दशहरा पर निबंध 300 शब्द दशहरा के 15 दोहे,Essay on Dussehra 300 words 15 couplets of Dussehra

दशहरा पर निबंध 300 शब्दों में | दशहरा के 15 दोहे

दशहरा (विजयादशमी व आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।

दशहरा पर निबंध 300 शब्द

दशहरा हिन्दू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसके पारंपरिक और धार्मिक महत्व का बहुत गहरा संबंध है और भारतीय लोग इसे उत्साह और आस्था से मनाते हैं। इस त्योहार में बुराई पर पुण्य की जीत का संकेत है, और लोग इसे विभिन्न रीति-रिवाज, पूजा-पाठ के साथ मनाते हैं। धार्मिक लोग व्रत रखते हैं, और कुछ लोग दशहरा के पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं ताकि वे देवी दुर्गा के आशीर्वाद और शक्ति प्राप्त कर सकें। दसवें दिन को लोग असुर राजा रावण की पराजय के रूप में मनाते हैं। दशहरा हर साल सितंबर और अक्टूबर के अंत में आता है, दीवाली के दो सप्ताह पहले।

रामलीला का आयोजन

देश के विभिन्न हिस्सों में दशहरा के त्योहार का आयोजन अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। कहीं-कहीं यह दस दिन तक धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि अन्य स्थानों पर रामलीला का आयोजन सात दिन या अधिक के लिए किया जाता है। यहां तक कि शहर के हर कोने में रामलीला दर्शन के लिए होती हैं। रामलीला वाचिक में भगवान राम के कथानक ‘रामायण’ का प्रदर्शन करने की एक प्रसिद्ध परंपरा है। इसे माना जाता है कि महान संत तुलसीदास ने राम भगवान की कहानी की शुरुआत की, जो बाद में ‘रामायण’ कही गई। उनके द्वारा लिखित ‘रामचरितमानस’ आज भी रामलीला का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका प्रदर्शन अनेक स्थलों पर किया जाता है, जिससे यह परंपरा जीवित रहती है। रामनगर की ‘राम लीला’ (वाराणसी में) सबसे पारंपरिक शैली में प्रस्तुत की जाती है।

निष्कर्ष

विजयदशमी के मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है, जो राम लीला को स्पष्ट करती है। यह कथा सीता माता के अपहरण की कहानी को संवादित करती है, असुर राजा रावण, उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुम्भकर्ण की पराजय को और राजा राम की विजय को दिखाती है। असली लोग राम, लक्ष्मण, सीता, और हनुमान की कहानी का अभिनय करते हैं, जबकि रावण, मेघनाथ, और कुम्भकर्ण के पुतले बनाए जाते हैं। आखिरकार, बुराई पर अच्छाई की जीत को प्रमोट करने के लिए रावण, मेघनाथ, और कुम्भकर्ण के पुतले जला दिए जाते हैं, और पटाखों के बीच इस उत्सव का आनंद उठाया जाता है।

दशहरा के 15 दोहे | 15 couplets of Dussehra,

मर्यादा का आचरण,करे विजय-उदघोष।
कितना भी सामर्थ्य पर,खोना ना तुम होश।।
______________________

लंकापति मद में भरा,करता था अभिमान।
तभी हुआ सम्पूर्ण कुल,का देखो अवसान।।
______________________

पुतला रावण का नहीं,जलता पाप-अधर्म।
समझ-बूझ लें आप सब,यही पर्व का मर्म।।
______________________

निज गरिमा को त्यागकर,रावण बना असंत।
इसीलिए असमय हुआ,उस पापी का अंत।।
______________________

मर्यादा का आचरण,करे विजय-उदघोष।
कितना भी सामर्थ्य पर,खोना ना तुम होश।।
______________________

उजियारा सबने किया,हुई राम की जीत।
आओ हम गरिमा रखें,बनें सत्य के मीत।।
______________________

पुतला रावण का नहीं,जलता पाप-अधर्म।
समझ-बूझ लें आप सब,यही पर्व का मर्म।।
______________________

लंकापति मद में भरा,करता था अभिमान।
तभी हुआ सम्पूर्ण कुल,का देखो अवसान।।
______________________

विजयादशमी पर्व तो,कहे यही हर बार।
नीति,सत्य अरु धर्म से,पलता है उजियार।।
______________________

उजियारा सबने किया,हुई राम की जीत।
आओ हम गरिमा रखें,बनें सत्य के मीत।।
______________________

इसी आशा में प्राणी आँसुओं को पोंछते आए,
अनाचारी सितम जुल्मी पुलिंदा ओढ़ते आए।
______________________

यही संदेश देता है दशहरा सबका मनभावन,
विजयदशमी में राघव फिर धराशायी करें रावण।
______________________

अगर मिट जाएँ पीड़ाएँ, सितम मिट जाए बरबादी,
मिले चोरी, डकैती, खौफ़ नफ़रत दुख से आज़ादी।
______________________

विजयदशमी में राघव फिर धराशायी करें रावण,
मिटाएँ पाप हर संताप हो जाए धरा पावन।
______________________

कभी तो अंत हो उनका जहाँ का साफ़ हो दामन,
विजयदशमी में राघव फिर धराशायी करें रावण।
______________________

रावण के सर हैं ताने, राघव का नत माथ।
रिक्त बीस कर त्याग, वर तू दो पंकज-हाथ।।

टिप्पणियाँ