दशहरा कब मनाया जाता है इसका क्या महत्व है
दशहरा कब मनाया जाता है ?( Vijayadashami )
दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू लूनिसोलर कैलेंडर के अनुसार अश्विन या कार्तिक माह के 10वें दिन मनाया जाता है। यह तिथि नवरात्रि के समाप्त होने पर आती है, जब मां दुर्गा के नौ दिनों की पूजा के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। यह दिन ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सितंबर या अक्टूबर के महीने में पड़ता है। नवरात्रि के तुरंत बाद और दीपावली से लगभग 20 दिन पहले यह त्योहार आता है।
दशहरा का महत्व क्या है ? ( Vijayadashami )
दशहरा का मुख्य महत्व अच्छाई की बुराई पर विजय से जुड़ा है। यह त्योहार भगवान राम द्वारा रावण पर विजय प्राप्त करने और देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का संहार करने के रूप में मनाया जाता है। दशहरा के दिन, भारत के कई हिस्सों में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई के विनाश का प्रतीक है। रामलीला का आयोजन और देवी दुर्गा की विजय के रूप में शक्ति की पूजा इस पर्व को और भी पवित्र और प्रेरणादायक बनाते हैं। यह दिन हमें यह सिखाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है, चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो।
विजयादशमी की पूजा विधि ( Dussehra )
विजयादशमी के दिन पूजा विधि का पालन करके आप इस पावन पर्व को सही तरीके से मना सकते हैं। यहाँ पर पूजा की विधि का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
- स्नान और ध्यान:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान राम का ध्यान करें।
- अभिजीत और विजयी काल में पूजा:
विजयादशमी के दिन अभिजीत और विजयी काल में पूजा करना शुभ माना जाता है। इन समय में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- अष्ट चक्र का निर्माण:
अपने घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में आठ कमल की पंखुड़ियों से अष्ट चक्र का निर्माण करें।
- पवित्र स्थान की सफाई:
पूजा की जगह पर गंगाजल छिड़कें और चंदन का लेप लगाएं। इससे स्थान की पवित्रता बढ़ेगी।
- मूर्ति या फोटो की स्थापना:
अष्ट चक्र के एक तरफ जया माता और दूसरी तरफ विजया माता की मूर्ति या फोटो रखें।
- हथियारों की पूजा:
अपने घर में जो भी हथियार हैं, जैसे बंदूक, तलवार आदि, उन्हें मूर्ति के सामने रखें। यदि हथियार नहीं हैं, तो एक चाकू भी रख सकते हैं।
- मंत्र जाप:
हथियारों की पूजा करते समय भगवान श्री राम और माता काली जी के मंत्रों का जाप करें। यदि आपको मंत्र नहीं पता है, तो उनका नाम लेकर भी प्रार्थना कर सकते हैं।
- सुख-समृद्धि की प्रार्थना:
देवी अपराजिता से अपने परिवार में सुख और समृद्धि की प्रार्थना करें।
- क्षमा प्रार्थना:
पूजा समाप्त करने के बाद भूल-चूक के लिए भगवान से क्षमा मांगें।
इस प्रकार, इस विशेष दिन की पूजा विधि का पालन करके आप विजयादशमी को श्रद्धा और भक्ति के साथ मना सकते हैं। यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय और धर्म की स्थापना का प्रतीक है।
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