श्री रामचरितमानस बालकाण्ड | राम रूप से जीव मात्र की वन्दना, Shri Ramcharitmanas BalKand | Ram roop se jeev maatr kee vandana

श्री रामचरितमानस बालकाण्ड | राम रूप से जीव मात्र की वन्दना

Shri Ramcharitmanas BalKand | Ram roop se jeev maatr kee vandana

राम रूप से जीव मात्र की वन्दना

जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जानि।
बंदउँ सब के पद कमल सदा जोरि जुग पानि॥७(ग)॥

हिंदी अर्थ:-जगत में जितने जड़ और चेतन जीव हैं, सबको राममय जानकर मैं उन सबके चरणकमलों की सदा दोनों हाथ जोड़कर वन्दना करता हूँ॥७ (ग)॥

देव दनुज नर नाग खग प्रेत पितर गंधर्ब।
बंदउँ किंनर रजनिचर कृपा करहु अब सर्ब॥७ (घ)

हिंदी अर्थ:-
देवता, दैत्य, मनुष्य, नाग, पक्षी, प्रेत, पितर, गंधर्व, किन्नर और निशाचर सबको मैं प्रणाम करता हूँ। अब सब मुझ पर कृपा कीजिए॥७ (घ)॥
  • चौपाई :

आकर चारि लाख चौरासी। जाति जीव जल थल नभ बासी॥
सीय राममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥१॥

हिंदी अर्थ:-चौरासी लाख योनियों में चार प्रकार के (स्वेदज, अण्डज, उद्भिज्ज, जरायुज) जीव जल, पृथ्वी और आकाश में रहते हैं, उन सबसे भरे हुए इस सारे जगत को श्री सीताराममय जानकर मैं दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ॥१॥.......और आगे पढ़ें

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