पापांकुशा एकादशी क्यों मनाई जाती है? पापांकुशा एकादशी व्रत कथा,Papankusha Ekadashi kyon manaee jaatee hai? paapaankusha ekaadashee vrat katha

पापांकुशा एकादशी क्यों मनाई जाती है? पापांकुशा एकादशी व्रत कथा

पापांकुशा एकादशी क्यों मनाई जाती है?

पापांकुशा एकादशी व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत इस वर्ष 13 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत पापों को नष्ट करने और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम उपाय माना गया है। "पापांकुशा" शब्द का अर्थ है पापों पर अंकुश लगाना, और इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक व्रत करता है, उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत, और ध्यान का विशेष महत्व होता है। भक्तजन इस दिन व्रत रखकर अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और विष्णु लोक की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

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पापांकुशा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, विंध्य पर्वत पर एक क्रूर बहेलिया, जिसका नाम क्रोधन था, हिंसा, लूटपाट, मद्यपान, और पाप कर्मों में जीवन व्यतीत करता था। जब उसका अंतिम समय आया, यमराज के दूत उसे लेने के लिए आए और उसे बताया कि अगले दिन उसका जीवन समाप्त हो जाएगा। यह सुनकर बहेलिया बहुत डर गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम में शरण लेने पहुँचा। वहाँ उसने महर्षि से अपने पापों का निवारण करने की प्रार्थना की। महर्षि अंगिरा ने उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करने का परामर्श दिया। बहेलिये ने महर्षि के कहे अनुसार व्रत किया और अपने सभी पापों से मुक्त हो गया। इसके प्रभाव से उसे विष्णु लोक की प्राप्ति हुई और यमदूत उसे लेने बिना वापस लौट गए।

व्रत का महत्व

इस एकादशी का व्रत व्यक्ति को जीवन के पापों से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ भगवान विष्णु की अनंत कृपा का पात्र बनाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जो अपने कर्मों को सुधारना चाहते हैं और मोक्ष की प्राप्ति की इच्छा रखते हैं।इस पावन अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

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