कुबेर देव के कुछ प्रमुख बीज मंत्र और उनके लाभ, Kuber Dev ke kuchh pramukh beej mantr aur unake laabh
कुबेर देव के कुछ प्रमुख बीज मंत्र और उनके लाभ
भगवान कुबेर को "देवताओं के कोषाध्यक्ष" और "यक्ष के राजा" के रूप में जाना जाता है। वह धन, सफलता और महिमा का मूल रूप हैं। भगवान कुबेर न केवल ब्रह्मांड के सभी धन को साझा करते हैं, बल्कि धन को संरक्षित और सुरक्षित भी करते हैं। नतीजतन, भगवान कुबेर को धन रक्षक के रूप में भी जाना जाता है।
कुबेर बीज मंत्र:
- मंत्र: "ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः।"
इस मंत्र के नियमित जाप से व्यक्ति के घर में धन-संपत्ति का आगमन होता है। अष्ट-लक्ष्मी की कृपा से भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है, और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
कुबेर का दूसरा मंत्र:
- मंत्र: "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः।"
यह मंत्र भौतिक समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसके जाप से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सुख-संपत्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कुबेर का प्रिय मंत्र:
- मंत्र: "ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।"
इस मंत्र को भगवान कुबेर का सबसे प्रिय मंत्र माना जाता है। यह धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए अत्यधिक प्रभावी है। इसे विशेष रूप से धन और समृद्धि में वृद्धि के लिए किया जाता है।
कुबेर देव पूजा दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुबेर जी की मूर्ति का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। उत्तर दिशा को कुबेर देवता का निवास स्थान माना जाता है, और यह दिशा धन और समृद्धि को आकर्षित करती है। इसलिए, यदि आप अपने घर या कार्यालय में कुबेर जी की मूर्ति स्थापित करते हैं, तो इसे उत्तर दिशा में रखना अत्यंत शुभ होता है।
कुबेर देव पूजा के कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें हैं
- कुबेर जी की पूजा: कुबेर देवता धन और वैभव के प्रतीक हैं, और उनकी पूजा विशेष रूप से धन प्राप्ति, व्यापार में उन्नति, और समृद्धि के लिए की जाती है।
- मुख्य द्वार की दिशा: कुबेर देव की मूर्ति को घर या कार्यालय के मुख्य द्वार के पास उत्तर दिशा में रखना शुभ होता है।
- स्वच्छता: कुबेर जी की मूर्ति या तस्वीर के आस-पास का क्षेत्र हमेशा साफ़-सुथरा और अव्यवस्थित नहीं होना चाहिए। यह समृद्धि की ऊर्जा को प्रभावित कर सकता है।
- कुबेर यंत्र: कुबेर यंत्र को भी उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना बेहद लाभकारी माना जाता है, क्योंकि यह धन की वृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।
- उत्तर दिशा का महत्व: उत्तर दिशा को सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, और इस दिशा को अव्यवस्था से मुक्त रखना चाहिए, जैसे कि वहां जूते-चप्पल नहीं रखने चाहिए।
इस प्रकार, कुबेर देव की उचित दिशा में पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और आर्थिक उन्नति प्राप्त होती है।
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