २३६ ]

अग्नि पुराण अध्यायः २३७ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २३८ ] [ अग्नि पुराण अध्यायः २३९ ]

अग्नि पुराण अध्यायः २४० ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २४१ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २४२ ]

अग्नि पुराण अध्यायः २४३ ] [ अग्नि पुराण अध्यायः २४४ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २४५ ]

अग्नि पुराण अध्यायः २४६ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २४७ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २४८ ]

अग्नि पुराण अध्यायः २४९ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २५० ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २५१ ]

अग्नि पुराण अध्यायः २५२ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २५३ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २५४ ]

अग्नि पुराण अध्यायः २५५ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २५६ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २५७ ]

अग्नि पुराण अध्यायः २५८ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २५९ ]  [ अग्नि पुराण अध्यायः २६० ]

टिप्पणियाँ