पापांकुशा एकादशी व्रत: क्या खाएं और पूजा विधि,
पापांकुशा एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जो भक्तों के पापों को नष्ट कर उन्हें मोक्ष प्रदान करते हैं। पापांकुशा एकादशी पर व्रत और पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पापांकुशा एकादशी में क्या खाना चाहिए?
व्रत के दौरान केवल फलाहार किया जाता है। फलाहार के रूप में आप निम्नलिखित चीजें खा सकते हैं- फल और सूखे मेवे: फलाहार के रूप में सेब, केला, नारियल, अंगूर, पपीता और सूखे मेवे जैसे बादाम, अखरोट, काजू, किशमिश आदि खा सकते हैं।
- दूध और दूध से बने उत्पाद: दूध, दही, छाछ, पनीर, मक्खन का सेवन किया जा सकता है।
- साबूदाना: साबूदाने की खिचड़ी या वड़ा बनाकर खा सकते हैं।
- सिंघाड़े और कुट्टू का आटा: सिंघाड़े और कुट्टू के आटे से रोटी, पूड़ी या हलवा बना सकते हैं।
- आलू और शकरकंद: आलू और शकरकंद को उबालकर या तलकर खाया जा सकता है। आप आलू की सब्जी या शकरकंद का हलवा बना सकते हैं।
- मखाना: मखाने को भूनकर खा सकते हैं या मखाने की खीर बना सकते हैं।
- सेंधा नमक: साधारण नमक की जगह केवल सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है।
- गुड़: चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग कर सकते हैं।
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पापांकुशा एकादशी की पूजा विधि
- स्नान और शुद्धि: सुबह जल्दी उठकर गंगा जल या स्वच्छ जल से स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा: अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं। उन्हें पीले फूल, तुलसी के पत्ते, अक्षत और चंदन अर्पित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ: पूजा के दौरान भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करें। यह पाठ आपके मन को शांति और भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने में सहायक होता है।
- एकादशी कथा सुनें: पापांकुशा एकादशी की कथा सुनना या पढ़ना अत्यंत शुभ होता है। यह व्रत का पूर्ण फल प्राप्त कराने में सहायक है।
- रात्रि जागरण: एकादशी की रात को भगवान विष्णु का जागरण करना लाभकारी माना जाता है।
- भोजन और उपवास: इस दिन अन्न का सेवन वर्जित है। फल, दूध और अन्य सात्विक भोजन का ही सेवन करें। अगले दिन पारण के समय व्रत का समापन करें।
भगवान विष्णु मुक्ति मंत्र
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।
इस विष्णु मंत्र का अनुवाद है, "मैं उन भगवान को नमन करता हूँ जो सभी के दिलों में निवास करते हैं"। यह मंत्र करुणा विकसित करने में मदद करता है क्योंकि यह हर प्राणी में ईश्वर की उपस्थिति की याद दिलाता है। इस मंत्र के जाप से उत्पन्न होने वाली प्रेम की भावनाएँ व्यक्ति के जीवन से बाधाओं को दूर करने में मदद करती हैं।
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