दशहरे को विजयदशमी क्यों कहा जाता है,Why is Dussehra called Vijayadashami

दशहरे को विजयदशमी क्यों कहा जाता है?

दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इससे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं जो इसे अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाती हैं। विजयदशमी को इस नाम से पुकारे जाने के पीछे प्रमुख रूप से दो पौराणिक घटनाएं मानी जाती हैं:

  • भगवान राम की रावण पर विजय: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने असुरराज रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की थी। दसवें दिन, उन्होंने रावण का वध कर धर्म और सत्य की जीत का संदेश दिया। इसी कारण दशमी तिथि को 'विजयदशमी' कहा जाता है, जिसका अर्थ है "विजय का दसवां दिन"।
  • देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय: दूसरी कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक असुर महिषासुर से भीषण युद्ध किया और दसवें दिन उसे परास्त कर उसका वध किया। इस प्रकार, यह दिन देवी दुर्गा की जीत और शक्ति का प्रतीक बन गया, जिसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।

विजयदशमी के अन्य महत्वपूर्ण कारण:

  • शस्त्र पूजा: इस दिन योद्धा अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं, जो शक्ति और विजय का प्रतीक है।
  • नया कार्य प्रारंभ: लोग इस दिन को शुभ मानते हुए नए कार्य जैसे व्यापार, पढ़ाई, या खेती की शुरुआत करते हैं।
  • रामलीला और मेले: विजयदशमी के दिन रामलीला का आयोजन होता है और विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं।
  • रावण दहन: इस दिन बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकर्ण, और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं, जो अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।

इस प्रकार, विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और नैतिकता की स्थापना का प्रतीक है।

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