Sunder kand | श्री रामचरितमानस | श्रीराम-गुणगानकी महिमा

श्री रामचरितमानस सुंदरकाण्ड हिंदी अर्थ सहित | श्रीराम-गुणगानकी महिमा

श्रीराम-गुणगानकी महिमा

  • छंद :

निज भवन गवनेउ सिंधु श्रीरघुपतिहि यह मत भायऊ।
यह चरित कलि मल हर जथामति दास तुलसी गायऊ॥
सुख भवन संसय समन दवन बिषाद रघुपति गुन गना।
तजि सकल आस भरोस गावहि सुनहि संतत सठ मना॥

हिंदी अर्थ:-समुद्र अपने घर चला गया, श्री रघुनाथजी को यह मत (उसकी सलाह) अच्छा लगा। यह चरित्र कलियुग के पापों को हरने वाला है, इसे तुलसीदास ने अपनी बुद्धि के अनुसार गाया है। श्री रघुनाथजी के गुण समूह सुख के धाम, संदेह का नाश करने वाले और विषाद का दमन करने वाले हैं। अरे मूर्ख मन! तू संसार का सब आशा-भरोसा त्यागकर निरंतर इन्हें गा और सुन।
  • दोहा :

सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान।
सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान॥६०॥

हिंदी अर्थ:-श्री रघुनाथजी का गुणगान संपूर्ण सुंदर मंगलों का देने वाला है। जो इसे आदर सहित सुनेंगे, वे बिना किसी जहाज (अन्य साधन) के ही भवसागर को तर जाएँगे॥६०॥

मासपारायण, चौबीसवाँ विश्राम

इति श्रीमद्रामचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने पंचमः सोपानः समाप्तः।

कलियुग के समस्त पापों का नाश करने वाले श्री रामचरित मानस का यह पाँचवाँ सोपान समाप्त हुआ।

(सुंदरकाण्ड समाप्त)

श्री रामचरितमानस | श्रीराम-गुणगानकी महिमा FQCs - Frequently Questioned Concepts

1. सुंदरकाण्ड का क्या महत्व है?
सुंदरकाण्ड में भगवान श्रीराम के गुणों, उनकी शक्ति, और उनके प्रति भक्तों की श्रद्धा का वर्णन है। इसे कलियुग के पापों को हरने वाला माना जाता है और इसमें भगवान की महिमा गाई गई है, जो सुनने वालों को कल्याण की ओर ले जाती है।

2. सुंदरकाण्ड का पाठ कब करना चाहिए?
सुंदरकाण्ड का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को इसका पाठ करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-शांति प्राप्त होती है।

3. सुंदरकाण्ड किसने लिखा है?
सुंदरकाण्ड को गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस के पांचवे अध्याय के रूप में लिखा है। इसमें हनुमानजी की रामभक्ति और उनके अद्भुत कार्यों का वर्णन है।

4. सुंदरकाण्ड का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
सुंदरकाण्ड का पाठ करने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और दुखों से मुक्ति मिलती है। यह पाठ संकटों को दूर कर जीवन में शुभता और सुख लाता है।

5. ‘निज भवन गवनेउ सिंधु’ का क्या अर्थ है?
इस पंक्ति का अर्थ है कि समुद्र अपने घर चला गया और श्रीरामजी को उसका सुझाव उचित लगा। यह दृश्य दर्शाता है कि भगवान के निर्णय से सृष्टि का हर अंग संतुष्ट और समर्पित है।

6. कलियुग में सुंदरकाण्ड का क्या महत्व है?
कलियुग में सुंदरकाण्ड का पाठ सभी प्रकार के पापों को हरने में सक्षम माना जाता है। यह पाठ भक्तों को श्रीराम की कृपा प्राप्त करने का साधन है और जीवन में सत्कर्मों की प्रेरणा देता है।

7. 'सकल सुमंगल दायक' का क्या अर्थ है?
यह पंक्ति बताती है कि श्रीरामजी के गुणगान संपूर्ण मंगलकारी हैं। जो भी आदरपूर्वक इसे सुनता है, उसे हर प्रकार का सुख और शांति प्राप्त होती है।

8. सुंदरकाण्ड किस कथा का प्रमुख भाग है?
सुंदरकाण्ड रामचरितमानस का पांचवां अध्याय है, जिसमें हनुमानजी की यात्रा और लंका में सीता माता की खोज का वर्णन किया गया है।

9. सुंदरकाण्ड का पाठ कौन-कौन कर सकता है?
सुंदरकाण्ड का पाठ हर कोई कर सकता है। यह सभी के लिए कल्याणकारी है और किसी भी उम्र, जाति या स्थिति के लोगों के लिए पवित्र और लाभदायक है।

10. सुंदरकाण्ड में श्रीराम के किस गुण की महिमा है?
सुंदरकाण्ड में श्रीराम की करुणा, शौर्य, भक्ति के प्रति प्रेम और उनके प्रति भक्तों की निष्ठा का गुणगान है। यह उनके सभी गुणों का अद्वितीय संग्रह है।

11. सुंदरकाण्ड में ‘बिना जलजान’ का क्या संदर्भ है?
यह पंक्ति बताती है कि जो आदरपूर्वक श्रीराम के गुणों का गान सुनते हैं, वे भवसागर को बिना किसी साधन के ही पार कर जाते हैं, जैसे बिना नाव के जल पार हो जाता है।

12. सुंदरकाण्ड का पाठ क्यों करना चाहिए?
सुंदरकाण्ड का पाठ भक्तों को आत्मिक बल और आस्था देता है, जिससे मन के दुख और चिंताओं का अंत होता है। यह पाठ हनुमानजी की शक्ति और रामजी की भक्ति को उजागर करता है।

13. सुंदरकाण्ड में ‘तजि सकल आस भरोस’ का क्या अर्थ है?
इसका अर्थ है कि मन को संसार के सभी आशा और भरोसे को त्यागकर केवल श्रीराम के गुणों का गान करना चाहिए, जो उसे आत्मिक शांति देगा।

14. सुंदरकाण्ड का संबंध किससे है?
सुंदरकाण्ड का संबंध विशेष रूप से हनुमानजी की लंका यात्रा और उनके द्वारा सीता माता की खोज से है। यह उनकी भक्ति, साहस और भगवान राम के प्रति प्रेम को दर्शाता है।

15. सुंदरकाण्ड में हनुमानजी की क्या भूमिका है?
सुंदरकाण्ड में हनुमानजी ने भगवान राम के दूत के रूप में सीता माता तक पहुंचने, रावण के अहंकार को तोड़ने और लंका को जलाकर रामजी का पराक्रम दिखाने की भूमिका निभाई है।

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