विनायक चतुर्थी का महत्व और व्रत के नियम,
विनायक चतुर्थी का महत्व
विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि, आर्थिक संपन्नता, ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो जीवन में सफलता और समृद्धि की कामना करते हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से सभी दुखों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है, और जीवन में शुभता का प्रवेश होता है।
इस पर्व को "वरद विनायक चतुर्थी" के नाम से भी जाना जाता है, जो इच्छाओं को पूर्ण करने वाला पर्व माना जाता है। पूजा के दौरान भगवान गणेश को मोदक का भोग अर्पित किया जाता है, जो उनकी प्रिय मिठाई है। पूजा का विशेष समय मध्याह्न (दोपहर) होता है, जब भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए मंत्र और स्तोत्रों का जाप किया जाता है। विनायक चतुर्थी उत्तर और दक्षिण भारत दोनों में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को ताजे फूलों से सजाया जाता है और गणेश जी को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा जाता है । गणेश जी की पूजा किसी भी शुभ काम से पहले की जाती है पूजा के बाद व्रत कथा पढ़ी जाती है, जिससे परिवार में शांति और खुशहाली का वास होता है।
व्रत के नियम:
- इस दिन व्रत रखने वाले लोग दिन में दो बार भगवान गणेश की पूजा करते हैं।
- व्रत के दौरान सात्विक भोजन या फलाहार करें। आप सेब, अनार, केला, साबूदाना की खीर, मिठाई, और कुट्टू के आटे से बने व्यंजन जैसे पकौड़ी आदि का सेवन कर सकते हैं।
- विनायक चतुर्थी व्रत से भगवान गणेश की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
विनायक चतुर्थी का व्रत कैसे रखा जाता है?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि काम जल्दी ही निपटा लें।
- संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
- ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं एवं बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं।
- पूजा में श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।
विनायक चतुर्थी व्रत में क्या खाना चाहिए?
- गणेश चतुर्थी के व्रत के दौरान सात्विक भोजन या फलाहार ही ग्रहण करना चाहिए। व्रत में साबूदाने की खीर, मिठाई और कुट्टू के आटे की पकौड़ी का सेवन किया जा सकता है।
- सेब, अनार, केला आदि चीजों को भी फलाहार में शामिल कर सकते हैं।
- इसके अलावा भगवान गणेश को मेवे का भोग लगाकर सेवन कर सकते हैं।
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