दशहरा कैसे मनाया जाता है जानिए, Know how Dussehra is celebrated

दशहरा कैसे मनाया जाता है जानिए

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसे आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देशभर में विभिन्न प्रकार से उत्सव और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

  • रावण दहन:
दशहरे के दिन सबसे प्रमुख आयोजन रावण, मेघनाद और कुंभकरण के विशाल पुतलों का दहन होता है। उत्तर भारत में यह परंपरा बहुत प्रचलित है, जहां रावण के पुतलों को जलाकर बुराई का अंत और अच्छाई की जीत का संदेश दिया जाता है। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं।
  • रामलीला का मंचन:
दशहरे से पहले, रामलीला का मंचन होता है, जिसमें भगवान राम की जीवन गाथा का प्रदर्शन किया जाता है। दशहरा के दिन राम और रावण की लड़ाई और रावण वध का दृश्य मंचित होता है। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।
  • भगवान राम और देवी दुर्गा की पूजा:
दशहरे के दिन भगवान राम और मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह दिन शक्ति और सत्य की विजय का प्रतीक माना जाता है। लोग अपने घरों में पूजा करते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान राम और मां दुर्गा से आशीर्वाद लेते हैं।
  • अपराजिता पूजा और अष्टदल चक्र:
इस दिन घर के ईशान कोण में अष्टदल चक्र बनाया जाता है और 'अपराजिताय नमः' मंत्र का जप किया जाता है। यह पूजा विशेष रूप से घर और परिवार में समृद्धि और सुख-शांति के लिए की जाती है।
  • मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम:
दशहरे के दिन बड़े-बड़े मेले लगाए जाते हैं, जिनमें पारंपरिक लोक-संगीत, भक्ति गीत, और फ़िल्मों का आयोजन होता है। इसके अलावा, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में गरबा और डांडिया नृत्य का आयोजन भी होता है।
  • दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन:
कई स्थानों पर दशहरे के दिन दुर्गा पूजा के बाद देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा अपने लोक को लौट जाती हैं, इसलिए उन्हें विदाई दी जाती है।
  • दशहरे की मान्यता
दशहरा त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत को दर्शाता है। यह वह दिन है जब भगवान राम ने रावण का वध किया था, और इसी कारण इसे विजयादशमी कहा जाता है।

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